शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

आबादी विस्तार में हम हैं नंबर बाड़मेर

आबादी विस्तार में हम हैं नंबर बाड़मेर 

बाड़मेर वर्ष 2001 से 2011 की जनसंख्या वृद्धि दर पर नजर दौड़ाए तो बाड़मेर जिला राज्य भर में अव्वल रहा है। विडंबना यह है कि निरंतर बढ़ रही आबादी के अनुपात में संसाधनों में बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। गत दस वर्षों में बाड़मेर जिले में सबसे ज्यादा 32.55 प्रतिशत की दर से जनसंख्या वृद्धि हुई है। जबकि जैसलमेर जिला 32.22 प्रतिशत वृद्धि के साथ राज्य में दूसरे स्थान पर रहा। हालांकि खनिज व तेल उत्पादन में बाड़मेर जिले से राज्य सरकार को रिकॉर्ड राजस्व मिलने लगा है, पर जिले के विकास पर खर्च का अनुपात आज भी वही है। जनसंख्या नियंत्रण पर कितना ही खर्च करने के बावजूद बाड़मेर जिले ने राज्य में अपनी साख घटाई है। यहां महिला साक्षरता की दर भी चिंताजनक रूप से घटी है। दुनिया में बढ़ रही भीड़ आज 7 अरब पहुंच जाएगी। बाड़मेर जिले में आबादी के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में कितने संसाधन बढ़े, इस पर भास्कर टीम ने पड़ताल की तो चौकाने वाली स्थिति सामने आई।

नहीं बढ़ पाई महिला साक्षरता दर
बाड़मेर जिले में कुल साक्षरता की दर 57.49 प्रतिशत ही है। जहां पुरुष साक्षरता की दर 72.32 प्रतिशत तक पहुंची है, वहीं महिला साक्षरता की दर आज भी महज 41.03 प्रतिशत ही है। राज्य के सभी 33 जिलों में बाड़मेर की महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में 30वें पायदान पर है। हमारे से जैसलमेर, जालोर व सिरोही जिले की महिला साक्षरता दर कम है, जबकि अन्य सभी जिलों में महिला शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है। लिंगानुपात में भी बाड़मेर राज्य में 27 वें स्थान पर है। जिले का जनसंख्या घनत्व भी बहुत कम है, यहां प्रति किलोमीटर केवल 92 लोग ही रहते हैं।

रिक्त पदों की मार चिकित्सा क्षेत्र पर भी
चिकित्सा के क्षेत्र में भी बाड़मेर जिले की स्थिति आज भी पिछड़ी है। जिले की 18 सीएचसी व 63पीएचसी पर कुल 175 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है, जिनमें से मात्र 96 चिकित्सक ही कार्यरत है। जबकि बाड़मेर व बालोतरा स्थित राजकीय अस्पतालों में भी चिकित्सकों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, जिसके चलते मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। वहीं जिले भर के 546 सब सेंटरों पर भी यही हालात है।

अटकी पड़ी हंै विकास योजनाएं
बाड़मेर जिला मुख्यालय सहित आस-पास की गांव-ढाणियों के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बनी बाड़मेर लिफ्ट कैनाल योजना अभी पूरी होनी है। वहीं बालोतरा क्षेत्र में पेयजल सप्लाई के लिए बनी पोकरण-फलसूंड-बालोतरा-सिवाना नहरी योजना की गति जिस ढंग से चल रही है उससे वर्षों तक पूरी नहीं होने की उम्मीद है। इधर समदड़ी क्षेत्र में पानी के लिए बनी उम्मेदसागर-धवा-समदड़ी पेयजल योजना का पानी समदड़ी तक पहुंचने के बावजूद लोगों के हलक तक नहीं पहुंच पाया है। इसी तरह बाड़मेर में ओवरब्रिज का कार्य लंबे समय से चल रहा है तो बालोतरा में ओवरब्रिज आज भी सपना बना हुआ है।


पानी की खपत बढ़ी, सप्लाई वही
जिले में गत दस वर्षों में जनसंख्या वृद्धि के साथ पानी की डिमांड भी बढ़ी है, मगर पानी की सप्लाई में आवश्यकता अनुसार सुधार नहीं हो पाया है। वर्तमान में रोजाना 1,82,312 किलो लीटर पानी की डिमांड रहती है, जबकि केवल 72,925 किलो लीटर की ही सप्लाई हो पा रही है। जिले में आज भी आधी ढाणियां पेयजल सुविधा से वंचित है। दस साल पूर्व जहां डिमांड की 30 फीसदी पानी की सप्लाई हो पाती थी, वहां अब 40प्रतिशत ही सप्लाई हो रही है।

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