जीत रही है "जिदंगी"
बाड़मेर। एचआईवी पॉजीटिव यानि जिंदगी खत्म। सामाजिक जीवन समाप्त और एक अंतहीन दर्द के साथ जीवन से छुटकारा। इन सारी मान्यताओं को छोड़कर रेगिस्तान में अब एचआईवी को लेकर सकारात्मक सोच बढ़ी है। इसे बीमारी समझकर लोग खुलकर इलाज करवाने लगे है और नतीजा है कि कई परिवार उजड़ने से बच गए है। बच्चों के सिर पर मां बाप का साया है और फिर से उनको पालने के लिए माता पिता के कदम उठने लगे है। बूढ़ी पथराई आंखों में उम्मीदें जगी है।
बाड़मेर जिले में वर्ष 2005 से 2009 का दौर एचआईवी को लेकर काफी भय वाला रहा। रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ ही लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे थे। ऎसे में अंदर ही अंदर रोगी बढ़ने के साथ घुट घुटकर मर रहे थे। अब यह स्थिति बदली है। जांच और सामने आए रोगियों की संख्या यही दिखाती है।
यह है स्थिति
जिलेभर के पंद्रह काउंसलिंग केन्द्रों पर हुई जांच दर्शाती है कि वर्ष 2009 में 19640 लोगों ने जांच करवाई इसमें से 257 पॉजीटिव मिले। इसी तरह 2010 में 27857 ने जांच करवाई और 202 पॉजेटिव पाए गए। वष्ाü 2011 में 42 हजार 382 ने जांच करवाई और 171 पॉजीटिव मिले। इस वर्ष 44 हजार लोग जांच करवा चुके है और अब तक 130 पॉजीटिव मिले है।
बाड़मेर अस्पताल पहुंचे 343
बाड़मेर अस्पताल में निरंतर चल रही जांच बताती है कि पिछले सात साल में 343 रोगी पहुंचे है।
पलायन थमने का हुआ असर
बाड़मेर में एचआईवी पॉजीटिव रोगियों की संख्या सैकड़ो में है। इसमें से अधिकांश पलायन के कारण है। ट्रक चालक व अन्य कार्य के लिए बाहर जाने वाले लोगों को यह रोग हुआ। अब जिले में रोजगार मिलने से पलायन रूका है,लिहाजा रोगियों की संख्या भी कम हो रही है।
हां, एचआईवी है
जिले मे कार्य कर रही बाड़मेर पीपुल लिविंग विद एचआईवी संस्थान में अब तक 569 लोग जुड़ गए है। ये लोग खुलकर सामने आए है। ये लोग अपना इलाज करवाने के साथ ही एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को प्रेरित कर रहे है कि घुटन को छोड़े और उपचार को अपनाएं।
जागरूकता जरूरी
जागरूकता जरूरी है। लोग इसे छिपा रहे है। बीमारी को छिपाना ठीक नहीं है। अन्य बीमारियों की तरह इसका भी उपचार है। जागरूकता होगी तो रोग हारेगा।- मनीष शर्मा, काउंसलर, जिला अस्पताल
विरहणियों की वेदना
बाड़मेर. जिले में सैकड़ों महिलाएं है जिनको इस रोग ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इक्का दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो इन महिलाओं का इसमें कोई दोष नहीं है। पति को यह रोग लग जाता है और पति पत्नी को भी यह रोग दे रहे हंै। पति के बाहर जाने पर इंतजार करने वाली विरहणियों को इसके बाद एचआईवी की वेदना मिल रही है। उनके लिए जीवन किसी सजा से कम नहीं है। रोगी पति की मृत्यु,इसके बाद खुद का इस रोग से तड़पना और साथ ही बच्चों के भी एचआईवी पॉजीटिव होने की जानकारी मिलने पर उनकी चिंता में घुट घुटकर जीना।
पूरा परिवार ही पॉजीटिव
शिव क्षेत्र में एक चालक को एचआईवी पॉजीटिव था। उससे उसकी पत्नी और इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को हो गया। चालक और उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई है। अब उसके भाई व पत्नी इसी रोग से ग्रसित है। दो बच्चे भी पॉजीटिव है। परिवार के सामने फांकाकशी की नौबत आ गई है।
एड्स को मिटाने का संकल्प
बाड़मेर. राजकीय चिकित्सालय, एआरटी सेंटर व आईसीटीसी के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय अस्पताल परिसर में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ$ आर के माहेश्वरी व एआरटी प्रभारी डा$ रविन्द्र कुमार शर्मा व आईसीटीसी प्रभारी डॉ बी एल मसूरिया के सान्निध्य में नसिंüग छात्रों को विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर मोमबत्ती जलाकर एड्स को जड़ से समाप्त करने का संकल्प कराया। इस अवसर पर राजकीय अस्पताल के डाक्टर्स, स्टाफ नर्स, नसिंüग विद्यार्थियों ने एड्स के प्रति फैली भ्रान्तियों को दूर करने का आह्वान किया।
बाड़मेर। एचआईवी पॉजीटिव यानि जिंदगी खत्म। सामाजिक जीवन समाप्त और एक अंतहीन दर्द के साथ जीवन से छुटकारा। इन सारी मान्यताओं को छोड़कर रेगिस्तान में अब एचआईवी को लेकर सकारात्मक सोच बढ़ी है। इसे बीमारी समझकर लोग खुलकर इलाज करवाने लगे है और नतीजा है कि कई परिवार उजड़ने से बच गए है। बच्चों के सिर पर मां बाप का साया है और फिर से उनको पालने के लिए माता पिता के कदम उठने लगे है। बूढ़ी पथराई आंखों में उम्मीदें जगी है।
बाड़मेर जिले में वर्ष 2005 से 2009 का दौर एचआईवी को लेकर काफी भय वाला रहा। रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ ही लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे थे। ऎसे में अंदर ही अंदर रोगी बढ़ने के साथ घुट घुटकर मर रहे थे। अब यह स्थिति बदली है। जांच और सामने आए रोगियों की संख्या यही दिखाती है।
यह है स्थिति
जिलेभर के पंद्रह काउंसलिंग केन्द्रों पर हुई जांच दर्शाती है कि वर्ष 2009 में 19640 लोगों ने जांच करवाई इसमें से 257 पॉजीटिव मिले। इसी तरह 2010 में 27857 ने जांच करवाई और 202 पॉजेटिव पाए गए। वष्ाü 2011 में 42 हजार 382 ने जांच करवाई और 171 पॉजीटिव मिले। इस वर्ष 44 हजार लोग जांच करवा चुके है और अब तक 130 पॉजीटिव मिले है।
बाड़मेर अस्पताल पहुंचे 343
बाड़मेर अस्पताल में निरंतर चल रही जांच बताती है कि पिछले सात साल में 343 रोगी पहुंचे है।
पलायन थमने का हुआ असर
बाड़मेर में एचआईवी पॉजीटिव रोगियों की संख्या सैकड़ो में है। इसमें से अधिकांश पलायन के कारण है। ट्रक चालक व अन्य कार्य के लिए बाहर जाने वाले लोगों को यह रोग हुआ। अब जिले में रोजगार मिलने से पलायन रूका है,लिहाजा रोगियों की संख्या भी कम हो रही है।
हां, एचआईवी है
जिले मे कार्य कर रही बाड़मेर पीपुल लिविंग विद एचआईवी संस्थान में अब तक 569 लोग जुड़ गए है। ये लोग खुलकर सामने आए है। ये लोग अपना इलाज करवाने के साथ ही एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को प्रेरित कर रहे है कि घुटन को छोड़े और उपचार को अपनाएं।
जागरूकता जरूरी
जागरूकता जरूरी है। लोग इसे छिपा रहे है। बीमारी को छिपाना ठीक नहीं है। अन्य बीमारियों की तरह इसका भी उपचार है। जागरूकता होगी तो रोग हारेगा।- मनीष शर्मा, काउंसलर, जिला अस्पताल
विरहणियों की वेदना
बाड़मेर. जिले में सैकड़ों महिलाएं है जिनको इस रोग ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इक्का दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो इन महिलाओं का इसमें कोई दोष नहीं है। पति को यह रोग लग जाता है और पति पत्नी को भी यह रोग दे रहे हंै। पति के बाहर जाने पर इंतजार करने वाली विरहणियों को इसके बाद एचआईवी की वेदना मिल रही है। उनके लिए जीवन किसी सजा से कम नहीं है। रोगी पति की मृत्यु,इसके बाद खुद का इस रोग से तड़पना और साथ ही बच्चों के भी एचआईवी पॉजीटिव होने की जानकारी मिलने पर उनकी चिंता में घुट घुटकर जीना।
पूरा परिवार ही पॉजीटिव
शिव क्षेत्र में एक चालक को एचआईवी पॉजीटिव था। उससे उसकी पत्नी और इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को हो गया। चालक और उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई है। अब उसके भाई व पत्नी इसी रोग से ग्रसित है। दो बच्चे भी पॉजीटिव है। परिवार के सामने फांकाकशी की नौबत आ गई है।
एड्स को मिटाने का संकल्प
बाड़मेर. राजकीय चिकित्सालय, एआरटी सेंटर व आईसीटीसी के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय अस्पताल परिसर में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ$ आर के माहेश्वरी व एआरटी प्रभारी डा$ रविन्द्र कुमार शर्मा व आईसीटीसी प्रभारी डॉ बी एल मसूरिया के सान्निध्य में नसिंüग छात्रों को विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर मोमबत्ती जलाकर एड्स को जड़ से समाप्त करने का संकल्प कराया। इस अवसर पर राजकीय अस्पताल के डाक्टर्स, स्टाफ नर्स, नसिंüग विद्यार्थियों ने एड्स के प्रति फैली भ्रान्तियों को दूर करने का आह्वान किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें