सोमवार, 26 नवंबर 2012

पोकरण दौरे तो दर्जनों लेकिन व्यवस्थाएं जीरो


पोकरण  दौरे तो दर्जनों लेकिन व्यवस्थाएं जीरो


पोकरण पोकरण अस्पताल में मरीजों की बढ़ती भीड़ तथा संसाधनों व मेन पॉवर की कमी के चलते अस्पताल के चिकित्सक परेशान हैं। डॉक्टरों ने आरोप लगाते हुए बताया कि मुफ्त दवा योजना के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ में यकायक इजाफा हुआ मगर मरीजों की संख्या के आधार पर चिकित्सा कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। उसपर नेशनल हाइवे के चलते कई बार बड़ी दुर्घटना में घायलों की संख्या ज्यादा होने से उनके इलाज में समय लग जाता है। जिसपर मरीज के परिजन चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाने के साथ अस्पताल में हंगामा खड़ा कर देते हैं। इसके अलावा उपखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इन दिनों राजनेताओं तथा जनप्रतिनिधियों की राजनीति का केन्द्र बनता जा रहा है। विधायक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी व नगरपालिका अध्यक्ष तक सभी राजकीय अस्पताल में अव्यवस्थाओं की शिकायत को लेकर चिकित्सकों पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। मगर स्थानीय नेता से लेकर क्षेत्रीय जन प्रतिनिधी ने व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

ठीक 10 बजे पहुंचते हैं जनप्रतिनिधि : ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज इलाज के लिए बसों से सुबह 10 बजे अस्पताल आते हैं। जिससे आउटडोर में मरीजों की लाइनें लग जाती है। ऐसे समय में जनप्रतिनिधि का दौरा मरीजों की जांच में बाधा बन जाता है।

दर्जनों दौरे के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा : राजकीय चिकित्सालय में जनप्रतिनिधियों द्वारा दर्जनों दौरे किए गए हैं। जनप्रतिनिधि चिकित्सकों को अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर फटकार भी लगाते हैं। लेकिन इतने तूफानी दौरों के बाद भी चिकित्सालय में किसी प्रकार की व्यवस्थाओं में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। अस्पताल के हालात- सेठ वि_लदास राजकीय अस्पताल में लैब टेक्नीशियनों की कमी, चिकित्सकों की कमी, सफाई कर्मचारियों की कमी के चलते सफाई व्यवस्था अस्पताल के लिए नासूर बनती जा रही है। वहीं अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी किसी प्रकार के इंतजाम नहीं होने से आए दिन परिसर में आवारा पशुओं, असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से इन दिनों अस्पताल परिसर को पार्किंग स्थल बना रखा है। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों, आपातकालीन सेवा 108, जननी सुरक्षा 104 तथा एम्बुलेंस वाहनों को अस्पताल परिसर में लाने में भी परेशानी होती है।



जनप्रतिनिधियों द्वारा अस्पताल के आए दिन दौरे करने के बाद भी व्यवस्थाओं में किसी प्रकार का सुधार नहीं किया गया



॥अस्पताल में अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा दौरा तो किया जाता है। लेकिन उनके दौरों के बाद भी मूलभूत सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं हुआ ,और न ही मरीजों को वंचित सुविधाएं मिल पाई है।
नेनूसिंह चंपावत, समाजसेवी
॥जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने 75 बैड का अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। लेकिन लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है।
गोविंदनारायण दवे, समाजसेवी
॥अस्पताल में कार्यरत स्त्रीरोग चिकित्सक की सेवाएं अन्य शिविरों में दी जा रही है। जिसके कारण प्रसुताओं के इलाज के लिए अस्पताल में भटकना पड़ रहा है। कई बार जनप्रतिनिधियों ने व्यवस्थाएं सुधारने की घोषणाएं भी की लेकिन स्थिति जस की तस है
अमृतलाल प्रजापत, समाजसेवी
॥जब भी दुर्घटना होती है अस्पताल में खून की मांग बढ़ जाती है। खून के अभाव में मरीज को जोधपुर रैफर किया जाता है। जनप्रतिनिधियों द्वारा ब्लड बैंक की कई बार घोषणा की ,लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
गफार धोबी, स्थानीय निवासी





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