बुधवार, 28 नवंबर 2012

गुर्जरों सहित एसबीसी की पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण



जयपुर. गुर्जरों सहित एसबीसी की चार जातियों को अलग से पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यह आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर मिलेगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद एसबीसी को अलग से 5 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया।

सरकार के इस फैसले से ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण की अटकलों पर विराम लग गया है। कैबिनेट की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 14 प्रतिशत आरक्षण के मामले में ईबीसी आयोग का गठन करने का फैसला किया गया।

गुर्जरों के साथ एसबीसी में गड़रिया जाति को भी जोड़ा: एसबीसी के पांच प्रतिशत आरक्षण में अब गड़रिया नई जाति जोड़ी गई है। इस तरह अब एसबीसी में गुर्जर, रैबारी, गाडिया लुहार, बंजारा और गड़रिया जातियां शामिल हैं।

ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में साबित किया गुर्जर एसबीसी के लायक : मुख्यमंत्री

बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार ने एसबीसी की जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। हाईकोर्ट में रिपोर्ट ओबीसी कमिशन वाले भेजेंगे। हाईकोर्ट के आदेश हैं कि दो माह तक रिपोर्ट लागू नहीं करेंगे सरकार इसका पालन करेगी।

इंदिरा साहनी केस के आधार ही फैसला किया है। पूरी कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार ही चल रहा है। ओबीसी कमिशन ने यह सिद्ध कर दिया कि ये एसबीसी के लायक हैं ।

अभी दो माह तक लागू नहीं होगा आरक्षण: गुर्जरों का आरक्षण लागू होने में अब भी कम से कम दो माह का समय लगेगा। सरकार ने गुर्जरों को एसबीसी में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसके बाद कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए सरकार को एसबीसी की जातियों के क्वांटिफाइड डाटा एकत्रित कर ओबीसी आयोग से सिफारिश लेकर ही लागू करने को कहा थ। यह रिपोर्ट भी दो माह के बाद ही लागू करने को कहा था, ताकि कोई भी वर्ग इसे कोर्ट में चुनौती देना चाहे तो उसे पूरा अवसर मिल सके।

प्रदेश में अब 54 प्रतिशत आरक्षण: एसबीसी की जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के बाद प्रदेश में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत के दायरे से बाहर 54 प्रतिशत हो जाएगी। अभी एससी का 16, एसटी 12, ओबीसी 21 और 1 प्रतिशत एसबीसी का आरक्षण मिलाकर कुल 50 प्रतिशत आरक्षण है।

गुर्जरों को आखिर क्या मिला, क्या गुर्जर चार साल बाद फिर उसी जगह पर आ गए हैं जहां से चले थे :

हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार एसबीसी के 5 प्रतिशत आरक्षण को दो माह से पहले लागू नहीं किया जा सकेगा। गुर्जरों की मांग के खिलाफ जाकर सरकार ने एक तो 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर आरक्षण दिया है, वहीं एक और नई जाति को उनके आरक्षण में हकदार बना दिया है। कानूनी जानकारों की राय के अनुसार इस आरक्षण को अब भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। दो माह के समय में अगर किसी ने इसे चुनौती दे दी तो यह आरक्षण फिर अटक सकता है।

पिछली भाजपा सरकार के समय एसबीसी को पांच प्रतिशत आरक्षण और गरीब सवर्णों को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। यह आरक्षण भी कोर्ट में अटक गया। इसके बाद अब चार साल बाद फिर वही हालात हैं। लेकिन इस बार हालात पहले की तुलना में कुछ बेहतर हैं और सरकार के पास एसबीसी आरक्षण को जायज ठहराने के लिए ओबीसी आयोग की रिपोर्ट और पिछड़ापन साबित करने के लिए क्वांटिफाइड डाटा रिपोर्ट है।

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