रविवार, 11 नवंबर 2012

पांच दिनी दीपोत्सव का आज से आतिशी आगाज


पांच दिनी दीपोत्सव का आज से आतिशी आगाज

गुरुवार, १५ नवंबर  

भाईदूज यानी संस्कारों का त्योहार। यह भाई और बहन के बीच रिश्तों का पर्व है। बहनें भाई के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा होती है। भाईदूज के साथ ही पांचदिनी महोत्सव का समापन हो जाता है।

बुधवार, १४ नवंबर  

गोवर्धन पूजा यानी संपन्नता का दिन। गोवर्धनरूपी श्रीकृष्ण की पूजा से संपन्नता आती है। गाय को सजाकर पूजा की जाती है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। शाम को 56 भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव मनाने की परंपरा है।

मंगलवार, १३ नवंबर 
दीपावली
यानी सौभाग्य का उत्सव। श्री गणेश सहित लक्ष्मी, कुबेर और सरस्वती का पूजन सुख और समृद्धि लाता है। आज ही समुद्र मंथन से लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। उनकी प्रसन्नता के लिए श्रीसूक्त, श्रीलक्ष्मी सूक्तऔर गोपाल सहस्रनाम पाठ का विधान।

सोमवार, १२ नवंबर  

रूप चतुर्दशी यानी स्वास्थ्य का पर्व। सुंदर शरीर के लिए तेल, उबटन से स्नान और फिर श्रृंगार का महत्व है। तेल में लक्ष्मी, जल में गंगा का वास होता है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। शाम को हनुमान मंदिर में दीपदान कर यमराज के निमित्त 14 दीपक लगाने का विधान है।

रविवार 11 नवम्बर 

धनतेरस यानी समृद्धि का पर्व। समुद्र मंथन से इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन धन और धन्वंतरि का पूजन होता है। जमीन, घर, वाहन, बर्तन और सोना-चांदी में निवेश करने की परंपरा है।










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