रविवार, 14 अक्तूबर 2012

10 घंटे मोर्चरी में पड़ा रहा शव तब जाकर हुआ पोस्टमार्टम


10 घंटे मोर्चरी में पड़ा रहा शव तब जाकर हुआ पोस्टमार्टम 



सांडवा पुलिस की ढिलाई के चलते परिजन दस घंटे बैठे रहे मोर्चरी के पास, उनकी पीड़ा की चिंता न तो डाक्टर ने की न ही सांडवा पुलिस ने।

चूरू जिले के जोगलसर गांव में खेत में काम करते समय कीटनाशक छिड़काव के दौरान बेहोश की शुक्रवार देर रात नागौर के राजकीय अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। चूरू जिले के सांडवा थाने से समय पर पुलिस नागौर नहीं पहुंचने से करीब दस घंटे बाद उसके शव का पोस्टमार्टम हो सका। 

मामला कुछ इस तरह था कि हड़माना राम नायक का पुत्र लेखराम खेत में कीटनाशक का छिड़काव कर रहा था। इस दौरान कीटनाशक के प्रभाव में आने से वह बेहोश हो गया। शुक्रवार देर रात उसे नागौर लाकर राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां उसकी बाद में मौत हो गई।

शनिवार सुबह करीब सात बजे अस्पताल चौकी प्रभारी गणपत राम पालडिय़ा ने इस संबंध में सांडवा थाना पुलिस को सूचना दी। सांडवा से नागौर पहुंचने में दो घंटे लगते हैं। लेकिन सांडवा पुलिस करीब सवा बारह बजे नागौर पहुंची। वहां से आए एएसआई बजरंगलाल ने शव का जल्दी पोस्टमार्टम कराने में कोई रुचि नहीं दिखाई। उन्होंने लेखराम के परिजनों से कह दिया कि 'आप डॉक्टर का पता लगाओ जो पोस्टमार्टम करता है।' इधर कम पढ़े लिखे परिजन डॉक्टर के लिए इधर उधर घूमते रहे। शाम को करीब पांच बजे चौकी प्रभारी ने डॉक्टर अलकेंद्र सिंह को बुलाया। डॉक्टर आ गया तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं पहुंचा। आखिरकार देर शाम पोस्टमार्टम हो सका।

लेखराम के परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर को समय रहते सूचना दी जाती और पुलिस समय पर पहुंच कर कागजी कार्रवाई पूरी करती तो पोस्टमार्टम सुबह ही हो जाता, लेकिन सांडवा पुलिस ने लेखराम के परिजनों की पीड़ा को नहीं समझा। लेखराम के बुजुर्ग ताऊ छगना राम दिन भर एक जगह नजर गड़ाए बैठे रहे। उन्हें ठीक से पता भी नहीं था कि कब शव उन्हें सुपुर्द करेंगे। साथ आई लेखराम की बुआ व उसकी लड़की ने तो दिन भर पानी भी नहीं पीया। दोनों असहज थी। वे कभी मोर्चरी के पास तो कभी चौकी के पास आकर पुलिसकर्मियों से पूछती नजर आई। जवाब में निराशा मिली तो आंखों से आंसू बहने लगे। लेखराम के मूल गांव चावली से आए दूर के चाचा कुंभाराम के पास दिन भर चावली गांव से परिजनों के फोन आते रहे। लेकिन उनसे जबाव देना नहीं बन रहा था। आखिर देर शाम सूर्यास्त से कुछ ही देर पहले पोस्टमार्टम हो सका। परिजन शव चावली गांव लेकर रवाना हुए।






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