भुवनेश्वर।। पत्नी से झगड़े को लेकर दो शेरों के पिजड़े में कूदने वाला 35 वर्षीय व्यक्ति जिंदगी और मौत की लड़ाई से जूझ रहा था। बुरी तरह जख्मी हालत में उसे शेरों के पिंजरे से बाहर निकाला गया और हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
गौरतलब है कि शनिवार को उसने भुवनेश्वर के नंदनकनन चिड़ियाघर में शेर की पिंजरे में छलांग लगा दी थी और ऐसा उसने एक दिन पहले अपनी पत्नी के साथ हुई झगड़े के बाद किया था।
चश्मदीदों ने बताया कि सूर्य नारायण दास, जो गंजम जिले के छत्रपुर इलाके के रहने वाले हैं, ने दो सो रहे शेरों के पिंजरे में कूदने से पहले उन्हें नमस्कार किया। फिर अपनी शर्ट-पैंट निकाली और एक महिला के आगे झुके। चश्मदीद ने बताया कि दबोचने से पहले उसे एक शेर ने सूंघा और फिर उसके सिर पर हमला किया। फिर दोनों शेरों ने उसकी गर्दन और उसके पैर पकड़कर करीब उसे 50 फीट तक घसीटा। इस घटना से चिड़ियाघर में अफरा-तफरी मच गई और लोग चिल्लाते हुए वहां पहुंचे। जानवरों पर पत्थरों से हमला करने लगे। इस हलचल से चिड़ियाघर में ही पैदा हुए शेर, जो इस तरह के हमले से अनजान थे, घबरा गए और सूर्य नारायण दास को वहीं छोड़कर अंदर वाले पिंजरे में जाकर छिप गए। चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने तुरंत पिंजरे को बाहर से बंद किया और दास को बाहर निकाल लिया।
चिड़ियाघर के सहायक निदेशक के. एल. पुरोहित ने बताया कि उनकी टीम घटनास्थल पर पांच मिनट के अंदर ही पहुंच गई और दास को नजदीकी प्राइवेट अस्पताल ले गई। लंच टाइम होने के कारण जानवरों के रक्षक वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन दो सुरक्षाकर्मी वहीं पास में पहरा दे रहे थे।
होश में वापस आने के बाद दास ने बताया कि वह अपनी पत्नी से झगड़े के बाद मर जाना चाहता था। उसने सोचा कि जानवरों का आहार बनकर मरना, अपनी जिंदगी को खत्म करने का अच्छा तरीका है।
डॉक्टरों ने बताया कि दास के सिर, गर्दन, पसलियों, हाथों और पैरों में कई चोटें आई हैं। डॉक्टर ने कहा कि उसका पूरा शरीर ही घायल हुआ है क्योंकि जानवरों ने उसे अच्छी खासी दूरी तक घसीटा था।
नंदनकनन के उप-निदेशक सीआर मिश्रा ने बताया कि ऐसी घटना वहां पहली बार हुई है। हम सख्ती से सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी के पर्यटकों और जानवरों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करते हैं। लेकिन अगर कोई खुद ही अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए शेर के मुंह में कूद जाए तो हम कुछ नहीं कर सकते।
शनिवार को अथॉरिटी ने ऐसी घटनाओं से बचने के लिए चिड़ियाघर में सुरक्षा के इंतजाम और भी पुखता कर दिए हैं। सभी मांसाहारी जानवरों के पिंजरों के बाहर, जिनमें 24 बाघ और तीन शेर हैं, एक अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया है। सूत्रों ने बताया कि ऐसा करने से चिड़ियाघर के कर्मचारी काम के बोझ से लदे हुए महसूस कर रहे हैं क्योंकि वहां भारी संख्या में मौजूद जानवरों की देख-रेख के लिए कर्मचारियों की संख्या कम है।
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