जैसलमेर। अपने ही घर मे बिना पट्टो के परायेपन की पीड़ा झेल रहे स्वर्णनगरी के बाशिंदो का वर्षो पुराना इंतजार अब थमेगा। राज्य मंत्रिमंडल की ओर से पट्टा देने संबंधी प्रावधानो मे छूट दिए जाने के बाद अब स्थानीय बाशिंदो का यह सपना साकार होगा। तकनीकी अड़चनो, अवैध निर्माण या अन्य कारणो से पट्टो को सपना मान चुके हजारो भूखण्डधारकों को अगले महीने से लगने वाले शिविरो मे सरकारी पट्टे देने की तैयारी नगरपरिषद की ओर से की जा रही है।
इस तरह स्वर्णनगरी के हजारों बाशिंदो का वर्षो से अपने पुश्तैनी मकानों के पट्टे का इंतजार अब पूरा होने जा रहा है। लंबे समय से अटकी हुई इस प्रक्रिया को अब नगरपरिषद ने अगले महीने शुरू करने का निर्णय किया है। इस प्रक्रिया के तहत वार्ड-वाइज शिविरो का आयोजन किया जाएगा और सभी 30 वार्डो मे रहने वाले लोगो को संबंघित दस्तावेज पेश करने पर पट्टे दिए जाएंगे। कुछ लोगो के नाम नगरपालिका रिकार्ड मे पहले ही दर्ज है। हालांकि इस प्रक्रिया मे एक अड़चन है और वह यह कि एक व्यक्ति को नगरपालिका एक ही पट्टा देगी। ऎसे मे एक से अघिक पट्टो के स्वामित्व के लिए लोगो को परेशानी आ सकती है। बावजूद इसके वर्षो बाद पट्टो के लिए तरस रहे लोगो को अब राहत मिल सकेगी।
गौरतलब है कि पट्टों के अभाव में उन्हें बैंक या अन्य किसी वित्तीय संस्था से ऋण भी नहीं मिल रहा। इसके अलावा नगरपरिषद को भी गृहकर से हाथ धोना पड़ रहा था। दिक्कत यह भी है नगरपालिका के पास 1965 से पहले का कोई रिकार्ड भी नहीं है। जैसलमेर शहर मे पीढियों से निवास करने वाले लोगों के पास पट्टे नहीं है, दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में करीब एक दर्जन कच्ची बस्तियों में सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों को गत वर्षो के दौरान पट्टे जारी किए जा चुके हैं। हर वार्ड के लिए एक विज्ञप्ति प्रकाशित करने के बाद शिविर लगाया जाएगा और इसमे किसी का अहित नहीं होगा। पुराने रजिस्ट्री वाले पट्टो को भी शिविर मे कार्यवाही के तहत निस्तारित किया जाएगा।
1965 से पहले का रिकार्ड नहीं
जैसलमेर शहर के बाशिंदो को पट्टे नहीं मिलने का कारण यह था कि नगरपालिका के पास 1965 से पहले का रिकार्ड ही नहीं था। हकीकत यह है कि रियासत काल में यहां भूमि का बन्दोबस्त नहीं था। यही कारण है कि यहां रहने वाले लोगो को उनके मकानों के पट्टे नहीं दिए जाते थे। सोनार किले से लेकर शहर की पुरानी चारदीवारी के बीच आज भी लोगों के पास मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं होने से उन्हें बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गत 12 सालो मे पट्टे देने का अभियान जोर शोर से शुरू हुआ, लेकिन वह भी अधरझूल में रहा। पट्टे नहीं होने से नगरपालिका को अब तक लाखों रूपयों का चूना लग चुका है। खाली और वीरान गलियों में सूने पड़े भूखण्डों पर अनेक लोगों ने कब्जे कर फर्जी पंजीयन करवा लिए हैं।
यहां सुरक्षित है रिकार्ड
वार्डवार तैयार रिकार्ड पालिका में सुरक्षित है, जिसके आधार पर कई बार लोगों को गृहकर के नोटिस दिए गए हैं। पहली बार वर्ष 1965 में पालिका ने शहर के मकानों पर नंबरिंग कर रिकार्ड तैयार किया था। पालिका की ओर से तामीर इजाजत बिना पट्टे ही शपथ पत्र या पंजीयन दस्तावेज के आधार पर दी जा रही है। सोनार किले के मकानों को छोड़ कर शहर के अन्य पुराने मकानों को बेचने और खरीदने के दस्तावेज पंजीयन में कोई अड़चन नहीं है।
इन्होंने कहा
नगर परिषद की ओर से आगामी दिनों में शहरवासियों को पट्टे दिलाने के लिए प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे दिए जाएंगे। एक व्यक्ति को एक पट्टा ही मिलेगा। इस संबंध में परिषद की ओर से कवायद शुरू कर दी गई है।
आरके माहेश्वरी नगर परिषद, जैसलमेर
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