खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भुज को बनाया नया अड्डा
खुलासा बाड़मेर में बिछा हे पाक जासूसों का जाल
अहमदाबाद में पकडे गए जासूसों ने खुलासा
बाड़मेर अहमदाबाद में पकडे गए 10वीं पास सिराज और उसका साथी अयूब कहने को तो छात्र थे लेकिन हकीकत में काम कर रहे थे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए। 16 अक्टूबर को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने दोनों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि सिर्फ डेढ़ साल में इन दोनों ने गुजरात और उससे सटे पड़ोसी राज्यों में जासूसों की फौज खड़ी कर ली थी। इस दौरान इन्होंने कराची में बैठे आईएसआई एजेंट ताहिर को भारतीय सेना से जुड़ी कई खुफिया जानकारियां भी मुहैया कराईं। इसके लिए इन्हें कराची से वक्त-वक्त पर मोटी रकम भी मिलती रही।इन लोगो ने संकेत दिए हें की बाड़मेर में पाक के बड़ी तादाद में जासूस नियुक्त हें ,इन्हें मोटी रकम
खुफिया एजेंसी आईएसआई भुज में बेठे उनके दलाल के माध्यम से हवाला जरिये देते हें ,
गुजरात के जामनगर में भारतीय सेना की दक्षिण-पश्चिम कमांड का बेस स्टेशन है। ये दोनों ही बेस में अंडा सप्लाई करने के बहाने जाते थे और जब बाहर निकलते थे तो इनके पास होती थी सेना की खुफिया जानकारी। इसे पाकिस्तान पहुंचाने के लिए भी काफी हाईटेक तरीका इस्तेमाल करते थे।भारतीय सेना की खुफिया जानकारी सिराज कोड वर्ड्स में पाकिस्तान भेजता था। आर्मी के अधिकारियों को मामू का नाम दिया गया था और जवानों के लिए बच्चे शब्द चुना गया था। मसलन मामू और उनके बच्चे बाड़मेर आ गए हैं। इस कोड लैंग्वेज का मतलब था कि भुज के आर्मी ऑफिसर और उनके जवान बाड़मेर आ गए हैं।सेना ने इसकी जानकारी मिलने पर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी है। सिराज ने इससे पहले पाकिस्तान जाकर आईएसआई से ट्रेनिंग भी भी हासिल की थी लेकिन डेढ़ साल तक उसकी कारगुजारियों के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगी।
फिलहाल अब अहमदाबाद क्राइम ब्रांच इनसे ये जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहा है कि अब तक इन्होंने कितनी और कौन-कौन सी जानकारी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के एजेंटों तक पहुंचाई है। पुलिस सिराज के अब तक लिए गए सिम कार्ड्स के डिटेल भी खंगाल रही है। पुलिस को उम्मीद है कि इस तमाम छानबीन के जरिए वो गुजरात और आसपास के राज्यों में छिपे बाकी आईएसआई एजेंटों को बेनकाब कर उन्हें गिरफ्तार कर सकेगी।
गुजरात के जामनगर में भारतीय सेना की दक्षिण-पश्चिम कमांड का बेस स्टेशन है। ये दोनों ही बेस में अंडा सप्लाई करने के बहाने जाते थे और जब बाहर निकलते थे तो इनके पास होती थी सेना की खुफिया जानकारी। इसे पाकिस्तान पहुंचाने के लिए भी काफी हाईटेक तरीका इस्तेमाल करते थे।भारतीय सेना की खुफिया जानकारी सिराज कोड वर्ड्स में पाकिस्तान भेजता था। आर्मी के अधिकारियों को मामू का नाम दिया गया था और जवानों के लिए बच्चे शब्द चुना गया था। मसलन मामू और उनके बच्चे बाड़मेर आ गए हैं। इस कोड लैंग्वेज का मतलब था कि भुज के आर्मी ऑफिसर और उनके जवान बाड़मेर आ गए हैं।सेना ने इसकी जानकारी मिलने पर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी है। सिराज ने इससे पहले पाकिस्तान जाकर आईएसआई से ट्रेनिंग भी भी हासिल की थी लेकिन डेढ़ साल तक उसकी कारगुजारियों के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगी।
फिलहाल अब अहमदाबाद क्राइम ब्रांच इनसे ये जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहा है कि अब तक इन्होंने कितनी और कौन-कौन सी जानकारी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के एजेंटों तक पहुंचाई है। पुलिस सिराज के अब तक लिए गए सिम कार्ड्स के डिटेल भी खंगाल रही है। पुलिस को उम्मीद है कि इस तमाम छानबीन के जरिए वो गुजरात और आसपास के राज्यों में छिपे बाकी आईएसआई एजेंटों को बेनकाब कर उन्हें गिरफ्तार कर सकेगी।
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