बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

मोदी को बनाओ प्रधानमंत्री

एक्स्क्लूसिव: इस पत्र से भाजपा में हड़कंप

मोदी को बनाओ प्रधानमंत्री 


नई दिल्ली। गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का समर्थन मिलने लगा है। राजस्थान से राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी ने बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र लिखकर मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की वकालत की है। इस पत्र को लेकर बीजेपी में हड़कंप सा मच गया है और पार्टी अध्यक्ष गडकरी ने इस सवाल पर चुप्पी साध ली है ।

अगले आम चुनाव के लिए पार्टी में अभी तक राय यही है कि किसी भी नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाए,क्योंकि पार्टी के कई नेता इस लायक हैं। नाम तय करने से पार्टी के कई बड़े नेताओं के बीच आपसी विवाद बढ़ सकता है। पार्टी में मोदी के अलावा लालकृष्ण आडवाणी,अरूण जेटली, सुषमा स्वराज,राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान आदि खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानते हैं।

इससे पहले 1996,1998,1999 और 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी और 2009 में लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे,लेकिन इस बार अभी तक किसी एक नाम पर आमराय नहीं बन पाई है। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि संघ परिवार ने मोदी के नाम पर अपनी हामी भर दी है। बीजेपी की हाल में सूरजकुंड में हुई नेशनल एक्जीक्यूटिव में नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए जेठमलानी ने 27 सितंबर 2012 को पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखा था।

जेठमलानी ने कहा है कि मैं नेशनल एक्जीक्यूटिव में अपने नेताओं के सामने अपनी कुछ बात रखना चाहता था लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया। ये तय किए बिना कि हमारा प्रधानमंत्री कौन होगा, 2014 से पहले के चुनाव प्रचार की एक्सरसाइज बेमानी सी होगी। जेठमलानी ने तो एक शेडा कैबिनेट बनाने की सलाह भी दी है जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को सरकार में शामिल किया जाए। हालांकि इससे कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है लेकिन वोटर को अनिश्चितता में रखने के बजाए बेहतर होगा इस सच का सामना किया जाए।

नेशनल एक्जीक्यूटिव में तो जेठमलानी के इस पत्र को गडकरी ने चर्चा के लिए नहीं रखा, लेकिन जेठमलानी ने कहा है प्रधानमंत्री का उम्मीदवार चुनना कोई मुश्किल काम नहीं है और नरेन्द्र मोदी की काबिलियत पर शक से परे है। उन्हें माइनोरिटी विरोधी प्रचार का शिकार बनाया गया है और इस धब्बे को हटाना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। जेठमलानी ने दो पन्नों के इस पत्र में सेक्यूलरिज्म को ठीक से समझाने का सुझाव भी दिया है और कहा है कि अल्पसंख्यकों को उनकी सुरक्षा और प्रगति का भरोसा दिलाया जाना चाहिए। पिछली बातों को भूलने और माफ करने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी के कुछ नेताओं के रवैये को लेकर जेठमलानी ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि अगले दो साल हमें भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाना चाहिए। लेकिन इससे पहले इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे नेताओं और उ?मीदवारों के चेहरे भी साफ हों। जेठमलानी ने इस बात पर व्यंग करते हुए नाराजगी जाहिर की है कि पार्टी के कुछ नेता ये कहते फिर रहे हैं कि ब्लैक मनी कोई मुद्दा नहीं हैं और हमारे प्रवक्ताओं को ये इशारा किया गया है कि वो ब्लैक मनी के मुद्दे पर जोर ना दें। जेठमलानी ने आखिर में लिखा है कि और भी बहुत सी बातें हैं जिन पर बात करनी है,उम्मीद है कि अगली मुलाकात से पहले आप इस पत्र पर ध्यान देंगे ।

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