क्यों दबाया राजीव की हत्या का सबूत?
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़े अहम सबूत को दबा दिया गया था। यह दावा किया है मामले की जांच से जुड़े अधिकारी के रागोथामन ने। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उस समय के आईबी चीफ एमके नारायणन ने राजीव गांधी की हत्या से जुड़े वीडियो को दबाए रखा। इस वीडियो में मानव बम धुन को दिखाया गया है,जो श्रीपेरम्बदुर में राजीव गांधी के पहुंचने से पहले मौजूद थी।
उन्होंने बताया कि वीडियो के गायब होने के मामले की प्राथमिक जांच हो चुकी है। विशेष जांच टीम के प्रमुख डीआर कार्तिकेयन ने पश्चिम बंगाल के मौजूदा गर्वनर नारायणन को छोड़ दिया। हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "राजीव गांधी की हत्या की साजिश-सीबीआई की फाइलों के हवाले" में दावा किया गया है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद आईबी के वीडियोग्राफर को जो टेप मिला था उसे एसआईटी के साथ कभी शेयर नहीं किया गया। गौरतलब है कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
रागोथामन ने लिखा है कि हत्यारों का दस्ता करीब ढाई घंटे तक सुरक्षित क्षेत्र में घूमता रहा। वे अपने टारगेट का इंतजार कर रहे थे। बाद में तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया था कि धनु राजीव गांधी के आने के बाद सुरक्षित क्षेत्र में घुसी थी। अगर वीडियो दिया गया होता तो पुलिस का दावा गलत साबित होता।
रागोथामन के मुताबिक इस सबूत को दबाए जाने का मकसद कांग्रेस को किसी तरह की शर्मिदगी से बचाना था,क्योंकि उस वक्त लोकसभा चुनाव हो रहे थे। नारायणन पर सबूत छिपाना के आरोप में आईपीसी की धारा 201 के तहत मामला बनता है लेकिन शुरूआती जांच के बाद केस को दबा दिया गया।
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़े अहम सबूत को दबा दिया गया था। यह दावा किया है मामले की जांच से जुड़े अधिकारी के रागोथामन ने। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उस समय के आईबी चीफ एमके नारायणन ने राजीव गांधी की हत्या से जुड़े वीडियो को दबाए रखा। इस वीडियो में मानव बम धुन को दिखाया गया है,जो श्रीपेरम्बदुर में राजीव गांधी के पहुंचने से पहले मौजूद थी।
उन्होंने बताया कि वीडियो के गायब होने के मामले की प्राथमिक जांच हो चुकी है। विशेष जांच टीम के प्रमुख डीआर कार्तिकेयन ने पश्चिम बंगाल के मौजूदा गर्वनर नारायणन को छोड़ दिया। हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "राजीव गांधी की हत्या की साजिश-सीबीआई की फाइलों के हवाले" में दावा किया गया है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद आईबी के वीडियोग्राफर को जो टेप मिला था उसे एसआईटी के साथ कभी शेयर नहीं किया गया। गौरतलब है कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
रागोथामन ने लिखा है कि हत्यारों का दस्ता करीब ढाई घंटे तक सुरक्षित क्षेत्र में घूमता रहा। वे अपने टारगेट का इंतजार कर रहे थे। बाद में तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया था कि धनु राजीव गांधी के आने के बाद सुरक्षित क्षेत्र में घुसी थी। अगर वीडियो दिया गया होता तो पुलिस का दावा गलत साबित होता।
रागोथामन के मुताबिक इस सबूत को दबाए जाने का मकसद कांग्रेस को किसी तरह की शर्मिदगी से बचाना था,क्योंकि उस वक्त लोकसभा चुनाव हो रहे थे। नारायणन पर सबूत छिपाना के आरोप में आईपीसी की धारा 201 के तहत मामला बनता है लेकिन शुरूआती जांच के बाद केस को दबा दिया गया।
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