सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

प्रेमी युगल को मिली चोरी की सजा

प्रेमी युगल को मिली चोरी की सजा
जोधपुर। "कोई वयस्क युवती घर से भागकर अपने प्रेमी से विवाह कर ले तो कोई अपराध नहीं बनता। लेकिन यदि घर से वह या उसका प्रेमी जेवर या नकदी साथ ले जाते हैं तो वे चोरी व गृह अतिचार अपराध के दोषी होंगे।" न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम वर्ग) पाली ने एक प्रकरण में यह अभिनिर्धारित किया है। उन्होंने प्रेमी युगल को सजा भी सुनाई।

परिवादी शिवसिंह के अधिवक्ता हैदर आगा ने अदालत में कहा कि परिवादी की पुत्री कुमारी महर्षि एक युवक गोपाल के साथ घर छोड़कर चली गई। जाते वक्त वे कमरे की अलमारी से ढाई लाख रूपए व जेवर ले गए। परिवादी की माता ने दोनों को चोरी करते देखा है। शोर मचाने पर वे दीवार फांदकर भाग गए।

इसके जवाब में आरोपियों की ओर से कहा गया कि उन्होंने माता-पिता की मर्जी के बिना प्रेम विवाह किया है, लिहाजा उन्हें चोरी के मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने माना कि बिना परिवार की अनुमति के प्रेम विवाह करने से किसी अपराध का सृजन नहीं होता है, लेकिन परिवादी शिवसिंह के मकान से जो माल चोरी हुआ है, वह गोपाल के सर्वोदय नगर पाली स्थित मकान से बरामद हुआ है। न्यायिक मजिस्ट्रेट विद्यानन्दन शुक्ल ने दोनों को दोषी मानते हुए आरोपी महर्षि को दो वर्ष की परीवीक्षा पर और गोपाल को गृहअतिचार के अपराध के लिए तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।

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