थार की छाती पर हरियाली का परचम
कसी लगाम मरु प्रसार पर
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
बाड़मेर
दूर-दूर तक छितराये रेगिस्तान में हरियाली का मंजर देख पाना अकल्पनीय ही था मगर सरकारी प्रयासों सेअब थार धरा पर व्यापक पैमाने पर चल रही वन विकास व विस्तार गतिविधियों ने हरियाली ला दी है वहीं मरुस्थलके प्रसार पर लगाम कसने के लिए की जा रही कोशिशें भी रंग ला रही हैं।
दरख़्तों का संसार बिछा हरित राजस्थान में
राजस्थान प्रदेश को हरा-भरा बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2009-10 से सम्पूर्ण राज्य में हरितराजस्थान कार्यक्रम का आगाज किया गया। इस कार्यक्रम में वन विभाग के साथ ही अन्य राजकीय विभागों, आमजनएवं काश्तकारों द्वारा वृहत स्तर पर वृक्षारोपण कार्य करवाये जाते रहे हैं। बाड़मेर जिले में इस वर्ष अब तक 1.80 लाखपौधों का विभिन्न विभागों व आम जनता द्वारा रोपण किया जा चुका है।
नर्मदा नहर वृक्षारोपण परियोजना
नर्मदा नहर परियोजना से बाड़मेर जिले के 108 गांवों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। वनविभाग द्वारा पर्यावरणीय परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में भूमिगत क्षार एवं लवण से वाटर लोगिंग केजरिये भूमि को खराब होने से बचाने, शैल्टर बैल्ट बनाकर नहरों में रेत जमा होने से रोकने और क्षेत्र के समग्रपर्यावरण को सुधारने की दृष्टि से मुख्य नहर एवं उसकी वितरिकाओं के समानान्तर वृक्षारोपण कार्य करवाया जा रहाहै। अब तक मुख्य नहर के समानान्तर दायंे व बायें 100 रनिंग कि.मी में वृक्षारोपण कार्य पूर्ण हो चुका है तथावितरिकाओं के समानान्तर 260 आर.के.एम. में वृक्षारोपण के कार्य प्रगति पर है।
रेगिस्तानी डग थामने के प्रयास
केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं राजस्थान सरकार के सहयोग से मरुस्थलीय जिलों में मरुप्रसार रोक परियोजना के तहत शैल्टर बैल्ट वृक्षारोपण, वनीकरण वृक्षारोपण व टिब्बा स्थिरीकरण वृक्षारोपण कियेगये हैं।
बाड़मेर जिले में इस योजना के तहत कुल 25232 हैक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य किये गये हैं, जिसकीवजह से रेतीली आंधियों, चलायमान टिब्बों से कृषि भूमि, आबादी, जलस्रोतों को बचाने एवं रेगिस्तान के प्रसार कोरोकने में काफी सफलता मिली है।
चार तरह के लोग होते हैं-
जवाब देंहटाएं(1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें,
(2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें,
(3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें,
(4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। ~