सोमवार, 24 सितंबर 2012

आधे आसमाँ के स्वप्न पूरे हो रहे थार में


आधे आसमाँ के स्वप्न पूरे हो रहे थार में
बाड़मेर ने पाए महिला सशक्तिकरण के नए सोपान
                                                                           - डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
बाड़मेर
      परिवारिक और सामाजिक जीवन का मूलाधार कही जाने वाली महिलाओं के बहुआयामी सशक्तिकरण की दिशा में हाल के वर्षो में प्रदेश में विभिन्न माध्यमों से बहुमुखी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओंकार्यक्रमों और योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ है। ख़ासकर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें हर दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वावलम्बन के जरिये आर्थिक विकास पाक गतिविधियों से जोड़ा गया है।
       इन सभी गतिविधियों से महिलाओं को जोड़ने महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन को प्राथमिकता दी गई। विभिन्न गतिविधियों के सामूहिक प्रयासों से गठित ये समूह आज महिला सशक्तिकरण की सुनहरी तस्वीर दिखा रहे हैं। इन समूहों की स्वावलम्बी गतिविधियों ने महिला विकास की कल्पनाओं को साकार कर दिखाया है।  पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में महिला सशक्तिकरण ने कठिनाइयाें भरे मरुस्थलीय ग्राम्य लोकजीवन  में आत्मनिर्भरता की फुलवारियां स्थापित करने में खूब कामयाबी पायी है।
       ग्राम्य महिलाओं ने सीखे खेती-बाड़ी व पशुपालन के गुर
       बाड़मेर जिले की गर््रामीण महिलाओं को खेती-बाड़ी तथा पशुपालन के बारे में नवीन तकनीक की जानकारी देने और इन विषयों के प्रति जानकारी संवहित करने के मकसद से कई गतिविधियां चलायी गई। जिले में आत्मा योजना अन्तर्गत ग्रामीण अंचलाें में अशिक्षित महिला पशुपालकों में पशु पालन की नवीन तकनीक का संचार करने के लिये महिला पशुपालक प्रशिक्षण शिविराें का आयोजन आर्थिक समृद्धि लाने की दिशा मेंे विभाग का महत्त्वपूर्ण कदम है।
       समूहों के जरिये समृद्धि ला रही थार की महिलाएं
       महिला शिक्षा में पिछड़ेपन के कारण बाड़मेर जिले की महिलाएँ आर्थिक रूप से कमजोर रही हैं। इसे देखते हुए जिले में महिला सशक्तिकरण एवं उत्थान को साकार करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के माध्यम से महिलाओं के उत्थान का बीड़ा उठाया गया है।
       जिले में महिला स्वयं सहायता समूह योजना के प्रारम्भ से अब तक सहकारिता विभाग द्वारा बाड़मेर में 3029 महिला स्वयं सहायता समूह का गठन कर 34 करोड़ 80 लाख 17 हजार रुपये का ऋण वितरण किया गया है। इन समूहों द्वारा पशुपालनकशीदाकारी,  पापड़ बड़ी उद्योग,सिलाईकेर सांगरी संकलन एवं अन्य कुटीर उद्योगों के माध्यम से आर्थिक स्वावलम्बन एवं उत्थान के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। महिलाओं के प्रशिक्षण की दृष्टि से महिला स्वयं सहायता समूह प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया है।     
      
       गृह उद्योग योजना
       विशेषकर महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए उन्हें सिलाईकढ़ाईकशीदाकारीसॉफ्ट टॉयज एवं कम्प्यूटर विधाओं से जोड़ने जैसी आधुनिक शिक्षा के लिए तीन माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
       ग्राम स्वरोजगार को मिली नई दिशा
       ग्रामीण वर्ग विशेषकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये स्वर्णजयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना संचालित की जा रही है। योजनान्तर्गत स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन्हें प्रशिक्षण पश्चात्  आवश्यक पूंजी बैंकों से ऋण स्वीकृत करने के साथ अनुदान राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
       इस योजना से संबंधित उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि एवं उत्पादों में माँग के अनुरूप कौशल एवं दक्षता प्रशिक्षण दिया गया है। जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजनान्तर्गत अब तक कशीदा उत्पाद व्यवसाय के 536 स्वयं सहायता समूहों की हजार 896 ग्रामीण महिलाओं को जोड़कर लाभाविन्त किया गया है।
       इसके लिए अब तक 1477.50 लाख रुपयों की कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई गई है जिससे लाभार्थी अपना स्वयं का उत्पाद तैयार कर बड़े-बड़े शहरों में विक्रय कर रहे हैं। महिलाएं घरेलू एवं कृ्रषि कार्य के साथ ही कशीदाकारी का भी कार्य करती है। इससे अधिकांश महिलाओं की आय में लगभग दस से पन्द्रह हजार रुपए प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई है।
       बाड़मेर जिले में महिलाओं के उत्थान की विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का ही प्रतिफल है कि आधे आसमाँ के सशक्तिकरण को आशातीत सफलता मिल रही है। बाड़मेर जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान के अनुसार बाड़मेर जिले में अब महिला विकास को नई दिशा दृष्टि प्राप्त हुई है तथा महिलाओं से संबंधित तमाम कार्यक्रमों एवं योजनाओं का परिवेश में सकारात्मक प्रभाव सामने आने लगा है।

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