"सीबीआई ने गढ़ी झूठी कहानी"
जोधपुर। एएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद नट के अधिवक्ता ने मंगलवार को अदालत में सीबीआई की चार्जशीट को झुठलाते हुए साफ कहा कि जांच एजेंसी ने अनुचित रूप से उसे इस प्रकरण में आरोपी बनाया है। अमरचंद के वकील ने सीबीआई की कहानी को मनगढ़ंत बताया। साथ ही भंवरी के पति को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया।
अनुसूचित जाति-जन जाति मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान हालांकि अमरचंद खुद अदालत में मौजूद नहीं था, लेकिन उसके अधिवक्ता जावेद मोयल ने चार्जशीट में लगे सभी आरोप सिलसिलेवार नकार दिए। उनका कहना था कि अमरचंद ने अपनी पत्नी के गुमशुदा होने की सूचना सबसे पहले पुलिस को दी थी।
पुलिस के सुराग नहीं लगा पाने पर उसने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी लगाई। पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन सौंपे, लेकिन जब उसने सीबीआई से भंवरी की तलाश के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट मांगी, तो जांच एजेंसी ने जानबूझकर उसे फंसा दिया। न्यायिक अधिकारी के समक्ष 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करवाने के लिए भी उसे रिहा करवाने का लालच दिया गया।
इससे स्पष्ट है कि उसे फंसाया जा रहा है। उन्हाेंने विभिन्न गवाहों के बयान पढ़ते हुए उनमें वर्णित तथ्यों का विरोध जताया। इसी तरह लूनी विधायक मलखान सिंह के भाई परसराम के अधिवक्ता सुनील जोशी ने भी सीबीआई की चार्जशीट पर सवाल उठाए। जोशी का कहना था कि इस प्रकरण में अनुसूचित जाति-जन जाति अधिनियम का मामला ही नहीं बनता है। उन्होंने इस लिहाज से मामले की सुनवाई कर रही अदालत के क्षेत्राधिकार पर प्रश्न खड़ा किया। साथ ही पूरे प्रकरण में परसराम की भूमिका को नकारा। हालांकि न्यायालय का समय पूरा हो जाने के कारण परसराम के अधिवक्ता की बहस पूरी नहीं हो सकी। अदालत में बुधवार को भी सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिकारियों सहित विशिष्ट लोक अभियोजक एस.एस. यादव, अशोक जोशी एवं प्रकरण से जुड़े छह आरोपी अदालत में मौजूद थे। अन्य को सुरक्षा एवं चिकित्सा कारणों से नहीं लाया गया।
जोधपुर। एएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद नट के अधिवक्ता ने मंगलवार को अदालत में सीबीआई की चार्जशीट को झुठलाते हुए साफ कहा कि जांच एजेंसी ने अनुचित रूप से उसे इस प्रकरण में आरोपी बनाया है। अमरचंद के वकील ने सीबीआई की कहानी को मनगढ़ंत बताया। साथ ही भंवरी के पति को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया।
अनुसूचित जाति-जन जाति मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान हालांकि अमरचंद खुद अदालत में मौजूद नहीं था, लेकिन उसके अधिवक्ता जावेद मोयल ने चार्जशीट में लगे सभी आरोप सिलसिलेवार नकार दिए। उनका कहना था कि अमरचंद ने अपनी पत्नी के गुमशुदा होने की सूचना सबसे पहले पुलिस को दी थी।
पुलिस के सुराग नहीं लगा पाने पर उसने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी लगाई। पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन सौंपे, लेकिन जब उसने सीबीआई से भंवरी की तलाश के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट मांगी, तो जांच एजेंसी ने जानबूझकर उसे फंसा दिया। न्यायिक अधिकारी के समक्ष 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करवाने के लिए भी उसे रिहा करवाने का लालच दिया गया।
इससे स्पष्ट है कि उसे फंसाया जा रहा है। उन्हाेंने विभिन्न गवाहों के बयान पढ़ते हुए उनमें वर्णित तथ्यों का विरोध जताया। इसी तरह लूनी विधायक मलखान सिंह के भाई परसराम के अधिवक्ता सुनील जोशी ने भी सीबीआई की चार्जशीट पर सवाल उठाए। जोशी का कहना था कि इस प्रकरण में अनुसूचित जाति-जन जाति अधिनियम का मामला ही नहीं बनता है। उन्होंने इस लिहाज से मामले की सुनवाई कर रही अदालत के क्षेत्राधिकार पर प्रश्न खड़ा किया। साथ ही पूरे प्रकरण में परसराम की भूमिका को नकारा। हालांकि न्यायालय का समय पूरा हो जाने के कारण परसराम के अधिवक्ता की बहस पूरी नहीं हो सकी। अदालत में बुधवार को भी सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिकारियों सहित विशिष्ट लोक अभियोजक एस.एस. यादव, अशोक जोशी एवं प्रकरण से जुड़े छह आरोपी अदालत में मौजूद थे। अन्य को सुरक्षा एवं चिकित्सा कारणों से नहीं लाया गया।
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