रविवार, 30 सितंबर 2012

सरहद पर पसरा ऊर्जा का अखूट भण्डार बाड़मेर बना इनर्जी हब




सरहद पर पसरा ऊर्जा का अखूट भण्डार  बाड़मेर बना इनर्जी हब
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
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बाड़मेर

राजस्थान का बाड़मेर जिला अपने भूगर्भीय भण्डारों व परिवेशीय विलक्षणताओं की वजह से अब पूरे देश में अपनी अलग पहचान कायम करने लगा है। हाल के वर्षों में आए बहुआयामी बदलाव ने बाड़मेर को अब तीव्र विकासशील इलाकों की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है जहाँ विकास ने ऐसी रफ्तार पकड़ ली है कि अब वहाँ रुकने का कोई नाम ही नहीं है। तरक्की का यह सफर हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ने लगा है।

राजस्थान भर में बाड़मेर अब उन चुनिन्दा क्षेत्रों में अपना स्थान बना चुका है जहाँ हाल के वर्षों में विकास का स्वरूप तेजी से निखरा है। ख़ासकर ऊर्जा के क्षेत्र में बाड़मेर अव्वल है।बाड़मेर जिले में वर्तमान में तीन बड़ी कम्पनियां निजी क्षेत्र में कार्य करते हुए जिले के उत्थान में लगी हुई हैं। इनके द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 10,000 हजार करोड़ रुपये का विनियोग कर बाड़मेर जिले को ऊर्जा के हब में परिवर्तित कर दिया गया है।



केयर्न एनर्जी इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड

केयर्न एनर्जी इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी ने 1990 के दशक से बाड़मेर जिले में पेट्रोलियम पदार्थो के भण्डारण का सर्वे प्रारम्भ किया। वर्ष 2002 तक आते-आते इस कम्पनी ने पेट्रोलियम पदार्थ निकालने का निश्चय किया व अन्ततः ओएनजीसी की तीन प्रतिशत की भागीदारी के साथ यह कार्य प्रारम्भ किया गया।

बाड़मेर के मंगला क्षेत्र में गत दो दशक की भारत में सबसे बड़ी खोज के रूप में तेल के भण्डार मिले। अब तक इस कम्पनी को भाग्यम एवं ऐश्वर्या क्षेत्रों सहित 25 स्थानों पर तेल के भण्डार मिले हैं। वर्ष 2009 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा मंगला क्षेत्र को राष्ट्र को समर्पित करते हुए यहां कम्पनी द्वारा तेल निकालना प्रारंभ किया गया। वर्तमान में 175000 बेरल का उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है जो निरन्तर बढ़ने की संभावना है।

राज वेस्ट पावर लिमिटेड

राजवेस्ट पॉवर लिमिटेड जे.एस.डब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड की एक कम्पनी है जो बाड़मेर जिले के भादरेश गंाव में 1080 मेगावाट का पॉवर प्लान्ट सीएफबीसी तकनीक पर स्थापित कर रही है। कम्पनी 135 मेगावॉट की लिग्नाईट आधारित 8 इकाई स्थापित करेगी जिसमें से कम्पनी द्वारा 6 इकाई कमीशन की जा चुकी हैं एवं शेष 2 यूनिट अक्टूबर 2012 तक कमीशन किया जाने का लक्ष्य है। कम्पनी का लिग्नाईट आधारित विद्युत उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान है।

गिरल लिग्नाईट थर्मल पावर प्रोजेक्ट

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की गिरल लिग्नाइट तापीय विद्युत परियोजना के अन्तर्गत गिरल में 125-125 मेगावाट की दो इकाइयां स्थापित हैं जिनका निर्माण भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। ये दोनों इकाइयाँ सी.एफ.बी.सी. बॉयलर तकनीक पर आधारित हैं।

इन इकाइयों के लिए लिग्नाइट की आपूर्ति राजस्थान स्टेट माइन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड द्वारा गिरल प्लांट के पास स्थित खदानों से की जाती है। चूँकि राजस्थान में लिग्नाइट के प्रचुर भंडार हुै, इनसे उत्पादित बिजली अन्य स्थानों यथा झारखण्ड, बिहार से मंगवाये गये कोयले से उत्पादित बिजली की तुलना में काफी सस्ती दर पर उपलब्ध होती है, अतः लिग्नाइट आधारित बिजलीघर का निर्माण गिरल में किया गया है।

गिरल विद्युत गृह राजस्थान का प्रथम लिग्नाइट आधारित विद्युत उत्पादन संयंत्र है एवं विश्व में इस क्षमता का पहला विद्युत उत्पादन संयंत्र है जहां काम में आने वाले लिग्नाइट में सल्फर की मात्र 6 प्रतिशत से भी ज्यादा है। वर्ष 2011-12 के दौरान इस कम्पनी द्वारा 5000 लाख यूनिट का उत्पादन किया गया है।

खनिजों का खजाना है बाड़मेर

बाड़मेर जिले में प्रधान व अप्रधान दोनों ही प्रकार के खनिजों का भण्डार उपलब्ध है जिनके लिये 570 खनन पट्टे जारी कर खनिजों को निकाला जा रहा है। खनिज उद्योग से जहां एक ओर करोड़ों रुपये की वार्षिक राजस्व की प्राप्ति हो रही है वहीं दूसरी तरफ ये खनिज विद्युत ऊर्जा उत्पादन में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं। इनमें कपूरड़ी लिग्नाईट प्रोजेक्ट को कोयला उपलब्ध कराने हेतु कार्यरत खान महत्त्वपूर्ण है। जिले में अप्रयुक्त खनन क्षेत्र को हरा-भरा व प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हर स्तर पर सार्थक प्रयासों को अंजाम दिया जा रहा है।

मरुधरा अब अपने भूगर्भ में से ढेरों प्राकृतिक उपहारों को लुटा रही है और कहा जा सकता है कि थार का समृद्ध आँचल अब सोना उगल रहा है। प्रकृति के अनुपम उपहारों ने बाड़मेर की परंपरागत छवि को ही बदल कर रख दिया है। अब बाड़मेर वह इलाका है जहां रोज लिखी जा रही है विकास की नई-नई इबारतें।

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