बाड़मेर थाने में स्कूल ..पुलिसकर्मी जन्हा छात्रो को देती हे शिक्षा
बाड़मेर..सरहदी बाड़मेर जिले की रामसर तहसील में एक पुलिस अधिकारी ने छः साल पूर्व ठाणे में शिक्षा की लौ जगाई थी जो आज समाज को शिक्षा रूपी प्रकाश दे रही हें इस कार्य में युवा समाज सेवी सफी तामलियार का अहम्योग्दान हे जो समय समय पर भामाशाह के रूप में अपनी भूमिका निभाकर छात्रो के किये शिक्षण सामग्री ,शिक्षको की तनख्वाह की व्यवस्था खुद करते हें ,अपने आप में अनूठी पहल छः साल पहले र्तात्कालीन थाना अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने की जिसे पुलिस अधिकारियो ने परवान चढ़ाया ,आज इस विद्यालय में पचासों छात्रो को शिक्षा मिल रही हें ,बाड़मेर पुलिस का यह नायब चेहरा देश भर के पुलिस कर्मियों के लिए मिशाल हें ,
खाकी वर्दी पहने पुलिसकर्मी न केवल कानून व्यवस्था संभाल रहे हैं, बल्कि थाने में बच्चों की क्लास लगाकर 185 बच्चों को पढ़ाने का नेक काम भी कर रहे है। जहां एक ओर पुलिस वालों से अपराधी खौफ खाते हैं, शरारती बच्चों को माता पुलिस आने का भय दिखाती हैं, वहीं दूसरी ओर थाने में पढ़ने के लिए बच्चे निर्भय होकर आते हैं। जिले के रामसर थाने में पुलिस बच्चों के मार्गदर्शक व मित्र की भूमिका निभा रही है। खाकी वर्दी में पुलिस मास्टर बन नए रूप में औरों के लिए भी प्रेरक कार्य कर रही हैं।
बाढ़ के बाद थाने में खुला स्कूल :
बाड़मेर में जब 2006 में बाढ़ आई तब स्कूलों में बारिश का पानी आने से कलेक्टर के आदेश पर गांव की स्कूल बंद कर दी गईं। उस दौरान रामसर के पूर्व थाना अधिकारी सुरेन्द्र कुमार ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का बीड़ा उठाते हुए थाने में ही स्कूल शुरू की। पुलिस के जवानों को मास्टर की भूमिका के लिए तैयार किया। पुलिस ने भी उत्साह से कार्य करते हुए थाने में ही स्कूल खोलकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
तत्कालीन एसपी ने पुलिस की इस नई भूमिका के लिए अतिरिक्त पुलिसकर्मी थाने में लगाए और थाने में शिक्षण कार्य को गति प्रदान की। इसके बाद आए एसपी ने भी इस परम्परा को जारी रखा। शुरुआत में 20 बच्चे थाने में पढ़ने के लिए आए लेकिन आज इसी थाने में 185 बच्चों का भविष्य संवर रहा है।
पुलिस वाले करते हैं चंदा :
रामसर थाने में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पुलिस के जवानों के साथ साथ एक एनजीओ ने बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 अध्यापक भी लगाए। पुलिस और एक एनजीओ चंदा करके उनकी तनख्वाह चुकाते हैं ।पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार विद्यालय के बारे में जानकार मुझे ख़ुशी हुई थी इसे और बेहतर बनाने और आधुनिक सुविधाए जुटाने के प्रयास किये जा रहे हें ताकि छात्रो को बेहतरीन सुविधा मिले .भामाशाह सफी तामलियार ने बताया की इस विद्यालय में हर वर्ग के छात्रा शिक्षा प्राप्त कर रहे हें ,उनकी सुविधाओ का पूरा ख्याल रखा जा रहा हें ,धन की कमी नहीं आने दी जाएगी ,
खाकी वर्दी पहने पुलिसकर्मी न केवल कानून व्यवस्था संभाल रहे हैं, बल्कि थाने में बच्चों की क्लास लगाकर 185 बच्चों को पढ़ाने का नेक काम भी कर रहे है। जहां एक ओर पुलिस वालों से अपराधी खौफ खाते हैं, शरारती बच्चों को माता पुलिस आने का भय दिखाती हैं, वहीं दूसरी ओर थाने में पढ़ने के लिए बच्चे निर्भय होकर आते हैं। जिले के रामसर थाने में पुलिस बच्चों के मार्गदर्शक व मित्र की भूमिका निभा रही है। खाकी वर्दी में पुलिस मास्टर बन नए रूप में औरों के लिए भी प्रेरक कार्य कर रही हैं।
बाढ़ के बाद थाने में खुला स्कूल :
बाड़मेर में जब 2006 में बाढ़ आई तब स्कूलों में बारिश का पानी आने से कलेक्टर के आदेश पर गांव की स्कूल बंद कर दी गईं। उस दौरान रामसर के पूर्व थाना अधिकारी सुरेन्द्र कुमार ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का बीड़ा उठाते हुए थाने में ही स्कूल शुरू की। पुलिस के जवानों को मास्टर की भूमिका के लिए तैयार किया। पुलिस ने भी उत्साह से कार्य करते हुए थाने में ही स्कूल खोलकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
तत्कालीन एसपी ने पुलिस की इस नई भूमिका के लिए अतिरिक्त पुलिसकर्मी थाने में लगाए और थाने में शिक्षण कार्य को गति प्रदान की। इसके बाद आए एसपी ने भी इस परम्परा को जारी रखा। शुरुआत में 20 बच्चे थाने में पढ़ने के लिए आए लेकिन आज इसी थाने में 185 बच्चों का भविष्य संवर रहा है।
पुलिस वाले करते हैं चंदा :
रामसर थाने में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पुलिस के जवानों के साथ साथ एक एनजीओ ने बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 अध्यापक भी लगाए। पुलिस और एक एनजीओ चंदा करके उनकी तनख्वाह चुकाते हैं ।पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार विद्यालय के बारे में जानकार मुझे ख़ुशी हुई थी इसे और बेहतर बनाने और आधुनिक सुविधाए जुटाने के प्रयास किये जा रहे हें ताकि छात्रो को बेहतरीन सुविधा मिले .भामाशाह सफी तामलियार ने बताया की इस विद्यालय में हर वर्ग के छात्रा शिक्षा प्राप्त कर रहे हें ,उनकी सुविधाओ का पूरा ख्याल रखा जा रहा हें ,धन की कमी नहीं आने दी जाएगी ,
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