माता राणी को धोक देने उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
जसोल मारवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठ स्थल माता राणी भटियाणी मंदिर जसोल में त्रयोदशी पर आस्था व श्रद्धा का समंदर उमड़ पड़ा। देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं से सूर्योदय से सूर्यास्त तक मंदिर परिसर खचाखच भरा रहा। घंटों प्रतीक्षा के बाद बारी आने पर श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में शीश नवा, प्रसाद चढ़ा परिवार में खुशहाली व क्षेत्र में अच्छे जमाने की कामना की। शुक्रवार अल सवेरे मंगला आरती के साथ ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो दिनभर जारी रहा, दोपहर तक तो मंदिर में पैर रखने को जगह नहीं मिल रही थी। मंदिर परिसर से लेकर बस स्टैंड तक श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आए। मंदिर व्यवस्था समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेरीकेड्स लगाने के साथ ही पेयजल के इंतजाम भी कर रखे थे। मंदिर के बाहर लगी दुकानों पर जमकर खरीदारी हुई। मां के दरबार में मारवाड़ एवं राज्य के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश से हजारों श्रद्धालु धोक लगाने पहुंचे।
छेड़ा बंदी कर जात लगाने आए श्रद्धालु: भाद्रपद त्रयोदशी पर आयोजित मेले के दौरान कई नवविवाहित जोड़ों ने छेड़ा बंदी कर सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए मां के दरबार में जाम लगाई। नव विवाहित जोड़ों ने अपने परिजनों के साथ मां के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। छेड़ा बंदी जात देने वालों के लिए सुरक्षाकर्मियों ने भी अलग से व्यवस्था कर रखी थी।
नाचते-गाते पहुंचे पैदल जत्थे: मां के दरबार में दूर-दराज क्षेत्रों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु जत्थों में पहुंचे। हाथों में ध्वज पताकाएं थामे नाचते गाते, माजीसा के जयकारों के साथ भक्ति रंग से सरोबार नजर आए। शुक्रवार अल सवेरे ही पैदल जत्थों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। जो देर रात तक अनवरत जारी रहा।
10 रुपए में शुद्ध भोजन: माजीसा जन सेवा समिति जसोल की ओर से लगातार पांच वर्षों से संचालित की जा रही भोजनशाला में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं को सस्ती दर पर भोजन मिल रहा है। यहां प्रति व्यक्ति 10 रुपए में शुद्ध भोजन दिया जा रहा है।
राह में रोड़ा बने अतिक्रमण: निज मंदिर के पास मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित दुकानों के बाहर व्यवसायियों ने सामान रखकर अतिक्रमण कर लिया है। जिसके चलते श्रद्धालुओं को आवागमन में परेशानी हुई।
चढ़ावे के ढेर: दर्शन के लिए इस दिन पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं द्वारा माजीसा का बागा, फूल-माता, नारियल, मखाणा चढ़ाने से यहां चढ़ावे के ढेर लग गए। इसे व्यवस्थित करने को लेकर तीर्थ ट्रस्ट पदाधिकारियों को अधिक मशक्कत करनी पड़ी।
गाजे-बाजे के साथ पहुंचे पैदल जत्थे, दर्शन के लिए अल सवेरे से देर रात तक लगी रही कतारें
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