राजस्थानी की बात करने वाले नेता को ही वोट : कविया
बाड़मेरअखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की बैठक गुरुवार को सार्वजनिक विभाग के विश्रांति भवन में समिति के संस्थापक लक्ष्मण दान कविया के मुख्य आतिथ्य व कवि कृष्ण कबीर की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में आंदोलन के तहत किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा के साथ ही राजस्थानी भाषा आंदोलन को गति देने संबंधी मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। बैठक में लक्ष्मण दान कविया ने कहा कि राजस्थानी केवल भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति और पहचान है। 'सुन ले नेता सगळा डंके की चोट, पेली भाषा पछे वोट' आंदोलन की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अब आने वाले चुनाव में उसी नेता को वोट देंगे जो राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए आगे आएगा।
कृष्ण कबीर ने हिंदी साहित्य में राजस्थानी भाषा की महत्ता को बताते हुए कहा कि मीरा बाई, दादूदयाल, चंदर बरदई व कन्हैयालाल सेठिया जैसे कवियों के साहित्य से राजस्थानी को निकाल दिया जाए तो हिंदी साहित्य का कोई महत्व नहीं रहेगा। संघर्ष समिति के संभाग उप पाटवी चंदनसिंह भाटी, रणवीर भादू, महेश दादानी, इंद्रप्रकाश पुरोहित, समिति के जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता, नरेश देव सारण, शेरसिंह भुरटिया व दीपसिंह रणधा ने भी अपनी बात रखी। बैठक का संचालन मोट्यार परिषद के जिला पाटवी एवं पीजी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष रघुवीरसिंह तामलोर ने किया।
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