गुरुवार, 2 अगस्त 2012

अधिनियम लागू पर लागू करने वाले बेखबर


अधिनियम लागू पर लागू करने वाले बेखबर

राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम का पहले ही दिन दफ्तरों में नजर नहीं आया असर

बाड़मेर  बाड़मेर समेत समूचे प्रदेश में बुधवार को राजस्थान सुनवाई का अधिकार कानून लागू हो गया। प्रचार प्रसार के अभाव में लोगों को अधिनियम को बारे में जानकारी ही नहीं मिली। शिकायतें करने के लिए विभिन्न विभागों में लोग पहुंचे जरूर मगर उनकी शिकायतों के रजिस्ट्रीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। सुनवाई के लिए बोर्ड तक नहीं लगाए। इतना ही नहीं विभागों के अधिकारी भी अधिनियम से बेखबर थे। जिनके पास में अधिनियम की क्रियान्विति के लिए रसीदें व फार्म उपलब्ध करवाए गए। पहले दिन अधिनियम की पालना होती नजर नहीं आई। लोग रोजमर्रा की तरह संबंधित विभागों के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर चल दिए।


नियम तो खूब बने, पालना हो तब

राजस्थान सुनवाई का अधिकार कानून के तहत खूब नियम कायदे तय किए गए हैं, लेकिन इनकी पालना पर अभी से प्रश्नचिह्न लग रहा है। नित नए बहाने कर शिकायतों को नजरअंदाज करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को अब इस नए कानून के तहत अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ेगा। शिकायतकर्ता को टरकाने की बजाय एक सप्ताह में समाधान करना पड़ेगा, वरना जुर्माना चुकाना पड़ेगा। बुधवार से बाड़मेर सहित प्रदेशभर में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू हो गया है। इसके तहत ग्राम पंचायत से संभाग मुख्यालय तक तैनात अधिकारियों को न केवल आम आदमी को सुनना अनिवार्य होगा, बल्कि 15 दिन में उसका निस्तारण भी करना होगा। नियमों की अवहेलना करने पर संबंधित अधिकारी पर 500 से 5000 रुपए तक जुर्माना लगेगा, जो उसके वेतन से काटा जाएगा। सूत्रों के अनुसार आम लोगों की सुनवाई तत्परता से करने के लिए राज्य सरकार ने जून 2012 में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012 की अधिसूचना जारी की थी। सरकार ने अब इसे एक अगस्त से लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत सुनवाई करने वाले अधिकारियों को लोक सुनवाई अधिकारी पदनाम दिया गया है। सरकार ने सुनवाई के लिए पटवारी, ग्राम सेवक से लेकर एडीएम, सीईओ तक सभी अधिकारियों को अधिकृत किया है। अधिनियम के अनुसार, इन अधिकारियों को सप्ताह में कम से कम दो दिन सुनवाई के लिए तय करने होंगे। इस दौरान जो शिकायत आएगी, संबंधित अधिकारी को 15 दिन में शिकायतकर्ता को बुलाकर उसकी सुनवाई करके निर्णय देना होगा। फिर अगले एक सप्ताह में अपने निर्णय की लिखित जानकारी शिकायतकर्ता को देनी होगी। सुनवाई नहीं होने पर शिकायतकर्ता प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष अपील करेगा। अगले 21 दिन में इसका निस्तारण होगा।


वह सब जो आप जानना चाहते हैं 
सरकार ने सुनवाई के लिए प्रफोर्मा तय किया है। शिकायतकर्ता सादे कागज पर प्रफोर्मा में संबंधित अधिकारी के समक्ष आवेदन कर सकता है। वहां शिकायतकर्ता को शिकायत का नंबर दिया जाएगा।

लोक सुनवाई अधिकारी को 15 दिन में शिकायतकर्ता को बुलाकर समाधान करना होगा। सात दिन में इसकी सूचना लिखित में भेजनी होगी।

हर लोक सुनवाई अधिकारी को सप्ताह में दो दिन सुनवाई के लिए तय करने होंगे। इन दिनों की सूचना नोटिस बोर्ड पर बड़े अक्षरों में लिखनी होगी।

प्रार्थना पत्र पर कोई फीस नहीं लगानी होगी। हर विभाग शिकायतों का समाधान निशुल्क करेगा।

लोक सुनवाई अधिकारी ने सुनवाई नहीं की अथवा तय समय में राहत नहीं दी तो प्रथम अपील अधिकारी व द्वितीय अपील अधिकारी को अपील करनी होगी।



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