इस बार कांग्रेस पर मेहरबान दिखे बाबा
नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरू बाबा रामदेव का आंदोलन शुरू हो गया है। बाबा और उनके समर्थक अगले तीन दिन तक रामलीला मैदान में सांकेतिक उपवास करेंगे। बाबा ने कहा कि इस बार न आमरण अनशन होगा,न बेमियादी अनशन होगा। सिर्फ तीन दिन का सांकेतिक उपवास होगा। अगर सरकार ने तीन दिन के अंदर मांगे नहीं मानी तो अगला फैसला 12 अगस्त को लिया जाएगा। बाबा ने पिछले साल इसी ग्राउंड पर आंदोलन किया था जब उन्हें पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।
सोनिया गांधी से बातचीत को तैयार
पिछले साल की तरह बाबा रामदेव इस बार आक्रामक दिखाई नहीं दिए बल्कि उन्होंने संयम और नरमी दिखाते हुए कहा कि वह किसी को सत्ता से हटाने या बैठाने नहीं आए हैं। न ही उनका किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से कोई वैर या विरोध है। उनके दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं। बाबा इस बार कांग्रेस पर मेहरबान दिखे। बाबा ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी जाति,वर्ग और मजहब विशेष के लिए नहीं है। वह देश के 121 लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
योग गुरू ने कहा कि उनका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं। बाबा ने कहा कि उनके दरवाजे हरेक के लिए खुले हैं। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बातचीत के लिए भी तैयार हैं। वह राहुल गांधी से भी बातचीत को तैयार हैं। बाबा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी नरम रूख दिखाया। बाबा ने कहा कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिक ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। योग गुरू ने कहा कि हमने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर भी कोई सवाल नहीं उठाया और न आगे भी उठाएंगे।
अन्ना के सामाजिक आंदोलन के साथ
योग गुरू ने एक बार फिर साफ कर दिया कि वह अन्ना हजारे के राजनीतिक एजेंडे के साथ नहीं है। बाबा ने कहा कि वह अन्ना के सामाजिक आंदोलन के साथ है और आगे भी रहेंगे। बाबा ने इशारों ही इशारों में टीम अन्ना पर भी निशाना साधा। बाबा ने कहा कि वह टीम अन्ना पर कोई बयान नहीं देंगे क्योंकि इससे अनावश्यक विवाद पैदा हो सकता है।
लोकपाल पर दिखाया लचीला रूख
बाबा ने लोकपाल के मसले पर अन्ना हजारे और उनकी टीम के कड़े रूख से अलग नरम रूख दिखाया। बाबा ने कहा कि लोकपाल पर अडियल रूख नहीं अपनाना चाहिए। यह कहना गलत है कि जैसा हम चाहते हैं वैसा ही विधेयक पारित हो। अगर लोकपाल पर शत प्रतिशत सहमति नहीं बन पाती है तो भी विधेयक पारित होना चाहिए। 99 फीसदी लोकपाल भी चलेगा। जरूरत पड़ने पर आगे संशोधन किया जा सकता है।
देश के संविधान में भी एक सौ संशोधन हो चुके हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए देश को मजबूत लोकपाल चाहिए..मजबूर या सरकारी लोकपाल नहीं। बाबा ने केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सितंबर तक लोकपाल बिल संसद में पेश कर सकती है। बाबा ने कहा कि लोकपाल बिल इसी सत्र में पारित किया जाए। मजबूत लोकपाल किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। मजबूत लोकपाल से भ्रष्टाचारियों को दंड मिलेगा। उन्होंने कहा कि लोकपाल की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। लोकपाल के पूरे होने का वक्त आया है।
बाबा की प्रमुख मांगे
1.शिक्षा में बच्चों को सदाचार सिखाएं
4.केन्द्र और राज्य सिटीजन चार्टर लागू करें
5.सीवीसी,सीईसी,सीबीआई,कैग की नियुक्ति में विपक्ष साथ हो
बापू को किया नमन
बाबा रामदेव अहमदाबाद से गुरूवार सुबह दिल्ली पहुंचे। बाबा सबसे पहले राजघाट गए। जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर राजघाट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। इस कारण बाबा को कुछ समर्थकों के साथ ही अंदर जाने दिया गया।
नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरू बाबा रामदेव का आंदोलन शुरू हो गया है। बाबा और उनके समर्थक अगले तीन दिन तक रामलीला मैदान में सांकेतिक उपवास करेंगे। बाबा ने कहा कि इस बार न आमरण अनशन होगा,न बेमियादी अनशन होगा। सिर्फ तीन दिन का सांकेतिक उपवास होगा। अगर सरकार ने तीन दिन के अंदर मांगे नहीं मानी तो अगला फैसला 12 अगस्त को लिया जाएगा। बाबा ने पिछले साल इसी ग्राउंड पर आंदोलन किया था जब उन्हें पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।
सोनिया गांधी से बातचीत को तैयार
पिछले साल की तरह बाबा रामदेव इस बार आक्रामक दिखाई नहीं दिए बल्कि उन्होंने संयम और नरमी दिखाते हुए कहा कि वह किसी को सत्ता से हटाने या बैठाने नहीं आए हैं। न ही उनका किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से कोई वैर या विरोध है। उनके दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं। बाबा इस बार कांग्रेस पर मेहरबान दिखे। बाबा ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी जाति,वर्ग और मजहब विशेष के लिए नहीं है। वह देश के 121 लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
योग गुरू ने कहा कि उनका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं। बाबा ने कहा कि उनके दरवाजे हरेक के लिए खुले हैं। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बातचीत के लिए भी तैयार हैं। वह राहुल गांधी से भी बातचीत को तैयार हैं। बाबा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी नरम रूख दिखाया। बाबा ने कहा कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिक ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। योग गुरू ने कहा कि हमने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर भी कोई सवाल नहीं उठाया और न आगे भी उठाएंगे।
अन्ना के सामाजिक आंदोलन के साथ
योग गुरू ने एक बार फिर साफ कर दिया कि वह अन्ना हजारे के राजनीतिक एजेंडे के साथ नहीं है। बाबा ने कहा कि वह अन्ना के सामाजिक आंदोलन के साथ है और आगे भी रहेंगे। बाबा ने इशारों ही इशारों में टीम अन्ना पर भी निशाना साधा। बाबा ने कहा कि वह टीम अन्ना पर कोई बयान नहीं देंगे क्योंकि इससे अनावश्यक विवाद पैदा हो सकता है।
लोकपाल पर दिखाया लचीला रूख
बाबा ने लोकपाल के मसले पर अन्ना हजारे और उनकी टीम के कड़े रूख से अलग नरम रूख दिखाया। बाबा ने कहा कि लोकपाल पर अडियल रूख नहीं अपनाना चाहिए। यह कहना गलत है कि जैसा हम चाहते हैं वैसा ही विधेयक पारित हो। अगर लोकपाल पर शत प्रतिशत सहमति नहीं बन पाती है तो भी विधेयक पारित होना चाहिए। 99 फीसदी लोकपाल भी चलेगा। जरूरत पड़ने पर आगे संशोधन किया जा सकता है।
देश के संविधान में भी एक सौ संशोधन हो चुके हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए देश को मजबूत लोकपाल चाहिए..मजबूर या सरकारी लोकपाल नहीं। बाबा ने केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सितंबर तक लोकपाल बिल संसद में पेश कर सकती है। बाबा ने कहा कि लोकपाल बिल इसी सत्र में पारित किया जाए। मजबूत लोकपाल किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। मजबूत लोकपाल से भ्रष्टाचारियों को दंड मिलेगा। उन्होंने कहा कि लोकपाल की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। लोकपाल के पूरे होने का वक्त आया है।
बाबा की प्रमुख मांगे
1.शिक्षा में बच्चों को सदाचार सिखाएं
4.केन्द्र और राज्य सिटीजन चार्टर लागू करें
5.सीवीसी,सीईसी,सीबीआई,कैग की नियुक्ति में विपक्ष साथ हो
बापू को किया नमन
बाबा रामदेव अहमदाबाद से गुरूवार सुबह दिल्ली पहुंचे। बाबा सबसे पहले राजघाट गए। जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर राजघाट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। इस कारण बाबा को कुछ समर्थकों के साथ ही अंदर जाने दिया गया।
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