गुरुवार, 23 अगस्त 2012

क्षमापना से चित्त विशुद्धि होती है: आचार्य


क्षमापना से चित्त विशुद्धि होती है: आचार्य


बालोतरा क्षमापना से चित्त में आह्लाद का भाव पैदा होता है और आह्लाद भावयुक्त भाव व्यक्ति मैत्री भाव को पैदाकर भाव विशुद्धि कर निर्भय को प्राप्त कर लेता है। क्षमायाचना से चित्त की विशुद्धि होती है। क्षमा बड़प्पन का लक्षण है। क्षमापना दिवस पर ये मंगल वक्तव्य धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने दिए।

उन्होंने कहा कि जीवन में अनेक व्यक्तियों से संपर्क होता है तो कटुता भी आ सकती है। कटुता आने पर मन को जल्दी ही ही साफ कर लेना चाहिए और संवत्सरी पर तो अवश्य ही कर लेना चाहिए। आचार्य ने कहा कि मेरा अनेक व्यक्तियों से काम पड़ता है। सामने वालों के मेरा निर्णय या उत्तर मनोनुकूल हो या नहीं, पर मेरा कर्म बंधन तो होता ही है। उन्होंने पिछली संवत्सरी (जो केलवा में मनाई गई थी) से लेकर इस संवत्सरी तक दी गई आलोचनाओं व कड़ाई के कदाचित प्रयोग के लिए क्षमायाचना की। आचार्य ने साध्वी प्रमुखा के लिए कहा कि मुझे तो गढ़ी-गढ़ाई, बनी-बनाई अनुभवी साध्वी प्रमुखा मिली है। इनसे मैं क्षमायाचना करता हूं। मंत्री मुनि के बारे कहा कि ये पद सम्मान की दृष्टि से पहले नंबर पर है। ये बहुत विद्वान है, चिंतनशील है। आचार्य ने मंत्री मुनि को आसन से उठकर क्षमायाचना की।

इसी क्रम में आचार्य ने मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा, रत्नाधिक संतों, साध्वी समाज, संत समाज, समण श्रेणी, मुमुक्षु भाई-बहनों, श्रावक-साध्वियों, जैन संप्रदाय के आचार्य, उपाध्याय, साधु-साध्वियों, अजैन लोगों से, धर्मगुरुओं से, मुनियों से केंद्रीय व स्थानीय संस्थाओं के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से खमत-खामणा की। निश्छलता व प्रमोद भावना के साथ क्षमापना करने पर समस्त साधु-साध्वी समाज भी धन्यता की अनुभूति कर रहा था कि उन्हें तेरापंथ धर्मसंघ और ऐसे महातपस्वी क्षमाशूर गुरु प्राप्त हुए। आचार्य के इस भाव विह्वल कर देने वाले अमृतवर्षण से हजारों की तादाद में उपस्थित जनभेदनी की मानो ग्रंथियां धुल कर खत्म हो रही है। हर कोई बिना पलकें झपकाएं एकटक अपने आराध्य की सहजता व सरलता से अभिभूत हो रहा था।

कार्यक्रम में मंत्री मुनि सुमेरमल, संघ महा निदेशिका साध्वी प्रमुखा श्री, कनकप्रभा, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा का क्षमापना दिवस पर उद्बोधन हुआ। मुनि दिनेश कुमार ने औरों से ले क्षमा स्वयं औरों को करें प्रणाम रे.... गीत का संगान किया। इस मौके संतों ने साध्वियों से और साध्वियों ने संतों से खमत-खामणा करते हुए आध्यात्मिक विकास की मंगल कामना की।

तप की बही बयार, महाश्रमण खेवनहार: आचार्य की सन्निधि में संवत्सरी के सुअवसर पर लगभग 1400 अष्ट प्रहरी पौषध, लगभग 206प्रहरी पौषध, लगभग 4612 प्रहरी पौषध व हजारों की संख्या में चार प्रहरी पौषध के साथ 215 अठाइयां व अठाई से ऊपर की तपस्याएं हुई, जिनका खमत-खामणा वाले दिन पारणा हुआ। मुनि पृथ्वीराज के 23 की तपस्या चल रही है और भाव आगे भी प्रवद्र्धमान है। साध्वीश्री के संथारा के संवत्सरी तक सात दिन हो चुके हैं।

क्षमापना दिवस पर आचार्य महाश्रमण से की खमत-खामणा

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