इंडिया गेट पर ही बनेगा "राष्ट्रीय युद्ध स्मारक"
नई दिल्ली। आजादी के पैंसठ साल बाद आखिरकार उन शहीदों को नमन करने के लिए इंडिया गेट के पास युद्ध स्मारक बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है जिन्होंने 1947 के बाद हुई लड़ाइयों में अपने प्राणों की आहूति दी।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की कि इंडिया गेट के पास युद्ध स्मारक बनने की ज्यादातर अड़चने दूर हो गई हैं। लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले सेना के सूबेदार मेजर विजय कुमार को 30 लाख रूपए का ईनाम देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए एंटनी ने कहा कि युद्ध स्मारक के निर्माण की अधिकांश बाधाएं दूर हो गई हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि शहरी विकास मंत्रालय भी युद्ध स्मारक के लिए उस जगह पर राजी हो गया है जो इंडिया गेट के प्रांगण में सैन्य बलों ने मांगी थी। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर अब 21 अगस्त को होने वाली बैठक के बाद एक अंतिम बैठक होगी जिसमें केबिनेट के लिए नोट तैयार किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि तीनों सेनाओं की इस संयुक्त परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए वास्तुशिल्प विशेषज्ञों से स्मारक का डिजाइन तैयार कराया जाएगा और केबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद युद्ध स्मारक के निर्माण को तेजी से पूरा कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि विश्व युद्ध में शहीद हुए अनाम भारतीय सैनिकों की याद में तो अंग्रेजों ने इंडिया गेट के रूप में युद्ध स्मारक बना दिया था लेकिन आजादी के बाद की पांच लड़ाइयों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक आज तक नहीं बन पाया है। आजादी के पैंसठ साल बीतने के बावजूद उस परियोजना को अभी अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका है जिसकी परिकल्पना 1965 में की गई थी।
नई दिल्ली। आजादी के पैंसठ साल बाद आखिरकार उन शहीदों को नमन करने के लिए इंडिया गेट के पास युद्ध स्मारक बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है जिन्होंने 1947 के बाद हुई लड़ाइयों में अपने प्राणों की आहूति दी।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की कि इंडिया गेट के पास युद्ध स्मारक बनने की ज्यादातर अड़चने दूर हो गई हैं। लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले सेना के सूबेदार मेजर विजय कुमार को 30 लाख रूपए का ईनाम देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए एंटनी ने कहा कि युद्ध स्मारक के निर्माण की अधिकांश बाधाएं दूर हो गई हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि शहरी विकास मंत्रालय भी युद्ध स्मारक के लिए उस जगह पर राजी हो गया है जो इंडिया गेट के प्रांगण में सैन्य बलों ने मांगी थी। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर अब 21 अगस्त को होने वाली बैठक के बाद एक अंतिम बैठक होगी जिसमें केबिनेट के लिए नोट तैयार किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि तीनों सेनाओं की इस संयुक्त परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए वास्तुशिल्प विशेषज्ञों से स्मारक का डिजाइन तैयार कराया जाएगा और केबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद युद्ध स्मारक के निर्माण को तेजी से पूरा कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि विश्व युद्ध में शहीद हुए अनाम भारतीय सैनिकों की याद में तो अंग्रेजों ने इंडिया गेट के रूप में युद्ध स्मारक बना दिया था लेकिन आजादी के बाद की पांच लड़ाइयों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक आज तक नहीं बन पाया है। आजादी के पैंसठ साल बीतने के बावजूद उस परियोजना को अभी अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका है जिसकी परिकल्पना 1965 में की गई थी।
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