रविवार, 26 अगस्त 2012

यहां लगती हैं कुंवारी लड़कियों की बोलियां!

भोपाल।क्या कोई अपनी बेटी को देह बेचने के लिए प्रेरित करेगा? निःसंदेह नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश के पचासों गांवों में ऐसा गंदा काम हो रहा है। देह बेचकर घर-बार चलाना उनकी मजबूरी है, जो परंपरा बनकर वर्षों से चली आ रही है।
तस्वीरों में देखिए, यहां लगती हैं कुंवारी लड़कियों की बोलियां! 
कई गांवों में सिर्फ बेटियों से ही देह व्यापार कराया जाता है, बहूओं को इससे दूर रखते हैं। बेड़िया जाति का परंपरागत नृत्य राई भी इसी कारण से बदनाम हुआ है। इसकी आड़ में देह व्यापार किया जाता है। बेड़िया जाति की इसी राई नृत्य और देह व्यापार परंपरा पर जीटी चैनल पर इन दिनों एक सीरियल फिर सुबह होगी प्रसारित हो रहा है।
मध्यप्रदेश के रायसेन, विदिशा, राजगढ़ जिले में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां खुलेआम देह-मंडी सजती है। यहां रहने वालीं नट, बेड़िया, बछड़ा, कंजर और सांसी जाति के तमाम महिलाएं अपने परिवार का पेट भरने वेश्यावृत्ति करती हैं।

यह उनकी मजबूरी भी है और अशिक्षा और जागरुकता के अभाव में वर्षों से चली आ रही एक गंदी परपंरा भी। हैरानी की बात यह है कि यहां के मर्द स्वयं अपने घर की महिलाओं को देह व्यापार में उतारते हैं। इसका उन्हें कोई पछतावा भी नहीं होता।
राजधानी से सटे रायसेन जिले के तमाम गांवों में भी देह व्यापार रोजी-रोटी का मुख्य जरिया है। यहां के गांव सूखा और पठारी में बेड़िया जाति की नाबालिग लड़कियां ऊंची रेट पर बेची जाती हैं।

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