मेले में खूब बिक रहा बाबा का तंदूरा
रामदेवरा तारों की झनकार व सुरों से खेलती अंगुलियों पर वीणा को कसौटी पर तौलते भजन गायकों एवं धर्मपरायण लोग वर्षों से तंदुरा निर्माण एवं विक्रय करने वाले रूपा राम पूनाराम सुथार के पास परखते नजर आते हैं। लगभग तीन पीढिय़ों से इस पारंपरिक कार्य में जुटे सुथार अपने जीवन के अस्सी के दशक में आज भी काम में प्रति समर्पित नजर आ रहे हैं। लगभग तीन पीढिय़ों से इस पारंपरिक कार्य में जुटे सुथार अपने जीवन के अस्सी के दशक में आज भी काम के प्रति समर्पित नजर आ रहे हैं। कस्बे में स्टॉल लगाकर वीणा विक्रय के साथ निर्माण एवं पुराने मीणाओं की मरम्मत का कार्य भी करते हैं।
बाबा की प्रिय रहा है तंदुरा: स्थानीय भाषा में तंदुरा शब्द से जाने वाली वीणा बाबा रामदेव व उसके अनुयाइयों की सदैव प्रिय रही है। किवदंती अनुसार बाबा रामदेव अपने जीवन काल में इसी तंदूरे की झनकार एवं इसकी छाप पर हरि गुण गाया करते थे। लोगों को सद्मार्ग एवं सच्चाई पर चलने के प्रेरित करते थे। यही कारण है कि आज भी उनके जम्मा जागरण में भजन गायन के साथ वाद्ययंत्रों में तंदुरा प्रमुखता से होता है।
पांच दिन में बनता है तंदुरा : तंदुरा निर्माण व्यवसाय से तीन पीढिय़ों से जुड़े केतु कलां जोधपुर निवासी रूपा राम पूनाराम सुथार ने बताया कि वीणा निर्माण के लिए पांच दिन का समय लगता है। शौकिया लोगों के लिए छोटी वीणा दो दिन में भी तैयार की जाती है। वीणा निर्माण में रोहिड़ा पेड की लकड़ी व लोहे के तार काम में लिए जाते हैं।
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