मानसून की लेट लतीफी ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। गत वर्ष जहां 15 जून के आस-पास मानसून सक्रिय हो गया था। वहीं इस बार जुलाई माह शुरू होने के बाद भी मानसून ने अभी तक दस्तक नहीं दी है, जिससे खरीफ की फसल की बुवाई नहीं हो सकी है। अब खरीफ की फसल की बुआई का ठीक समय है, मगर बारिश न होने के कारण कई किसानों ने खेतों की जुताई तक नहीं की है। कृषि विभाग का मानना है कि खरीफ की फसल को पकने में तीन माह का समय लगता है। यदि 15 जुलाई तक मानसून सक्रिय नहीं हुए तो खरीफ की फसल पर संकट के बादल छा सकते है। क्योंकि खरीफ की फसल की बुवाई का समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है। जबकि अभी तक क्षेत्र में कई जगह तो जुताई तक नहीं हुई है।
तापमान में 3 डिग्री गिरावट, आसमान में छाए रहे बादल
खेतों में पसरा सन्नाटा, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
बादलों ने थामी पारे की रफ्तार बारिश की उम्मीद हुई प्रबल
बीते कई पखवाड़े से भीषण गरमी और लू से परेशान लोगों को आखिरकार बुधवार दोपहर बाद राहत मिली। दोपहर तीन बजे से शुरू हुए बादलों के जमावड़े ने पारे की रफ्तार को थाम लिया। साथ ही मंद-मंद बयारें चलने से तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को अधिकतम तापमान 42.6 दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 28.6 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान में गिरावट की वजह से दोपहर बाद लोगों को उमस से भी राहत मिली। दिन में हवाएं चलने से पारे की रफ्तार बढऩे की बजाय कम हुई है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक गुजरात से केरल के बीच बना हवाओं का एक सिस्टम बुधवार को भी सक्रिय रहा। दूसरी तरफ उत्तर-पूर्वी अरब सागर के ऊपर एक अपर एयर सर्कुलेशन एक्टिव है। साथ ही बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी एक अपर एयर सर्कुलेशन एक्टिव हो गया है। इसके अलावा उत्तर-पश्चिमी राज-स्थान के ऊपर हवाओं का एक टर्फ सक्रिय है। इन सिस्टमों के प्रभाव के चलते राजस्थान में अगले 48 घंटों में बारिश होने के आसार हैं। हालांकि, एक-दो इलाकों को छोड़कर सभी में तेज बारिश होने की संभावना नहीं है।
कैसे सहज जाएंगे खेत बारिश का पानी
मानसून के अभाव में अधिकांश खेतों में अभी तक किसानों ने जुताई का कार्य शुरू नहीं किया है। ऐसे में बारिश को खेत कैंसे सहज पाएंगे। यहीं चिंता किसानों को इन दिनों सता रही है। नियमानुसार मानसून सक्रिय होने से एक पखवाड़े पहले खेतों की गहरी जुताई होना आवश्यक है। किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल के लिए खेतों की जुताई करीब एक फुट से नौ इंच गहरी होना आवश्यक है। मगर, बिना बारिश के निर्धारित जुताई होना असंभव नजर आ रहा है। वहीं किसान अभी तक परम्परा गत रूप से हर वर्ष भांति मानसून की बाट जोह रहे है। जबकि अभी तक बारिश नहीं होने से भूमि भी कठोर बनी हुई है। जिस पर हलों का चलना संभव नहीं दिखाई देता। वैसे तो किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई के लिए खाद, बीज व अन्य सामग्री खरीद कर रख ली है, ताकि बारिश होते ही खेतों की जुताई के साथ बुवाई शुरू की जा सके।
तापमान में 3 डिग्री गिरावट, आसमान में छाए रहे बादल
खेतों में पसरा सन्नाटा, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
बादलों ने थामी पारे की रफ्तार बारिश की उम्मीद हुई प्रबल
बीते कई पखवाड़े से भीषण गरमी और लू से परेशान लोगों को आखिरकार बुधवार दोपहर बाद राहत मिली। दोपहर तीन बजे से शुरू हुए बादलों के जमावड़े ने पारे की रफ्तार को थाम लिया। साथ ही मंद-मंद बयारें चलने से तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को अधिकतम तापमान 42.6 दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 28.6 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान में गिरावट की वजह से दोपहर बाद लोगों को उमस से भी राहत मिली। दिन में हवाएं चलने से पारे की रफ्तार बढऩे की बजाय कम हुई है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक गुजरात से केरल के बीच बना हवाओं का एक सिस्टम बुधवार को भी सक्रिय रहा। दूसरी तरफ उत्तर-पूर्वी अरब सागर के ऊपर एक अपर एयर सर्कुलेशन एक्टिव है। साथ ही बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी एक अपर एयर सर्कुलेशन एक्टिव हो गया है। इसके अलावा उत्तर-पश्चिमी राज-स्थान के ऊपर हवाओं का एक टर्फ सक्रिय है। इन सिस्टमों के प्रभाव के चलते राजस्थान में अगले 48 घंटों में बारिश होने के आसार हैं। हालांकि, एक-दो इलाकों को छोड़कर सभी में तेज बारिश होने की संभावना नहीं है।
कैसे सहज जाएंगे खेत बारिश का पानी
मानसून के अभाव में अधिकांश खेतों में अभी तक किसानों ने जुताई का कार्य शुरू नहीं किया है। ऐसे में बारिश को खेत कैंसे सहज पाएंगे। यहीं चिंता किसानों को इन दिनों सता रही है। नियमानुसार मानसून सक्रिय होने से एक पखवाड़े पहले खेतों की गहरी जुताई होना आवश्यक है। किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल के लिए खेतों की जुताई करीब एक फुट से नौ इंच गहरी होना आवश्यक है। मगर, बिना बारिश के निर्धारित जुताई होना असंभव नजर आ रहा है। वहीं किसान अभी तक परम्परा गत रूप से हर वर्ष भांति मानसून की बाट जोह रहे है। जबकि अभी तक बारिश नहीं होने से भूमि भी कठोर बनी हुई है। जिस पर हलों का चलना संभव नहीं दिखाई देता। वैसे तो किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई के लिए खाद, बीज व अन्य सामग्री खरीद कर रख ली है, ताकि बारिश होते ही खेतों की जुताई के साथ बुवाई शुरू की जा सके।
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