देखिये तस्वीरें पूर्व सैनिकों का कल्याण स्थायी सहायता
सरकार ने पूर्व सेनाकर्मियों के कल्याण की योजनाओं में सुधार लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए पिछले तीन वर्षों में कई कदम उठाये गए हैं। इनमें 2200 करोड़ रूपये प्रति वर्ष तक के प्रत्यक्ष लाभ शामिल हैं। छठे केन्द्रीय वेतन आयोग के कि्रयान्वयन के बाद मिलने वाले लाभों के अतिरिक्त सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए पेंशन में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।
छठे केन्द्रीय वेतन आयोग की स्वीकृति के बाद सशस्त्र बलों से संबंधित पेंशन और अन्य मामलों पर विशेष रूप से विचार करने के लिए एक समिति गठित की गई थी, जिसके अध्यक्ष मंत्रिमंडलीय सचिव थे। इस समिति ने 30 जून, 2009 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इस समिति की 7 प्रमुख अनुशंसाओं को सरकार ने लागू कर दिया है जिसके लिए 2200 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष खर्च किए जाऐंगे। इस राशि के एक बड़े हिस्से के रूप में 1636 करोड़ रूपये तक की रकम वर्ष 2006 में मंत्रि समूह की सिफ़ारिशों के आधार पर अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों की पेंशन में और सुधार लाने के लिए खर्च की गई।
पूर्व सेनाकर्मियों की एक दीर्घकालीन मांग को स्वीकार करते हुए सरकार ने 1997 के पहले और बाद के अधिकारी रैंक के नीचे के पेंशन भोगियों के बीच समानता लाने के लिए 470.66 करोड़ रूपए की एक और राशि निर्धारित की थी। इस मंत्रिमंडलीय सचिव समिति द्वारा अनुशंसित अन्य कल्याणकारी उपायों, जिनकों 01 जनवरी, 2006 से जुड़ने वाले लाभों के साथ सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थीं, में 33 वर्षों के साथ पूर्ण पेंशन के लिंकेज को खत्म करने, अधिकारी स्तर से नीचे के कर्मिंयों के लिए वर्गीकरण भत्ता शामिल करना, लेफि्टनेन्ट जनरल के लिए कए अलग वेतनमान तैयार करने के साथ उनके पेंशन में संशोधन करना, 01 जनवरी, 2006 के पहले अपंग/युद्ध के दौरान चोटिल पेंशन प्राप्तकर्ताओं के लिए अपंगता/युद्ध के दौरान चोट से संबंधित पेंशन के प्रतिशत की श्रेणियां व्यापक बनाना और ॔ई’ श्रेणी से संबंधित अपंग पेंशन प्राप्तकर्ताओं की स्थिति में पेंशन में युद्ध के दौरान चोट वाले घटक पर नियंत्रण को खत्म करना शामिल है।
पूर्व सेनाकर्मियों की सुविधा के लिए महानियंत्रक रक्षा लेखा ;कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट्सद्ध की वेबसाइट ूण्बपिकंण्दपबण्पद पर पिछले वर्ष से सुविज्ञा नामक एक सरल एवं बहुउपयोगी साफ्टवेयर जोड़ा गया है। इसकी सहायता से पेंशन प्राप्तकर्ता अपनी पेंशन की गणना एवं जांच खुद कर सकते हैं। यदि पेंशन में कोई त्रुटि नजर आती है तो वे संबंधित पीसीडीए को उससे अवगत करा सकते हैं। इसके अलावा जिला सैनिक बोर्ड में पूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा समयसमय पर लगाए जाने वाले विशेष शिविरों के द्वारा भी अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। पूर्व सैनिक कल्याण विभाग की जल्दी ही शुरू होने वाली वेबसाइट के जरिए भी पूर्व सैनिकों के साथ सतत आनलाइन सम्पर्क बनाया जा सकेगा और उनकी समस्याओं का समाधान भी तलाशा जा सकेगा।
अधिकतम पेंशन के फलस्वरूप प्रत्यक्ष मौद्रिक लाभ के अलावा, पूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने कई अन्य महत्वपूर्ण व कल्याणकारी कदम उठाए हैं। खास बात यह है कि अब इस विभाग का नेतृत्व सचिव स्तर के अधिकारी को सौंपा गया है। सौ प्रतिशत अशक्तता के कारण सेना से पृथक किए गए सशस्त्र सेना कर्मियों के लिए बीते साल 1 अप्रैल से 9 लाख की क्षतिपूर्ति राशि मंजूर की गई है। 2 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक की अशक्तता के लिए यह राशि अशक्तता की स्थिति के मुताबिक कम होती जाती है। सशस्त्र सेना कर्मियों की नि:संतान विधवाओं ;वीर नारियोंद्ध के लिए फैमिली पेंशन को कुछ शर्तों के साथ उसी तिथि से पुनः शुरू कर दिया गया है। दरअसल यह पेंशन अब तक वीर नारियों के पुनर्विवाह की स्थिति में बंद कर दी जाती थी। इसका लाभ 1 जनरी 2006 से पहले शहीद हुए अधिकारियों एवं पीबीओआर दोनों की वीर नारिकयों को मिलेगा।
पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना ;म्ब्भैद्ध, पूर्व सैनिक कल्याण विभाग को ऐसा ही एक आदर्श कदम है जिसने प्राथमिक चिकित्सा देखभाल से लेकर विशेषज्ञतापूर्ण उपचार की सुविधा देश के कोनेकोने में फैले पूर्व सैनिकों तक आसानी से पहुंचा दी है। यही नहीं, ईसीएचएस का लाभ पूर्व सैनिकों के साथसाथ वीर नारियों और उनके आश्रितों को भी मिल रहा है। लगभग 39 लाख पूर्वसैनिक और उनके आश्रित फिलहाल ईसीएचएस से जुड़ी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। ईसीएचएस को मिल रही शानदार सफलता से उत्साहित सरकार ने अक्तबर 2010 में 199 अतिरिक्त ईसीएचएस पालीक्लिनिक खोलने को मंजूरी दी है ताकि चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और भी ज्यादा पूर्व सैनिकों तक किया जा सके। अभी तक ईसीएचएस पालीक्लिनिक की संख्या 277 है। नए खुलने वाले 199 पालीक्लिनिक में से 61 तो मार्च के अन्त तक काम करने लगे हैं।
इस वर्ष ईसीएचएस को और व्यापक बनाने के लिए, सरकार ने जनवरी में फैसला लिया है कि अब इन सुविधाओं का विस्तार नेपाल तक किया जाएगा ताकि नेपाली मूल के उन पूर्व सैनिकों को भी इसका लाभ मिल सके जो वहां बस गए हैं। इसका लाभ नेपाल में रहने वाले ाई लाख से ज्यादा गोरखा ;छक्ळद्ध और उनके आश्रितों को मिलेगा।
एक अन्य कल्याणकारी उपाय के रूप में सरकार ने पिछले साल अक्तूबर से वीर नारियों, युद्ध निशक्तों तथा इस श्रेणी में आने वाले अन्य अशक्त सैनिकों के बच्चों के लिए युद्ध स्मारक छात्रावास सहायता राशि 900 रू से ब़ाकर 1350 रू प्रति रहवासी कर दी है। निशक्तता की उपरोक्त श्रेणी में नहीं आने वाले मामलों में यह राशि 450 से ब़ाकर 675 रू की गई है।
योजना
पुरानी दर
नई दर
टिप्पणी
निर्धनता
अनुदान
एक बार में एक मुश्त 30,000 रू या दो साल तक 500 रू प्रति माह
जीवन पर्यन्त 1000 रू
प्रति माह
हवलदार रैक तक के नानपेंशनर के लिए 65 वर्ष तथा अधिक तक
शैक्षणिक अनुदान
लड़के की ़2 तक
200 रू
प्रति माह
1000 रू प्रति माह
बिना किसी लिंगभेद के स्नातक तक
लड़कियां को ़2 तक
400 रू
प्रति माह
लड़कियां को स्नातक तक
600 रू
प्रति माह
विधवा स्नातकोत्तर तक
200 रू प्रति माह
निशक्त बच्चा अनुदान
500 रू प्रति माह
1000 रू प्रति माह
हवलदार रैक तक पेशनर /नानपेंशनर
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