शनिवार, 21 जुलाई 2012

क्षण-क्षण कमजोर हो रहा सोनार

क्षण-क्षण कमजोर हो रहा सोनार
जैसलमेर। आग लगने पर कुआं खोदने की कहावत पुरातत्व विभाग पर एकदम सटीक बैठती है। गत वर्ष बारिश के दिनो मे जैसलमेर मे गोपा चौक पुलिस चौकी के पास बनी दीवार के ढहने से बंद हुए रास्ते के बाद साल भर तक इस दीवार को दुुरूस्त करने की जहमत नहीं उठाई गई।

अब बारिश के दिनो मे एक बार फिर पुरातत्व विभाग को इस दीवार की सुध लेने की याद आई है और पिछले कुछ दिनों से कछुआ चाल से निर्माण कार्य चल रहा है। विभाग को डर है कि कहीं खुदा -न -खास्ता बरसात ज्यादा हो गई और किले को कहीं नुकसान पहुंच गया तो जवाब देना भारी पड़ जाएगा।

दूसरी ओर कलात्मक सुंदरता व ऎतिहासिक स्थलों के कारण विश्वस्तरीय पहचान बना चुका जैसलमेर का यह किला दोषपूर्ण सीवरेज व्यवस्था और विफल जलमल निकासी के कारण क्षण-क्षण कमजोर हो रहा है। दुर्ग के परकोटे की दीवारों के जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग ने जो कवायद शुरू की है वह पांच बरसातें निकल जाने पर भी पूरी नहीं हो पाई है। जल रिसाव के कारण परकोटे के ऊपर का भाग (पट्ठा) कुछ जगह कट गया है। नगरपरिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या-चार के रूप में पहचाने जाने वाले इस विश्व धरोहर में 584 परिवार व 377 नल कनेक्शन है। हर दिन सीवरेज व जल-मल निकासी के कारण किले के परकोटे की दीवारों से बह रहे पानी के कारण "सोनार" में सीलन बढ़ रही है।

उधर, यहां रहने वाले ये परिवार किसी भी सूरत में किले से बाहर बसने के बारे में नहीं सोचते, लेकिन उनका यहां रहना भी मुश्किल हो गया है। इस लिविंग फोर्ट के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले जिम्मेदार कारणों को सुधारने का रास्ता करीब पौने तीन साल पहले निकाला गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने सोनार किले का सर्वे कर सम्भावनाएं भी तलाशी, लेकिन योजना को अमलीजामा आज तक नहीं पहनाया गया है।

सर्वे अनेक, मिला ठेंगा
इसी तरह किले मे सीवरेज की पाइपलाइन बदलकर "इक्टाइल आयरन" पाइपलाइन लगाने की योजना भी खटाई में है। आरयूआईडीपी की ओर से सोनार किले मे सीवरेज व ड्रेनेज व्यवस्था की खामी को दूर करने के लिए 10 करोड़ रूपए खर्च करने की भी योजना है। योजना की स्वीकृति के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल की ओर से सोनार किले का कई बार सर्वे कर सम्भावनाएं तलाशी गई है, लेकिन योजना आज तक मूर्तरूप नहीं ले पाई। हालत यह है कि दुर्ग की दीवारों में सीवरेज, पाइपलाइन व घरेलू नालियों के रिसाव के कारण सीलन आ गई है। (कासं)

हादसों से भी नहीं लिया सबक
सोनार में आ रही सीलन के कारण दुर्ग के परकोटे की दीवारें गिरने व मकान धाराशाही होने की घटनाएं पूर्व में हो चुकी हैं। लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की नींद आज तक नहीं टूटी है। गत बारिश के दिनो मे पुलिस चौकी के सामने दीवार एकाएक ढह गई थी, लेकिन उस समय मार्ग पर कोई मौजूद नहीं होने से हादसा टल गया था। उस घटना को यहां के बाशिंदे आज भी अपने जेहन से निकाल नहीं पाए हैं। इसी तरह करीब 14 साल पहले गोपा चौक में किले की दीवार ढहने से चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इससे पूर्व सोनार किले में रानी महल, रणछोड़ मंदिर के छज्जे, गणेश प्रोल के पत्थर गिरने व दर्जनों मकान धराशाही होने की घटनाएं हो चुकी हैं।


आरयूआईडीपी के अभियंता बताते हैं कि सोनार किले में प्रयुक्त पत्थर चट्टानी होने के कारण अधिक पानी सहन नहीं कर सकता। इस कारण इसमें सीलन आ जाती है। वर्ष 1996 में सोनार किले में सीवरेज प्रणाली को शुरू किया गया था। तब से यह प्रणाली नाकारा साबित हुई। इसका असर दुर्ग की कलात्मक सुंदरता व पीले पत्थरों पर पड़ा है।

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