खुद जसवंत को है जीत का भरोसा
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को यकीन है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के बहाने एनडीए का कुनबा बढ़ाने में मदद मिलेगी। सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए में जो थोड़ा बहुत बिखराव हुआ था,वो अब एकजुट हो गया है। दिल्ली में उनके आवास पर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक से विशेष साक्षात्कार में सिंह उम्मीदों से भरे नजर आए।
एनडीए ने 16 जुलाई को सर्वसम्मति से जसवंत सिंह को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। भैरोंसिंह शेखावत के बाद सिंह राजस्थान से दूसरे उम्मीदवार होंगे। शेखावत तो एनडीए सरकार के वक्त उपराष्ट्रपति बन गए थे, लेकिन सिंह के लिए वोटों का गणित इतना आसान नहीं है। सिंह ने कहा कि उम्मीदवार हूं इसलिए उम्मीद लेकर चल रहा हूं।
सिंह मानते हैं कि नम्बर गेम मुश्किल और कठिन है। यह दिख भी रहा है, लेकिन चुनाव मात्र आंकड़ों का चुनाव नहीं हैं। इन चुनावों में आंकड़ों से परे सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का गणित नेगेटिव है, क्या वो पॉजिटिव हो सकता है, ये वक्त बताएगा। क्या राष्ट्रपति चुनाव में संगमा का साथ देकर एनडीए ने गलती की, के सवाल पर जसवंत सिंह ने कहा कि एनडीए और बीजेपी नहीं चाहते थे कि यूपीए को वॉकओवर दिया जाए।
पहले कलाम को उम्मीदवार बनाना चाहते थे, उनके इनकार के बाद संगमा को समर्थन देने का फैसला किया गया। सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर यूपीए और एनडीए दोनों में बिखराव आ गया था। अब यूपीए ने अपना घर संभाल लिया है। सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वे उनसे वोट मांगेंगे जिन्होंने पहले समर्थन किया था और अब भी तैयार हैं। एनडीएके पुराने सहयोगी रहे एआईडीएमके की नेता जयललिता, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी और बीएसपी की मायावती से भी वो समर्थन की अपील करेंगे।
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को यकीन है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के बहाने एनडीए का कुनबा बढ़ाने में मदद मिलेगी। सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए में जो थोड़ा बहुत बिखराव हुआ था,वो अब एकजुट हो गया है। दिल्ली में उनके आवास पर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक से विशेष साक्षात्कार में सिंह उम्मीदों से भरे नजर आए।
एनडीए ने 16 जुलाई को सर्वसम्मति से जसवंत सिंह को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। भैरोंसिंह शेखावत के बाद सिंह राजस्थान से दूसरे उम्मीदवार होंगे। शेखावत तो एनडीए सरकार के वक्त उपराष्ट्रपति बन गए थे, लेकिन सिंह के लिए वोटों का गणित इतना आसान नहीं है। सिंह ने कहा कि उम्मीदवार हूं इसलिए उम्मीद लेकर चल रहा हूं।
सिंह मानते हैं कि नम्बर गेम मुश्किल और कठिन है। यह दिख भी रहा है, लेकिन चुनाव मात्र आंकड़ों का चुनाव नहीं हैं। इन चुनावों में आंकड़ों से परे सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों का गणित नेगेटिव है, क्या वो पॉजिटिव हो सकता है, ये वक्त बताएगा। क्या राष्ट्रपति चुनाव में संगमा का साथ देकर एनडीए ने गलती की, के सवाल पर जसवंत सिंह ने कहा कि एनडीए और बीजेपी नहीं चाहते थे कि यूपीए को वॉकओवर दिया जाए।
पहले कलाम को उम्मीदवार बनाना चाहते थे, उनके इनकार के बाद संगमा को समर्थन देने का फैसला किया गया। सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर यूपीए और एनडीए दोनों में बिखराव आ गया था। अब यूपीए ने अपना घर संभाल लिया है। सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वे उनसे वोट मांगेंगे जिन्होंने पहले समर्थन किया था और अब भी तैयार हैं। एनडीएके पुराने सहयोगी रहे एआईडीएमके की नेता जयललिता, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी और बीएसपी की मायावती से भी वो समर्थन की अपील करेंगे।
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