मुंबई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बिल्डर निरंजन हीरानंदानी और नगर विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी बेंजामिन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
एक आवास घोटाले में विशेष अदालत ने एसीबी को दोनों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। अनुमान है इस आवास घोटाले में 45,000 करोड़ रुपए की गड़बड़ी हुई है।
विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश वीए दौलताबादकर ने दो दिन पहले एसीबी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने को कहा था।
यह एफआईआर सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर की शिकायत पर हीरानंदानी व बेंजामिन और दूसरे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई है।
पुलिस अधिकारी से वकील बने वाई पी सिंह और वकील किरण भालेराव मिलकर दौंडकर की तरफ से इस मामले की पैरवी कर रहे हैं। सिंह के अनुसार 344 एकड़ जमीन पर बिल्डर को तीन करोड़ वर्ग फुट की एफएसआई मिली।सुपर बिल्ट-अप के तौर पर इसमें 40 फीसदी अधिक क्षेत्र का इजाफा भी होता है। 15000 वर्ग फुट के हिसाब से पूरे क्षेत्र का हिसाब करें तो यह घोटाला 45,000 करोड़ के आंकड़े को पार करता है। जबकि इसमें सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र नहीं जोड़ा गया है।
दौंडकर ने पहली बार 30 जून, 2011 को एसीबी में इसकी शिकायत दर्ज की थी, लेकिन मामले में एफआईआर दर्ज करने की बजाय एसीबी ने उसे राज्य सरकार के पास भेज दिया था। इसके बाद अप्रैल, 2012 में दौंडकर ने एसीबी की विशेष अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई।
2009 में हुई एक जांच बताती है कि सरकार ने निर्माण क्षेत्र के लिए जितनी जगह की मंजूरी दी थी, उसमें से सिर्फ एक हिस्से पर बिल्डर ने योजना के तहत सस्ते मकान बनाए, बाकी पूरी जगह पर उसने आलीशान मकान बनाकर उन्हें महंगी कीमतों पर बेचा व करोड़ों-अरबों की कमाई की।
दौंडकर का आरोप है कि सस्ते मकान बनाने की योजना के नाम पर हीरानंदानी ने पवई और अंधेरी इलाके में आने वाली 344 एकड़ जमीन का दुरुपयोग किया। सिंह ने बताया कि जैसे-जैसे जांच में और पहलुओं का खुलासा होता जाएगा।
यह बहुत बड़े जमीन घोटाले के रूप में सामने आएगा। इसमें कई नेताओं और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत है। भ्रष्टाचार का यह खेल पिछले 20 सालों से जारी है। सिंह का मानना है कि इस जमीन पर बने सैकड़ों मकान रिश्वत के रूप में नेताओं व बाबुओं में बांटे गए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें