धोरीमन्ना.जालोर हादसे के शिकार हुए धोरीमन्ना के कोजा गांव निवासी किशना राम मीरपुर (सांचौर) अपने ससुराल गया था। जहां बेटी व बेटे की शादी का निमंत्रण देकर घर लौट रहा था। उसकी बेटी की शादी 26 जून व बेटे की शादी 28 जून को तय कर रखी थी। किशना अपनी बेटी के हाथ पीले करने के बाद बेटे की शादी रचाने की जिम्मेदारी निभाने को आतुर था, मगर कुदरत को कुछ ओर ही मंजूर था। हादसे में मौत के बाद बेटी की डोली से पहले उसकी अर्थी उठ गई। विलाप करते बेहोश हो गई पत्नी व बेटी. कोजा गांव में किशना राम के घर शादी की तैयारियां चल रही थी। परिवार के सदस्य खुशियां मना रहे थे। जैसे ही किशना राम की मौत की सूचना मिली तो खुशियां का जश्न मातम में बदल हो गया। किशना की पत्नी व बेटी विलाप करते करते बेहोश हो गई। जिसे उपचार के लिए सीएचसी लाया गया। जहां काफी देर बाद दोनों को होश आया।मौत करीब थी, मगर हिम्मत नहीं हारी: दवा लेने गए थे मर्ज लेकर आए. बस में सवार कई यात्री को धनेरा व डीसा से दवा लेने गए थे। जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा है। मिठड़ा निवासी भंवराराम ने बताया कि वह डीसा दवा लेने गया था। दवा लेकर बस से घर लौट रहा था। वह बस में फाटक के पास बैठा था। हादसे के बाद फाटक जाम हो गया। वह यात्रियों के पैरों तले दब गया। काफी देर तक होश नहीं आया। बाद में जैसे तैसे भागते हुए अंतिम क्षणों में बाहर निकलने में सफलता मिली। भंसाली हॉस्पिटल सांचौर में भर्ती घायल वीरमाराम ने बताया कि वह अपने तीन साथियों के साथ धमाणा गांव में शोक सभा में गए थे। वहां से वे घर लौट रहे थे। बस हादसे के दौरान वह अपने एक साथी के साथ बस से निकल गए। लेकिन उसके एक साथी के बारे में अभी तक पता नहीं चला है।
रविवार, 17 जून 2012
बेटी की डोली से पहले उठी बाप की अर्थी!
धोरीमन्ना.जालोर हादसे के शिकार हुए धोरीमन्ना के कोजा गांव निवासी किशना राम मीरपुर (सांचौर) अपने ससुराल गया था। जहां बेटी व बेटे की शादी का निमंत्रण देकर घर लौट रहा था। उसकी बेटी की शादी 26 जून व बेटे की शादी 28 जून को तय कर रखी थी। किशना अपनी बेटी के हाथ पीले करने के बाद बेटे की शादी रचाने की जिम्मेदारी निभाने को आतुर था, मगर कुदरत को कुछ ओर ही मंजूर था। हादसे में मौत के बाद बेटी की डोली से पहले उसकी अर्थी उठ गई। विलाप करते बेहोश हो गई पत्नी व बेटी. कोजा गांव में किशना राम के घर शादी की तैयारियां चल रही थी। परिवार के सदस्य खुशियां मना रहे थे। जैसे ही किशना राम की मौत की सूचना मिली तो खुशियां का जश्न मातम में बदल हो गया। किशना की पत्नी व बेटी विलाप करते करते बेहोश हो गई। जिसे उपचार के लिए सीएचसी लाया गया। जहां काफी देर बाद दोनों को होश आया।मौत करीब थी, मगर हिम्मत नहीं हारी: दवा लेने गए थे मर्ज लेकर आए. बस में सवार कई यात्री को धनेरा व डीसा से दवा लेने गए थे। जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा है। मिठड़ा निवासी भंवराराम ने बताया कि वह डीसा दवा लेने गया था। दवा लेकर बस से घर लौट रहा था। वह बस में फाटक के पास बैठा था। हादसे के बाद फाटक जाम हो गया। वह यात्रियों के पैरों तले दब गया। काफी देर तक होश नहीं आया। बाद में जैसे तैसे भागते हुए अंतिम क्षणों में बाहर निकलने में सफलता मिली। भंसाली हॉस्पिटल सांचौर में भर्ती घायल वीरमाराम ने बताया कि वह अपने तीन साथियों के साथ धमाणा गांव में शोक सभा में गए थे। वहां से वे घर लौट रहे थे। बस हादसे के दौरान वह अपने एक साथी के साथ बस से निकल गए। लेकिन उसके एक साथी के बारे में अभी तक पता नहीं चला है।
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