रोहतक.बहुचर्चित ‘अपना घर’ मामले की जांच करने बुधवार को रोहतक पहुंची हाईकोर्ट द्वारा गठित टीम ने पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। टीम सदस्यों ने कहा कि ‘अपना घर’ में हैवानियत की सभी हदें पार हुई हैं। इससे पहले, टीम ने शहर के तीन आश्रमों का मुआयना कर वहां रह रहे बच्चों व महिलाओं से बातचीत की।
जांच टीम के सदस्य और जनहित याचिका दायर करने वाले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वकील उत्सव बैंस ने कहा कि हरियाणा पुलिस व स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने ‘अपना घर’ में रही सभी महिलाओं और बच्चों की पीजीआई चंडीगढ़ में जांच कराने को कहा था।
इसके बावजूद महज 8 चुनिंदा बच्चों की जांच करवाई गई। इनमें से दो के शारीरिक शोषण की पुष्टि हुई है। यह भी सामने आया है कि जसवंती बच्चियों को नशीले पदार्थ भी देती थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। पुलिस के लोग स्वयं ‘अपना घर’मामले में संलिघ्त हैं, इसलिए उनसे जांच या कार्रवाई की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
‘अपना घर’ के 21 सदस्यों का हाल पूछा
एडवोकेट उत्सव बैंस, अनिल मल्होत्रा, सुदीघ्ति शर्मा और पुनिता सेठी की टीम ने शहर की श्रीनगर कॉलोनी स्थित जन सेवा संस्थान में रह रही 10, गांधी कैंप स्थित सहारा आश्रम सेवा दल में 6 व गोहाना अड्डा स्थित लखीराम अनाथालय में 5 महिलाओं व बच्चों से पूछताछ की। टीम ने बुधवार को गुड़गांव, बहादुरगढ़ का दौरा किया। टीम ‘अपना घर’ से भिवानी में भेजी गई महिलाओं और बच्चियों से पूछताछ करेगी। इससे पहले इस मामले में यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत व करनाल में जांच हो चुकी है।
वीवीआईपी सुविधाओं पर उठे सवाल
टीम के सदस्य बैंस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जेल में बंद आरोपी जसवंती को कथित वीवीआईपी सुविधाएं दी जा रही हैं। इससे साफ है कि उसके संपर्क बड़े स्तर पर हैं। एडवोकेट उत्सव बैंस ने मांग की कि इस मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट हर सप्ताह हाईकोर्ट में पेश होनी चाहिए।
प्रकरण में विशेष जांच दल गठित
पुलिस महानिदेशक रंजीव सिंह दलाल ने कहा कि रोहतक के अपना घर प्रकरण में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था एमएस मान की अध्यक्षता में विशेष जांच दल गठित किया गया है, यह दल रोहतक पुलिस की जांच अपने कब्जे में लेकर कार्रवाई करेगा। दलाल चंडीगढ़ में पत्रकारों से मुखाबित थे।
बाल गृहों की जांच के लिए राज्य स्तरीय कमेटी
राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया ने किशोर न्याय (बाल संरक्षण एवं देखभाल) अधिनियम 2009 के तहत बाल गृहों की जांच के लिए राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। महिला एवं बाल विकास विभाग के वित्तायुक्तएवं प्रधान सचिव कमेटी के अध्यक्ष होंगे।
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