जैसलमेर कच्ची बस्तियों के गौरख धंधे भाग दूसरा
सरकार ने दिए एक लाख हज़ार बंगला बना बीस लाख का
-- किस श्रेणी के हें यह गरीब
जैसलमेर सीमावर्ती जैसलमेर जिला मुख्यालय पर नगर पालिका सरकारी योजनाओ का गला केसे घोंटती हें यह आसानी से देखा जा सकता हें ,जैसलमेर में कच्ची बस्तियों में आम गरीबो को आवास बनाने के लिए राजिव गांधी आवास योजना के तहत आवंटियों को एक लाख बीस हज़ार रुपये दो किस्तों में जारी कर नगर पालिका द्वारा निर्धारित नक्सनुसार आवास बनाने के आदेश दिए गए थे .जैसलमेर की कच्ची बस्तियों में सेकड़ो की तादाद में इस योजना में स्वीकृतिया जारी की गयी जिसका जम कर दुरूपयोग हो रहा हें चूँकि आवंटियों द्वारा अपना आवंटन गिर्विनामे के जरिये भूमाफियो तथा प्रभावशाली लोगो को बेचे जा चुके हें ऐसे मई सरकारी अनुदान राशि का जमकर दुरूपयोग हो रहा हें प्रभावशाली लोगो द्वारा पालिका की राशि उठाकर बीस बीस लाख के बंगले खड़े कर दिया .नगर पालिका के निर्धारित नक्से को धत्ता बता कर अपनी मन मर्जी से मकानों का निर्माण किया जा रहा हें सूत्रों ने बताया की पालिका के कर्मचारी अपनी सुविधा शुल्क लेकर किस्ते आवंटित कर देते हें कभी मौके पर जाकर निर्माण देखते ही नहीं की सरकारी नियमानुसार उसका निर्माण हो रहा हें या नहीं .राज्य सरकार ने गरीब कच्ची बस्तीवासियो के लिए बेहतरीन योजना बनाई जिसमे ऐ कमरा ,रसोई ,शुचालय के निर्माण का नक्शा हें मगर गफ्फूर भत्ते पर बन रहे सेकड़ो मकानों का निर्माण सरकारी नक्से की अनदेखी कर बनाये जा रहे हें आखी जिला प्रशासन मौन क्यों हें ,सरकारी योजना का बुरा हस्र हो रहा हें पालिका कर्मी चंडी काट रहें हें .मुख्यमंत्रीजी को चाहिए पुरे गौरख धंधे की निष्पक्षता से जांच कराए जाए ,मजे की बात हें की कच्ची बस्तियों में आधे से ज्यादा सरकारी कारिंदे निवास कर रहे हें ,मामले की पूरी जांच आयुक्त जैसलमेर ,कलेक्टर जैसलमेर को कर पर्दाफास करना चाहिए .
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