बुधवार, 20 जून 2012

बाड़मेर के युवाओं को लील रहा हैं ' ड्रग माफिया '

बाड़मेर के युवाओं को लील रहा हैं ' ड्रग माफिया '


बाड़मेर बाड़मेर में लगातार विकास के साथ साथ अपराध और अपराधिक गतिविधियाँ बढ़ रही हैं ! इन दिनों बाड़मेर के युवा ड्रग माफियाओं की चपेट में आ रहे हैं और सैकड़ो युवा स्मैक के आदी हो चुके हैं ! जबकि पुलिस के द्वारा इस मामले में सब कुछ जानने के बाद भी अनजान बने रहने की बात की जा रही हैं ! बाड़मेर के युवाओं में स्मैक की आदत पिछले तीन-चार सालो में जबरदस्त बढ़ी हैं , प्रतिदिन एक हजार से पन्द्रह सौ रूपए में युवाओं को मौत का नशा बेचा जा रहा हैं ! कई युवा इस नशे के कारण बर्बाद हो गए हैं और जब तक परिवार के लोगो को इस की जानकारी मिली तब तक वे नशे के दलदल में बुरी तरह से फंस चुके थे ! नाम ना छापने की शर्त पर स्मैक के आदी हो चुके एक युवक ने बताया कि पहले उनको स्मैक मुफ़्त में दी गई और उसके बाद जब वे इसके आदी हो गए तो उनको मुफ़्त में स्मैक देना बंद कर दिया गया अब वो अपने दुकान खो चुका हैं और काफी क़र्ज़ भी उस पर हो गया ! बाड़मेर के स्टेशन रोड पर घडीसाज़ का काम करने वाले एक युवक ने तो स्मैक का आदी होकर अपना शरीर तबाह किया ही साथ ही दुकान भी खो दी ! एक निजी चिकित्सालय में मेनेजर का काम करने वाला मनीष (परिवर्तित नाम ) स्मैक छोड़ने के लिए काफी दिनों से जोधपुर के एक चिकित्सालय में भर्ती हैं ! सबसे गंभीर बात तो यह हैं कि रईस परिवारों के लड़के इस दलदल में सबसे ज्यादा हैं लेकिन अब आम मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे भी नशे की गर्त में डूब चुके हैं !
ड्रग्स की पहुंच स्कूल कोलेज तक
जो स्थितियां बाड़मेर में बन रही हैं उससे इस बात का अंदेशा गहरा रहा हैं कि स्मैक का काला कारोबार स्कूल-कॉलेज तक पहुंच गया हो ! बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक  संवाददाता के पास पहुंचे एक बुजुर्ग परिजन ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पिछले पांच महीनो से उसका 18 वर्षीय पोता मानसीक अवसाद से गुजर रहा था तब उन्होंने सोचा कि परीक्षाये नजदीक होने से वो परेशान होगा लेकिन जब घर से आये दिन रूपए गायब होने लगे तो उन्होंने पोते के चल चलन पर नज़र रखी तो उन्हें पता चला कि वो स्मैक का आदी हो गया हैं और आवश्यकताएं पूरी नहीं होने के कारण वो ही चोरी कर रहा था !नौजवान आंखों में सुनहरे भविष्य के सपनों की जगह मदहोशी तैर रही है और नशे के सौदागर धड़ल्ले से इस मदहोशी के काले कारोबार में जुटे हैं। मगर, हैरत यह कि जिम्मेदार 'तंत्र' को कानों-कान इसकी खबर तक नहीं। विकास के हब के रूप में तेजी से विकसित हो रहे बाड़मेर में कुछ ऐसी ही भयावह तस्वीर नुमायां हो रही है। यही वजह है कि क्षेत्र में पहली बार बड़े पैमाने पर स्मैक व चरस जैसे मादक पदार्थो की बिक्री का खुलासा होने पर हर कोई भौंचक्क है। कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं और फैक्ट्री मजदूर नशे के सौदागरों के लिए साफ्ट टारगेट बने हुए हैं।छात्र-छात्राओं को नशे का आदी बनाकर जहां उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है, वहीं आमलोगों भी नशे का गुलाम बनाकर उनकी गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है।
बाड़मेर में बाहरी राज्यों से आए लोगो की भी खासी तादाद है। यानी, सुनहरे भविष्य के लिए घर से दूर रहने वाले और दिनभर मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले मजदूर भी नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। सवाल उठना लाजमी है कि जब क्षेत्र में लंबे समय से मादक पदार्थो की बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रही है, तो पुलिस को अब तक इसकी भनक क्यों नहीं लग रही हैं !
केस स्टडी - 1
बाड़मेर के रायकोलोनी निवासी बीस वर्षीय राजू (परिवर्तित नाम ) एक बार अपने दोस्त के साथ किसी के यहाँ गया और वहां उसने पहली बार ड्रग्स का उपयोग किया ! धीरे-धीरे उसका आनाजाना यहाँ पर बढ़ा और अब वो पिछले एक साल से स्मैक का आदी हो गया ! परिवार वालो को इसकी कानोकान ख़बर नहीं लगी ! एक दिन जब उसके पास ड्रग्स नहीं था तो उसके हाल बेहाल हो गए उसकी तड़प देख कर परिवार जनों ने सोचा की शायद वो बीमार हैं लेकिन जब वे उसको लेकर डॉक्टर के पास गए तो पता चला कि वो लम्बे समय से ड्रग्स ले रहा हैं ! अब उसके परिजन उसे रातो-रात गुजरात के अहमदाबाद में निजी चिकित्सालय इलाज के लिए ले गए !

केस स्टडी - २
शहर के स्टेशन रोड में रहने वाले प्रवीण (परिवर्तित नाम ) की शादी दो साल पहले हुई थी ! शादी के बाद उसके एक दोस्त ने उसे स्मैक के नशे के बारे में बताया उसने एक दो बार उसका उपयोग किया तो मदहोशी अच्छी लगी नतीजतन वो इसका आदी हो गया ! सुबह होते ही वो घर से दुकान जाने के लिए निकलता और दुकान नहीं पहुंचता साथ ही रात को देरी से घर लौटता ! घर वाले उसके बदले व्यवहार से परेशान थे और जब उन्होंने उसका पीछा किया तो उनके पैरो के नीचे से जमीन निकल गई क्यूंकि प्रवीण इस नशे का इतना आदी हो चुका था कि वो दिन में तीन बार स्मैक लेने लगा था !

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