"खुद को हिन्दू कहने से डरते हैं नीतीश"
नागपुर/नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पीएम पद की संभावित दावेदारी को लेकर बिहार के सीएम नीतीश की टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को नागवार गुजरी है। अब संघ सीधे मोदी के बचाव में उतर आया है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि देश का प्रधानमंत्री हिन्दुत्ववादी ही होना चाहिए। उन्होंने नीतीश के पीएम पद के लिए दिए गए सुझावों के बारे में उल्टे सवाल दागा कि क्या अब नीतीश बताएंगे कि पीएम कौन हो?, क्या अब तक के पीएम सेक्यूलर नहीं थे?। उन्होंने नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें खुद को हिंदू कहते हुए डर लगता है। संघ प्रमुख के इस बयान के बाद एक बार फिर साफ हो गया है कि भाजपा में मोदी पावरफुल नेता के तौर पर कायम है, संघ की नजर में वे पीएम पद के लिए पहली पसंद हो सकते हैं।
जेडीयू ने कहा, भले टूट जाए गठबंधन
संघ के बयान के बाद जेडीयू की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि गुजरात में गोधरा की हिंसा हम भूले नहीं है। गठबंधन रहे या न रहे, सरकार भले चली जाए कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन धर्मनिरपेक्षता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। 2009 का चुनाव हम गुजरात हिंसा के कारण ही हारे। धर्मनिरपेक्षता नीतीश का नहीं बल्कि देश का सवाल है। मोदी की सरकार हट गई होती तो एनडीए जीत जता।
नीतीश ने छेड़ी है बहस : राम माधव
संघ प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि सेक्यूलर और गैर सेक्यूलर को लेकर देश में लगातार भ्रांतिया फैलाई जाती रही है। नीतीश ने इसी को लेकर फिर बहस छेड दी है। क्या संघ नरेन्द्र मोदी साथ है सवाल के जवाब में राम माधव ने कहा कि संघ संचालक का बयान सभी स्वयंसेवकों के लिए है। इसका कोई भी अपने-अपने हिसाब से मतलब निकाल सकता है। उधर, जेडीयू के बयान के बाद भाजपा नेता बलबीर पुंज ने कहा कि नीतीश को यह नहीं भूलना चाहिए कि गुजरात हिंसा के बाद वे केन्द्र में गठबंधन सरकार में मंत्री थे। तब उन्होंने यह सब क्यों नहीं कहा, मंत्री क्यों बन गए।
नीतीश ने की थी बहस की शुरूआत
मालूम हो कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी राजनीति और तल्ख बयानों ने मंगलवार को भाजपा गठबंधन के भीतर भूचाल ला दिया। जदयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में यह कहकर नीतीश ने भाजपा के अंदरूनी कश्मकश को गर्मी दे दी कि आगामी आम चुनाव में भाजपा को धर्मनिरपेक्ष छवि वाले नेता को प्रधानमंत्री पद का उमीदवार घोषित करना चाहिए।
नीतीश ने यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री पद की रेस में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री बनने के बारे में सपने में भी नहीं सोचते। नीतीश कुमार के इस बयान के साथ आम चुनाव से बहुत पहले ही भाजपा गठबंधन में नेतृत्व को लेकर घमासान तेज हो गया है। संकेत इस बात के हैं कि प्रधानमंत्री पद के उमीदवार के लिए चर्चित नरेन्द्र मोदी की बढ़त कम करने वाले भाजपाइयों और दूसरे नेताओं के समर्थन पाकर ही नीतीश कुमार इस कदर कड़े तेवर दिखा रहे हैं।
नागपुर/नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पीएम पद की संभावित दावेदारी को लेकर बिहार के सीएम नीतीश की टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को नागवार गुजरी है। अब संघ सीधे मोदी के बचाव में उतर आया है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि देश का प्रधानमंत्री हिन्दुत्ववादी ही होना चाहिए। उन्होंने नीतीश के पीएम पद के लिए दिए गए सुझावों के बारे में उल्टे सवाल दागा कि क्या अब नीतीश बताएंगे कि पीएम कौन हो?, क्या अब तक के पीएम सेक्यूलर नहीं थे?। उन्होंने नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें खुद को हिंदू कहते हुए डर लगता है। संघ प्रमुख के इस बयान के बाद एक बार फिर साफ हो गया है कि भाजपा में मोदी पावरफुल नेता के तौर पर कायम है, संघ की नजर में वे पीएम पद के लिए पहली पसंद हो सकते हैं।
जेडीयू ने कहा, भले टूट जाए गठबंधन
संघ के बयान के बाद जेडीयू की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि गुजरात में गोधरा की हिंसा हम भूले नहीं है। गठबंधन रहे या न रहे, सरकार भले चली जाए कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन धर्मनिरपेक्षता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। 2009 का चुनाव हम गुजरात हिंसा के कारण ही हारे। धर्मनिरपेक्षता नीतीश का नहीं बल्कि देश का सवाल है। मोदी की सरकार हट गई होती तो एनडीए जीत जता।
नीतीश ने छेड़ी है बहस : राम माधव
संघ प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि सेक्यूलर और गैर सेक्यूलर को लेकर देश में लगातार भ्रांतिया फैलाई जाती रही है। नीतीश ने इसी को लेकर फिर बहस छेड दी है। क्या संघ नरेन्द्र मोदी साथ है सवाल के जवाब में राम माधव ने कहा कि संघ संचालक का बयान सभी स्वयंसेवकों के लिए है। इसका कोई भी अपने-अपने हिसाब से मतलब निकाल सकता है। उधर, जेडीयू के बयान के बाद भाजपा नेता बलबीर पुंज ने कहा कि नीतीश को यह नहीं भूलना चाहिए कि गुजरात हिंसा के बाद वे केन्द्र में गठबंधन सरकार में मंत्री थे। तब उन्होंने यह सब क्यों नहीं कहा, मंत्री क्यों बन गए।
नीतीश ने की थी बहस की शुरूआत
मालूम हो कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी राजनीति और तल्ख बयानों ने मंगलवार को भाजपा गठबंधन के भीतर भूचाल ला दिया। जदयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में यह कहकर नीतीश ने भाजपा के अंदरूनी कश्मकश को गर्मी दे दी कि आगामी आम चुनाव में भाजपा को धर्मनिरपेक्ष छवि वाले नेता को प्रधानमंत्री पद का उमीदवार घोषित करना चाहिए।
नीतीश ने यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री पद की रेस में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री बनने के बारे में सपने में भी नहीं सोचते। नीतीश कुमार के इस बयान के साथ आम चुनाव से बहुत पहले ही भाजपा गठबंधन में नेतृत्व को लेकर घमासान तेज हो गया है। संकेत इस बात के हैं कि प्रधानमंत्री पद के उमीदवार के लिए चर्चित नरेन्द्र मोदी की बढ़त कम करने वाले भाजपाइयों और दूसरे नेताओं के समर्थन पाकर ही नीतीश कुमार इस कदर कड़े तेवर दिखा रहे हैं।
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