वापस चाहिए सिंध
अजमेर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि अखंड भारत का पुराना स्वरूप पाने के लिए सिंध को पुन: हासिल करना होगा। भारत को दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना है लेकिन इसके लिए अपने समस्त अंगों को जोड़कर मजबूती के साथ खड़ा होना आवश्यक है।
शनिवार को पुष्कर रोड स्थित दाहरसेन स्मारक पर सिंधुपति महाराजा दाहरसेन के 1300 वें बलिदान दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत एक पंथ, एक भाषा अथवा एक प्रांत नहीं है बल्कि सभी पंथ, सभी प्रदेश एवं समस्त भाषाएं मिलकर भारत बना है। इसके लिए अखंड बनना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है। उन्होंने कहा कि सिंध में आज भी अनेक सिंधी एवं हिंदू रहते है। इस मायने में वहां आज भी भारत जिंदा है।
वहां के सिंधियों एवं कश्मीरी पंडितों की समस्या पूरे भारत की समस्या है। उन्होंने कहा कि सिंध को वापस हिन्दुस्तान में शामिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा तो वह भी करेंगे। भारत को अखंड बनाने के लिए 50-60 वर्ष और लग सकते है। लेकिन इससे पहले हमें अपनी कमियों को दूर करना होगा। अपने इतिहास, पूर्वजों, संस्कृति एवं सभ्यता की विरासत से जुड़ना होगा एवं नई पीढ़ी को इसकी महत्ता बतानी होगी।
दाहरसेन से लें सीख
भागवत ने कहा कि 1300 वर्ष पूर्व सिंध पर आक्रमण के समय दाहरसेन चाहते तो समझौता कर राजसुख भोग सकते थे लेकिन उन्होंने उसे सनातन धर्म, मानवता एवं हिंदुत्व पर आक्रमण माना और विरासत, सभ्यता एवं अखंड भारत को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हुए पूरे परिवार सहित बलिदान दिया।
दुनिया का सेनापति होगा भारत
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में कट्टरपंथ-उदारता, कपट-सरलता के बीच लड़ाई चल रही है। बाहरी ताकतें पूरी दुनिया को बाजार बनाने का प्रयास कर रही है जबकि भारत पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है। संतों के सान्निध्य में चलने वाली भारत की व्यवस्था पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक है। आने वाले समय में भारत को पूरी दुनिया के सेनापति की भूमिका निभानी होगी।
नहीं भूलें भाषा और पूर्वज
भागवत ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि बीती ताहि बिसार दें...। लेकिन इतिहास की अनेक बातों को भूलना नहीं चाहिए। नई पीढ़ी को अपनी भाषा, पूर्वज, भूभाग एवं गौरवशाली इतिहास की विरासत को हमेशा याद रखना होगा। अगर सिंधी अपने प्रदेश सिंध पर बसने का, अपनी भाषा को बचाने का प्रयास कर रहे हैं तो यह भी एकतरह से सम्पूर्ण भारत को बचाने का प्रयास है।
देशभर से आए लोग
भारतीय सिंधु सभा के तžवावधान में पहली बार आयोजित इस समारोह में पूरे देश से सिंधी समाज के प्रतिनिधियों सहित अजमेर शहर से हजारों लोगों ने शिरकत की। श्रद्धांजलि समारोह को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, दादूदयाल पीठ नरेना के पीठाधीश्वर गोपालदास महाराज, हरिसेवा धाम भीलवाड़ा के महंत स्वामी हंसराम महाराज, मसाणिया भैरवधाम राजगढ़ के उपासक चंपालाल महाराज, अखिल
भारतीय सिंधी साधु समाज के अध्यक्ष स्वामी बलराम, भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण दास रामचंदानी, प्रदेश अध्यक्ष लेखराज माधो, महामंत्री घनश्याम कुकरेजा ने भी संबोधित किया। समारोह में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य किरण माहेश्वरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया, घनश्याम तिवाड़ी, सांसद भूपेन्द्र यादव भी मौजूद थे।
अजमेर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि अखंड भारत का पुराना स्वरूप पाने के लिए सिंध को पुन: हासिल करना होगा। भारत को दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना है लेकिन इसके लिए अपने समस्त अंगों को जोड़कर मजबूती के साथ खड़ा होना आवश्यक है।
शनिवार को पुष्कर रोड स्थित दाहरसेन स्मारक पर सिंधुपति महाराजा दाहरसेन के 1300 वें बलिदान दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत एक पंथ, एक भाषा अथवा एक प्रांत नहीं है बल्कि सभी पंथ, सभी प्रदेश एवं समस्त भाषाएं मिलकर भारत बना है। इसके लिए अखंड बनना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है। उन्होंने कहा कि सिंध में आज भी अनेक सिंधी एवं हिंदू रहते है। इस मायने में वहां आज भी भारत जिंदा है।
वहां के सिंधियों एवं कश्मीरी पंडितों की समस्या पूरे भारत की समस्या है। उन्होंने कहा कि सिंध को वापस हिन्दुस्तान में शामिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा तो वह भी करेंगे। भारत को अखंड बनाने के लिए 50-60 वर्ष और लग सकते है। लेकिन इससे पहले हमें अपनी कमियों को दूर करना होगा। अपने इतिहास, पूर्वजों, संस्कृति एवं सभ्यता की विरासत से जुड़ना होगा एवं नई पीढ़ी को इसकी महत्ता बतानी होगी।
दाहरसेन से लें सीख
भागवत ने कहा कि 1300 वर्ष पूर्व सिंध पर आक्रमण के समय दाहरसेन चाहते तो समझौता कर राजसुख भोग सकते थे लेकिन उन्होंने उसे सनातन धर्म, मानवता एवं हिंदुत्व पर आक्रमण माना और विरासत, सभ्यता एवं अखंड भारत को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हुए पूरे परिवार सहित बलिदान दिया।
दुनिया का सेनापति होगा भारत
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में कट्टरपंथ-उदारता, कपट-सरलता के बीच लड़ाई चल रही है। बाहरी ताकतें पूरी दुनिया को बाजार बनाने का प्रयास कर रही है जबकि भारत पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है। संतों के सान्निध्य में चलने वाली भारत की व्यवस्था पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक है। आने वाले समय में भारत को पूरी दुनिया के सेनापति की भूमिका निभानी होगी।
नहीं भूलें भाषा और पूर्वज
भागवत ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि बीती ताहि बिसार दें...। लेकिन इतिहास की अनेक बातों को भूलना नहीं चाहिए। नई पीढ़ी को अपनी भाषा, पूर्वज, भूभाग एवं गौरवशाली इतिहास की विरासत को हमेशा याद रखना होगा। अगर सिंधी अपने प्रदेश सिंध पर बसने का, अपनी भाषा को बचाने का प्रयास कर रहे हैं तो यह भी एकतरह से सम्पूर्ण भारत को बचाने का प्रयास है।
देशभर से आए लोग
भारतीय सिंधु सभा के तžवावधान में पहली बार आयोजित इस समारोह में पूरे देश से सिंधी समाज के प्रतिनिधियों सहित अजमेर शहर से हजारों लोगों ने शिरकत की। श्रद्धांजलि समारोह को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, दादूदयाल पीठ नरेना के पीठाधीश्वर गोपालदास महाराज, हरिसेवा धाम भीलवाड़ा के महंत स्वामी हंसराम महाराज, मसाणिया भैरवधाम राजगढ़ के उपासक चंपालाल महाराज, अखिल
भारतीय सिंधी साधु समाज के अध्यक्ष स्वामी बलराम, भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण दास रामचंदानी, प्रदेश अध्यक्ष लेखराज माधो, महामंत्री घनश्याम कुकरेजा ने भी संबोधित किया। समारोह में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य किरण माहेश्वरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया, घनश्याम तिवाड़ी, सांसद भूपेन्द्र यादव भी मौजूद थे।
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