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बाड़मेर सिवाड़ा हादसा ने लंगेरा की सोनाणियों की ढाणी को झकझोर कर रख दिया। ढाणी में रहने वाले चाचा-दादा के एक परिवार के एक दो-तीन नहीं बल्कि सात चिराग पिछले चार सालों में सड़क हादसों के शिकार हो गए। सिवाड़ा में हुए सड़क हादसे में पिता-पुत्र की मौत से पूरी ढाणी में लोगों के आंसू नहीं थम रहे। लंगेरा गांव के पास आबाद सोनाणियों (सोहनसिंह) की ढाणी में इस परिवार के लोगों को त्योहार मनाए चार साल बीत गए हैं। हर साल सड़क हादसों में परिवार के सदस्य की मौत से रिश्तेदार व परिजन सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। वर्ष 2008 में मोतीसिंह पुत्र अमरसिंह की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। इसके बाद वर्ष 2009 में चंदनसिंह पुत्र अमरसिंह भी हादसे का शिकार हो गया। यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। वर्ष 2010 में शोभसिंह पुत्र कमलसिंह हादसे में काल का ग्रास बन गया। गत साल हीरसिंह पुत्र मंगलसिंह व कंवराजसिंह पुत्र चंदनसिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। इस तरह एक के बाद एक की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। तीन दिन पहले सिवाड़ा के पास हुए सड़क हादसे में शक्तिसिंह पुत्र अमरसिंह व उनके बेटे भावेश की मौत हो गई। जबकि पत्नी पदम कंवर व बेटी सुगणा घायल हो गई। घर में इकलौते बेटे जीतू के अलावा कोई रोने वाला नहीं रहा। रविवार को जब भास्कर टीम शक्तिसिंह के घर पहुंची तो वहां मौजूद हर आंख नम थी। एक परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूटने पर रिश्तेदार व समाज के लोग ढांढस बंधाने पहुंचे। ग्रामीण चंदनसिंह ने बताया कि एक ही परिवार के आठ कमाऊ पूतों की मौत हो गई। अब घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा। दीपपुरी ने बताया कि दुख की घड़ी में हम सब सांत्वना दे रहे हैं।
बाड़मेर सिवाड़ा हादसा ने लंगेरा की सोनाणियों की ढाणी को झकझोर कर रख दिया। ढाणी में रहने वाले चाचा-दादा के एक परिवार के एक दो-तीन नहीं बल्कि सात चिराग पिछले चार सालों में सड़क हादसों के शिकार हो गए। सिवाड़ा में हुए सड़क हादसे में पिता-पुत्र की मौत से पूरी ढाणी में लोगों के आंसू नहीं थम रहे। लंगेरा गांव के पास आबाद सोनाणियों (सोहनसिंह) की ढाणी में इस परिवार के लोगों को त्योहार मनाए चार साल बीत गए हैं। हर साल सड़क हादसों में परिवार के सदस्य की मौत से रिश्तेदार व परिजन सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। वर्ष 2008 में मोतीसिंह पुत्र अमरसिंह की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। इसके बाद वर्ष 2009 में चंदनसिंह पुत्र अमरसिंह भी हादसे का शिकार हो गया। यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। वर्ष 2010 में शोभसिंह पुत्र कमलसिंह हादसे में काल का ग्रास बन गया। गत साल हीरसिंह पुत्र मंगलसिंह व कंवराजसिंह पुत्र चंदनसिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। इस तरह एक के बाद एक की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। तीन दिन पहले सिवाड़ा के पास हुए सड़क हादसे में शक्तिसिंह पुत्र अमरसिंह व उनके बेटे भावेश की मौत हो गई। जबकि पत्नी पदम कंवर व बेटी सुगणा घायल हो गई। घर में इकलौते बेटे जीतू के अलावा कोई रोने वाला नहीं रहा। रविवार को जब भास्कर टीम शक्तिसिंह के घर पहुंची तो वहां मौजूद हर आंख नम थी। एक परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूटने पर रिश्तेदार व समाज के लोग ढांढस बंधाने पहुंचे। ग्रामीण चंदनसिंह ने बताया कि एक ही परिवार के आठ कमाऊ पूतों की मौत हो गई। अब घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा। दीपपुरी ने बताया कि दुख की घड़ी में हम सब सांत्वना दे रहे हैं।
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