कुदरत को सहेजना आज की जरूरत : डाक्टर वीणा प्रधान
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विश्वपर्यावरण सप्ताह का रेली से आगाज
- सप्ताहभर होगे कई आयोजन
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पर्यावरण सुधार के प्रति हमारी अनिच्छा ने स्थितियों को विस्फोटक बना दिया है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ता शहरीकरण व विष युक्त खेती ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। मानव पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जीव जंतु प्रमुख घटक माने गये हैं। हमारे देश में इन सभी घटकों की हालत बिगड़ चुकी है एवं सभी में प्रदूषण का जहर फैल गया है । अध्ययनों का भी यही निष्कर्ष है कि देश में पर्यावरण की हालत काफी बिगड़ चुकी है। पर्यावरण अब स्वास्थ्यवर्धक न रहकर रोगजन्य हो गया है। वायु जीवन के लिए आवश्यक है परंतु देश के महानगरों के अलावा छोटे शहर भी वायु प्रदूषण के केन्द्र बन गये हैं। जल, पर्यावरण का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है परंतु देश में इसकी स्थिति, मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों स्तर पर बिगड़ी है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी विश्व जल विकास रिपोर्ट में देश को सबसे प्रदूषित पेयजल आपूर्ति वाला देश बताया गया है एवं गुणवत्ता के आधार पर यह विश्व में 120वें स्थान पर है।भूजल के उपयोग में पिछली आधी सदी में 115 गुना इजाफा हुआ है, जिसके कारण 360 जिलों में भूजल स्तर में गिरावट आई है। भूजल में प्रदूषण के कारण नाइट्रेट, फ्लोराइड एवं आर्सेनिक की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे 2.17 लाख गांवों में पेयजल प्रदूषण से पैदा रोगों से ग्रामीण जनता प्रभावित है। " यह कहना हें बाड़मेर जिला कलेक्टर वीणा प्रधान का , जिला कलेक्टर ऩे यह बात स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय में सी सी डी यू , भारत स्काउट गाइड बाड़मेर इकाई और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के विश्व पर्यावरण सप्ताह के आगाज पर कही. उन्होंने कहा कि भूमि भी पर्यावरण में अहम है परंतु हमारे कृषि प्रधान देश में भूमि की हालत भी काफी बिगड़ गई है। भारतीय कृषि शोध संस्थान की एक रिपोर्ट अनुसार देश की कुल 150 करोड़ हेक्टर खेती योग्य भूमि में से लगभग 12 करोड़ की उत्पादकता काफी घट गई है एवं 84 लाख हेक्टेयर जलभराव व खारेपन की समस्या से ग्रस्त है। पिछले 20-22 वर्षों में ही देश की कुल खेती योग्य भूमि में 28 लाख हेक्टेयर की कमी आई है जिसके कई कारण हैं। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ एनवायरमेंट' में भी यही बताया गया है कि देश की 15 करोड़ हेक्टर भूमि में से लगभग 45 प्रतिशत भूमि अम्लीयता, जलभराव, खारेपन एवं प्रदूषण के कारण बेकार हो गई है। कृषि भूमि के क्षेत्र का घटना एवं उत्पादकता कम होना भविष्य में खाद्यान्न उत्पादन के लिए खतरनाक है।
सी सी डी यू के आई ई सी कंसलटेंट अशोक सिंह ऩे बताया कि स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय में सी सी डी यू , भारत स्काउट गाइड बाड़मेर इकाई और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग कि तरफ से विश्व पर्यावरण सप्ताह कि शुरुवात चेतना रेली से हुई . इस रेली को बाड़मेर जिला कलेक्टर ऩे हरी झंडी दिखा कर रवाना किया . रेली ऩे जहा शहर के कई इलाको में घूम कर लोगो को पर्यावरण बचाने का सन्देश दिया वही दूसरी तरफ रास्ते में चलते हुए पोलेथिन का उपयोग करने वालो को इससे दूर रहने कि सपथ दिलाई . इससे पूर्व स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय बच्चों को सम्बोधित करते हुई स्काउट सीओ मनमोहन सिंह ऩे कहा कि विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जंतु जैव विविधता स्थापित करते हैं एवं हमारा देश दुनिया के उन 12 देशों में प्रमुख है, जो जैवविविधता के धनी हैं। पश्चिमी घाट एवं हिमालयीन क्षेत्र के साथ- साथ सुंदरबन एवं मन्नार खाड़ी अपनी अपनी जैव- विविधता के कारण दुनिया भर में मशहूर है। थलीय क्षेत्र में 80 प्रतिशत जैवविविधता वनों में पायी जाती है परंतु वनों का क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। देश के 33 प्रतिशत भूभाग पर वन होना चाहिए परंतु हैं केवल 25 प्रतिशत भाग पर ही। इस 21 प्रतिशत में से केवल 02 प्रतिशत ही सघन वन हैं, 10 प्रतिशत मध्यम स्तर के एवं 09 प्रतिशत छितरे वन हैं। देश में प्रति व्यक्ति वन का क्षेत्र 0.11 हेक्टेयर है जबकि विश्व अनुपात अनुसार यह 0.80 हेक्टेयर होना चाहिये। सी सी डी यू के डाक्टर शंकर लाल नामा ऩे इस मोके पर कहा कि देश के लगभग 20 प्रतिशत जंगली पौधे व जीव विलुप्ति की ओर अग्रसर हैं। 6 लाख से यादा गांवों में लगभग 50-60 वर्ष पूर्व 20 करोड़ के लगभग गाय, बैल थे, परंतु अब इनकी संख्या भी काफी घट गई है। देश के कत्ल कारखानों में हजारों पशु एवं पक्षियों को काटकर उनका मांस निर्यात किया जा रहा है। देश में जब कानून व्यवस्था बिगड़ने लगती है एवं जनता की शांति भंग होने का खतरा पैदा हो जाता है तब आपातकाल लगाया जाता है। ठीक इसी प्रकार देश के पर्यावरण की हालत भी काफी बिगड़ गई है एवं जनता के लिए वह रोगजन्य होता जा रहा है।इस मोके पर स्काउट बाड़मेर इकाई के सचिव मुकेश व्यास ,मनमोहन लाल शर्मा , मुख्त्यार खिलजी , हनुमान राम ,वंदना गुप्ता , लक्ष्मी हरिलता जोशी ,सी पी गुप्ता ,मदन लाल , गोपाल गर्ग , मुलिस्टर और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियो ऩे भी बच्चों को संबोधित किया .
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विश्वपर्यावरण सप्ताह का रेली से आगाज
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पर्यावरण सुधार के प्रति हमारी अनिच्छा ने स्थितियों को विस्फोटक बना दिया है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ता शहरीकरण व विष युक्त खेती ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। मानव पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जीव जंतु प्रमुख घटक माने गये हैं। हमारे देश में इन सभी घटकों की हालत बिगड़ चुकी है एवं सभी में प्रदूषण का जहर फैल गया है । अध्ययनों का भी यही निष्कर्ष है कि देश में पर्यावरण की हालत काफी बिगड़ चुकी है। पर्यावरण अब स्वास्थ्यवर्धक न रहकर रोगजन्य हो गया है। वायु जीवन के लिए आवश्यक है परंतु देश के महानगरों के अलावा छोटे शहर भी वायु प्रदूषण के केन्द्र बन गये हैं। जल, पर्यावरण का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है परंतु देश में इसकी स्थिति, मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों स्तर पर बिगड़ी है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी विश्व जल विकास रिपोर्ट में देश को सबसे प्रदूषित पेयजल आपूर्ति वाला देश बताया गया है एवं गुणवत्ता के आधार पर यह विश्व में 120वें स्थान पर है।भूजल के उपयोग में पिछली आधी सदी में 115 गुना इजाफा हुआ है, जिसके कारण 360 जिलों में भूजल स्तर में गिरावट आई है। भूजल में प्रदूषण के कारण नाइट्रेट, फ्लोराइड एवं आर्सेनिक की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे 2.17 लाख गांवों में पेयजल प्रदूषण से पैदा रोगों से ग्रामीण जनता प्रभावित है। " यह कहना हें बाड़मेर जिला कलेक्टर वीणा प्रधान का , जिला कलेक्टर ऩे यह बात स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय में सी सी डी यू , भारत स्काउट गाइड बाड़मेर इकाई और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के विश्व पर्यावरण सप्ताह के आगाज पर कही. उन्होंने कहा कि भूमि भी पर्यावरण में अहम है परंतु हमारे कृषि प्रधान देश में भूमि की हालत भी काफी बिगड़ गई है। भारतीय कृषि शोध संस्थान की एक रिपोर्ट अनुसार देश की कुल 150 करोड़ हेक्टर खेती योग्य भूमि में से लगभग 12 करोड़ की उत्पादकता काफी घट गई है एवं 84 लाख हेक्टेयर जलभराव व खारेपन की समस्या से ग्रस्त है। पिछले 20-22 वर्षों में ही देश की कुल खेती योग्य भूमि में 28 लाख हेक्टेयर की कमी आई है जिसके कई कारण हैं। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ एनवायरमेंट' में भी यही बताया गया है कि देश की 15 करोड़ हेक्टर भूमि में से लगभग 45 प्रतिशत भूमि अम्लीयता, जलभराव, खारेपन एवं प्रदूषण के कारण बेकार हो गई है। कृषि भूमि के क्षेत्र का घटना एवं उत्पादकता कम होना भविष्य में खाद्यान्न उत्पादन के लिए खतरनाक है।
सी सी डी यू के आई ई सी कंसलटेंट अशोक सिंह ऩे बताया कि स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय में सी सी डी यू , भारत स्काउट गाइड बाड़मेर इकाई और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग कि तरफ से विश्व पर्यावरण सप्ताह कि शुरुवात चेतना रेली से हुई . इस रेली को बाड़मेर जिला कलेक्टर ऩे हरी झंडी दिखा कर रवाना किया . रेली ऩे जहा शहर के कई इलाको में घूम कर लोगो को पर्यावरण बचाने का सन्देश दिया वही दूसरी तरफ रास्ते में चलते हुए पोलेथिन का उपयोग करने वालो को इससे दूर रहने कि सपथ दिलाई . इससे पूर्व स्थानीय बालिका उच्च माद्यमिक विधालय बच्चों को सम्बोधित करते हुई स्काउट सीओ मनमोहन सिंह ऩे कहा कि विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जंतु जैव विविधता स्थापित करते हैं एवं हमारा देश दुनिया के उन 12 देशों में प्रमुख है, जो जैवविविधता के धनी हैं। पश्चिमी घाट एवं हिमालयीन क्षेत्र के साथ- साथ सुंदरबन एवं मन्नार खाड़ी अपनी अपनी जैव- विविधता के कारण दुनिया भर में मशहूर है। थलीय क्षेत्र में 80 प्रतिशत जैवविविधता वनों में पायी जाती है परंतु वनों का क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। देश के 33 प्रतिशत भूभाग पर वन होना चाहिए परंतु हैं केवल 25 प्रतिशत भाग पर ही। इस 21 प्रतिशत में से केवल 02 प्रतिशत ही सघन वन हैं, 10 प्रतिशत मध्यम स्तर के एवं 09 प्रतिशत छितरे वन हैं। देश में प्रति व्यक्ति वन का क्षेत्र 0.11 हेक्टेयर है जबकि विश्व अनुपात अनुसार यह 0.80 हेक्टेयर होना चाहिये। सी सी डी यू के डाक्टर शंकर लाल नामा ऩे इस मोके पर कहा कि देश के लगभग 20 प्रतिशत जंगली पौधे व जीव विलुप्ति की ओर अग्रसर हैं। 6 लाख से यादा गांवों में लगभग 50-60 वर्ष पूर्व 20 करोड़ के लगभग गाय, बैल थे, परंतु अब इनकी संख्या भी काफी घट गई है। देश के कत्ल कारखानों में हजारों पशु एवं पक्षियों को काटकर उनका मांस निर्यात किया जा रहा है। देश में जब कानून व्यवस्था बिगड़ने लगती है एवं जनता की शांति भंग होने का खतरा पैदा हो जाता है तब आपातकाल लगाया जाता है। ठीक इसी प्रकार देश के पर्यावरण की हालत भी काफी बिगड़ गई है एवं जनता के लिए वह रोगजन्य होता जा रहा है।इस मोके पर स्काउट बाड़मेर इकाई के सचिव मुकेश व्यास ,मनमोहन लाल शर्मा , मुख्त्यार खिलजी , हनुमान राम ,वंदना गुप्ता , लक्ष्मी हरिलता जोशी ,सी पी गुप्ता ,मदन लाल , गोपाल गर्ग , मुलिस्टर और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियो ऩे भी बच्चों को संबोधित किया .
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