संघ तैयार कर रहा 3000 "सैनिक"
लखनऊ। हिन्दू धर्म, संस्कृत और राष्ट्र की अवधारणा का वाहक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) उत्तर प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर लगभग तीन हजार स्वंय सेवकों को प्रशिक्षित कर रहा है।
उत्तर प्रदेश को छह प्रांतों में बांट कर सात प्रशिक्षण शिविर से अपनी योजनाओं को मूर्तरूप दे रही आरएसएस राजधानी लखनऊ में 400 से ऊपर प्रतिज्ञ (संघ की प्रतिज्ञा लेने वाले) स्वंय सेवक तैयार कर रही है। जिसमें 31 मित्र राष्ट्र नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों से आए हैं। यूपी को गोरक्ष (गोरखपुर), काशी (वाराणसी), अवध (लखनऊ), कानपुर, पश्चिम (मेरठ) और वृज (आगरा) क्षेत्र में चल रहे प्रशिक्षण वर्ग में दो हजार से ज्यादा स्वंय सेवक प्रशिक्षित हो रहे हैं। हर जगह प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण लगा है, लेकिन काशी क्षेत्र मे दो वर्ग लगा है। एक प्रथम वर्ष का सुल्तानपुर तथा एक विशेष वर्ग का जिसमें 40 से 65 वर्ष के लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिन्हें सेवा संबंधी कार्यो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अन्य स्थानों पर कठोर शारीरिक प्रशिक्षण देकर उन्हें तपाया जा रहा है। लखनऊ में द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में 400 से अधिक प्रतिज्ञ स्वंय सेवक तैयार किए जा रहे हैं। संघ के महिला विंग राष्ट्रीय सेविका समिति के नेतृत्व में 256 महिलाओं को मथुरा में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गोरखपुर क्षेत्र के सहजनवां प्रशिक्षण शिविर में प्रथम वर्ष के 225, कशी क्षेत्र के सुल्तानपुर में 425, अवध क्षेत्र के रायबरेली में 300, कानपुर क्षेत्र के कन्नौज में 275, प्रश्चिम के मेरठ में 400 एंव वृजक्षेत्र के प्रथम वर्ष के लिए एटा में 325 तथा मथुरा के वृंदावन में द्वितीय वष्ाü के 275 प्रशिक्षार्थी आए हैं।
जिन्हें प्रशिक्षण के बाद प्रतिज्ञा करायी गई है। ये प्रतिज्ञा प्रथम वर्ष के बाद और तृतीय वष्ाü के पहले दिलायी जाती है। जिसमें स्वंय सेवकों को आजीवन राष्ट्र सेवा का व्रत लेना पड़ता है। प्रत्येक शिविर में 22 दिन तक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रथम वष्ाü में 40 वर्ष के नीचे तक के स्वंय सेवकों को शामिल किया गया है। संघ तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण अपने मुख्यालय नागपुर में दिलाता है। जहां से प्रशिक्षण के बाद उनमें देश भक्ति का जज्बा इस हद तक भरा जाता है की वो राष्ट्र स्वाभिमान के लिए लेने और देने में न हिचकें।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश दौरे पर आए संघ सुप्रिमों मोहन भागवत ने चीन को भारत का सबसे बड़ा दुशमन बताते हुए भारत सरकार को हिमालय की ओर से भारत की सुरक्षा को लेकर आगाह किया था। इसीलिए इस बार नेपाल से आए 31 प्रशिक्षार्थी यूपी के शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिसमें 11 द्वितीय वर्ष लखनऊ तथा 20 वाराणसी में शामिल हुए हैं। दशहरे के पहले इन वर्गो के प्रशिक्षण का असर धरातल पर दिखने लगेगा।
संघ में कराई जाने वाली प्रतिज्ञा :
।।सर्व शक्तिमान श्री परमेश्वर तथा अपने पूर्वजों को स्मरण कर मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृत तथा हिन्दू समाज का संरक्षण कर राष्ट्र के संर्वागीण उन्नति के लिए मैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का घटक बना हूं। संघ का कार्य प्रमाणिकता, निस्वार्थ, बुद्धि एंव तन-मन-धन पूर्वक करूंगा और इस व्रत का मैं आजन्म पालन करूंगा। भारत माता की जय।।
लखनऊ। हिन्दू धर्म, संस्कृत और राष्ट्र की अवधारणा का वाहक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) उत्तर प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर लगभग तीन हजार स्वंय सेवकों को प्रशिक्षित कर रहा है।
उत्तर प्रदेश को छह प्रांतों में बांट कर सात प्रशिक्षण शिविर से अपनी योजनाओं को मूर्तरूप दे रही आरएसएस राजधानी लखनऊ में 400 से ऊपर प्रतिज्ञ (संघ की प्रतिज्ञा लेने वाले) स्वंय सेवक तैयार कर रही है। जिसमें 31 मित्र राष्ट्र नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों से आए हैं। यूपी को गोरक्ष (गोरखपुर), काशी (वाराणसी), अवध (लखनऊ), कानपुर, पश्चिम (मेरठ) और वृज (आगरा) क्षेत्र में चल रहे प्रशिक्षण वर्ग में दो हजार से ज्यादा स्वंय सेवक प्रशिक्षित हो रहे हैं। हर जगह प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण लगा है, लेकिन काशी क्षेत्र मे दो वर्ग लगा है। एक प्रथम वर्ष का सुल्तानपुर तथा एक विशेष वर्ग का जिसमें 40 से 65 वर्ष के लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिन्हें सेवा संबंधी कार्यो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अन्य स्थानों पर कठोर शारीरिक प्रशिक्षण देकर उन्हें तपाया जा रहा है। लखनऊ में द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में 400 से अधिक प्रतिज्ञ स्वंय सेवक तैयार किए जा रहे हैं। संघ के महिला विंग राष्ट्रीय सेविका समिति के नेतृत्व में 256 महिलाओं को मथुरा में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गोरखपुर क्षेत्र के सहजनवां प्रशिक्षण शिविर में प्रथम वर्ष के 225, कशी क्षेत्र के सुल्तानपुर में 425, अवध क्षेत्र के रायबरेली में 300, कानपुर क्षेत्र के कन्नौज में 275, प्रश्चिम के मेरठ में 400 एंव वृजक्षेत्र के प्रथम वर्ष के लिए एटा में 325 तथा मथुरा के वृंदावन में द्वितीय वष्ाü के 275 प्रशिक्षार्थी आए हैं।
जिन्हें प्रशिक्षण के बाद प्रतिज्ञा करायी गई है। ये प्रतिज्ञा प्रथम वर्ष के बाद और तृतीय वष्ाü के पहले दिलायी जाती है। जिसमें स्वंय सेवकों को आजीवन राष्ट्र सेवा का व्रत लेना पड़ता है। प्रत्येक शिविर में 22 दिन तक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रथम वष्ाü में 40 वर्ष के नीचे तक के स्वंय सेवकों को शामिल किया गया है। संघ तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण अपने मुख्यालय नागपुर में दिलाता है। जहां से प्रशिक्षण के बाद उनमें देश भक्ति का जज्बा इस हद तक भरा जाता है की वो राष्ट्र स्वाभिमान के लिए लेने और देने में न हिचकें।
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश दौरे पर आए संघ सुप्रिमों मोहन भागवत ने चीन को भारत का सबसे बड़ा दुशमन बताते हुए भारत सरकार को हिमालय की ओर से भारत की सुरक्षा को लेकर आगाह किया था। इसीलिए इस बार नेपाल से आए 31 प्रशिक्षार्थी यूपी के शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिसमें 11 द्वितीय वर्ष लखनऊ तथा 20 वाराणसी में शामिल हुए हैं। दशहरे के पहले इन वर्गो के प्रशिक्षण का असर धरातल पर दिखने लगेगा।
संघ में कराई जाने वाली प्रतिज्ञा :
।।सर्व शक्तिमान श्री परमेश्वर तथा अपने पूर्वजों को स्मरण कर मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृत तथा हिन्दू समाज का संरक्षण कर राष्ट्र के संर्वागीण उन्नति के लिए मैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का घटक बना हूं। संघ का कार्य प्रमाणिकता, निस्वार्थ, बुद्धि एंव तन-मन-धन पूर्वक करूंगा और इस व्रत का मैं आजन्म पालन करूंगा। भारत माता की जय।।
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