रविवार, 17 जून 2012

16 जुलाई को तय होगा ऐतिहासिक गागरोन का भविष्य

झालावाड़ ऐतिहासिक जलदुर्ग गागरोन के वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने का हाड़ौती के लोगों को बेसब्री से इंतजार है। 14वीं सदी में निर्मित इस जलदुर्गकी बेमिसाल ऐतिहासिक महत्ता होने व पर्यटकों के लिए खास उत्सुकता का प्रतीक होने से इसके वल्र्ड हेरिटेज सूची में आने से हाड़ौती का पर्यटन सर्किट तो समृद्ध होगा ही साथ ही जिले में बेहतरीन सुविधाओं का विकास होगा।Click to Download 
खास बात यह है कि अभी तक की प्रक्रियाओं से गुजरते हुए गागरोन दुर्ग के प्रस्तावों पर आगामी 16 जुलाई को रूस में अहम व अंतिम बैठक होने वाली है। भारतीय पुरातत्व विभाग के सूत्रों के अनुसार इसमें राजस्थान के आमेर, चित्तौडगढ़ और गागरोन के इस ऐतिहासिक दुर्ग पर विचार विमर्श किया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा और माहौल पक्ष में रहा तो अगले महीने में वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल किए जाने की जानकारी मिल सकती है। वैसे सूत्रों के मुताबिक इसके पक्ष में इसकी ऐतिहासिक महत्ता व प्राकृतिक वैभव और अन्य खासियत होने से विश्व धरोहर बनने का मामला पक्ष में रहने की पूरी उम्मीद है। इससे पूर्व गत सोमवार को भारतीय पुरातत्व एवं संग्रहालय (दिल्ली) के डायरेक्टर ने भी गागरोन किले का भ्रमण कर इसके वैभव को देखा था।

विश्व धरोहर बनने पर यह मिलेगा हमें लाभ

गागरोन किले को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने पर झालावाड़ जिले सहित हाड़ौती का पूरा पर्यटन सर्किट विकसित होगा। इतिहासकार ललित शर्मा ने भास्कर को विशेष भेंट में बताया कि सबसे अहम लाभ तो यह होगा कि झालावाड़ में विश्व स्तरीय कैफेटेरिया बनेगा। दरा से लेकर चंगेरी तक के वन क्षेत्र का हिस्सा गागरोन में शामिल होगा। जिसे देखने के लिए पर्यटकों को मौका मिलेगा। इसके अलावा गागरोन किले के तलघर, रानियों के महलों समेत अन्य महलों के पुनरुद्धार कर इनका हेरिटेज लुक बरकरार रखा जाएगा। किले के संरक्षण व रखरखाव पर करोड़ों रुपए की राशि यूनेस्को की ओर से मिलेगा। हाड़ौती के कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां जिले में पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा। हवाई यात्रा की सुविधाओं में विस्तार होगा। साथ ही झालावाड़ में कोलाना स्थित हवाईपट्टी को विकसित कर इसे हवाई सेवाओं से जोडऩे का अवसर भी मिलेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें