इस बार पांच महीने तक देवशयन
साल देव चार माह की जगह पांच माह तक सोएंगे। भाद्रपद के अधिकमास होने के कारण देवशयन का समय 120 के स्थान पर 147 दिन होगा। जून महीने में शादी के मुहूर्त है और उसके बाद सीधे नवंबर माह में ही शादियां होंगी। यानी 30 जून के बाद विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार, नूतन गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों पर लगभग पांच महीनों का लम्बा ब्रेक लग जाएगा। वहीं 30 जून से देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत होगी, जो देवउठनी एकादशी यानी 24 नवंबर तक रहेगा। तारीख के मुताबिक इस बार आषाढ़ के चार दिन 30 जून से 3 जुलाई तक होंगे। श्रावण 4 जुलाई से 2 अगस्त तक रहेगा। इसके बाद प्रथम भाद्रपद 3 अगस्त से 31 अगस्त तक और दूसरा भाद्रपद 1 सितंबर से 30 सितंबर तक रहेगा। 1 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक आश्विन और 30 अक्टूबर से 24 नवंबर तक कार्तिक के दिवस रहेंगे।
समझें अधिक मास को
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चंद्र वर्ष में 354 एवं सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। 11 दिन के इस अंतर को दूर करने के लिए तीन वर्षों में एक हिंदू मास को बढ़ाया जाता है। इस बढ़ाए हुए अतिरिक्त मास को अधिक मास कहते हैं। इस वर्ष यह माह भाद्रपद है। जिसमें कुछ त्योहार और पर्व प्रथम भाद्रपद के शुक्ल पक्ष (18 से 31 अगस्त तक) के दिवस और दूसरे भाद्रपद के कृष्ण पक्ष (1 से 16 सितंबर तक) के दिनों में मनाए जाएंगे।
समझें अधिक मास को
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चंद्र वर्ष में 354 एवं सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। 11 दिन के इस अंतर को दूर करने के लिए तीन वर्षों में एक हिंदू मास को बढ़ाया जाता है। इस बढ़ाए हुए अतिरिक्त मास को अधिक मास कहते हैं। इस वर्ष यह माह भाद्रपद है। जिसमें कुछ त्योहार और पर्व प्रथम भाद्रपद के शुक्ल पक्ष (18 से 31 अगस्त तक) के दिवस और दूसरे भाद्रपद के कृष्ण पक्ष (1 से 16 सितंबर तक) के दिनों में मनाए जाएंगे।
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