शुक्रवार, 25 मई 2012

लिव-इन पार्टनर को धोखा देने वाले रेप के आरोपी को बेल नहीं: SC

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नई दिल्ली।। भारत में लिव-इन रिलेशनशिप के चलन के बढ़ने के साथ ही इससे जुड़े धोखे भी बढ़ते दिख रहे हैं। दिल्ली के एक कंप्यूटर प्रफेशनल पर ऐसे ही एक मामले में रेप का आरोप लगाया गया है। खुद को बेगुनाह साबित करने की आरोपी की जुगत उस समय फिर फेल हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

दरअसल, यह कंप्यूटर प्रफेशनल 8 साल से जिस लड़की के साथ रह रहा था, उससे शादी करने से इसने मना कर दिया। मना करने का कारण दोनों की अलग-अलग जाति होना बताया। कुछ दिन बाद उसने अपने माता-पिता की पसंद की लड़की से शादी कर ली। तीन महीने पहले शादी करने वाले इस लड़के पर लिव-इन में साथ रहने वाली और अब अचानक अकेली हो जाने वाली लड़की ने रपट लिखवा दी कि लड़के ने उसका रेप किया है।

लड़की के इन आरोपों के खिलाफ और अपनी जमानत के लिए आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल किया जहां कोर्ट की वकेशन बेंच ने बेल की याचिका खारिज कर दी। आरोपी की ओर से कहा गया कि शादी से मना करने के बाद महिला ने उस पर रेप के आरोप मढ़ दिए हैं और 8 सालों में उसने कभी रेप की शिकायत नहीं की।


जस्टिस दीपक वर्मा और एसजे मुखोपाध्याय की बेंच ने कहा- 8 साल तक आप दोनों साथ रहे और अब आप एक दूसरी लड़की से शादी करने के लिए इस लड़की को धोखा दे कर निकल रहे हैं। शिकायत का यही आधार रहा होगा। लेकिन, आप पर रेप का केस बनता है।

2004 से 2011 लड़की और लड़का दोनों साथ रह रहे थे लेकिन परिवार वालों के दबाव में आकर लड़के ने शादी करने से इनकार कर दिया था। वह माता-पिता की पसंद की लड़की से शादी करने के लिए भी तैयार हो गया। यह पता चलते ही लड़की ने 4 फरवरी को शिकायत दर्ज करवा दी। आठवें दिन ही लड़के की शादी थी। पुलिस की ओर से सलाह दी गई कि परिवार वाले मामले में हस्तक्षेप करके मामला सुलझाएं। 8 फरवरी को लडकी ने केस वापस ले लिया। 12 फरवरी को लड़के ने शादी कर ली। तब 1 मार्च को लड़की ने मंडावली पुलिस थाने में रपट लिखवाई जिसमें कहा गया कि 8 साल तक शादी का झांसा दे कर वह उसके साथ रेप करता रहा।

ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने लड़के को बेल देने से इनकार कर दिया था। लड़के ने तब सुप्रीम कोर्ट से इस आधार पर बेल की अपील की कि उसकी मात्र 3 महीने पहले ही शादी हुई है।

1 टिप्पणी:

  1. लड़की की जिंदगी से खिल्वाड करने का हक तो खुदा का क़ानून भी नहीं देता !

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