मामले को लेकर वीराराम व अन्य ने याचिकाएं दायर की थीं। इन्होंने न्यायालय को बताया था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा एनसीटीई के नियमों के अनुसार टेट के फस्र्ट लेवल में उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2012 में कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन कराने के योग्य हैं, जबकि राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2012 तक ही इन अभ्यर्थियों को इस भर्ती परीक्षा के योग्य माना है।
चूंकि, शिक्षक भर्ती परीक्षा के आवेदन इस साल फरवरी के अंत में मांगे गए थे, ऐसे में टेट के प्रथम स्तर में पास बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थी अयोग्य घोषित हो गए। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीआर पूनिया, एनसीटीई के अधिवक्ता कुलदीप माथुर व बोर्ड के अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने सरकार के आदेश को नियमों के तहत बताते हुए कोर्ट से याचिकाएं खारिज करने को कहा था।
2010 में तय किए थे योग्यता के मानक :
3 अगस्त, 2010 को एनसीटीई ने नोटिफिकेशन जारी कर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के सेक्शन 23 के सब सेक्शन 1 के तहत शिक्षकों के लिए योग्यता के मानक तय किए।
30 मार्च 2011 :
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने आरटेट-2011 के आयोजन के लिए विज्ञापन के साथ ही गाइड लाइन जारी की।
>11.02.2011:आरटेट की शर्त संख्या 3 के तहत बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने की स्वीकृति।
>24.02.2012: राज्य सरकार ने प्रदेश की समस्त जिला परिषदों के माध्यम से तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित करने की विज्ञप्ति जारी की। इसमें उल्लेख था कि टेट प्रथम स्तर में उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारक इस भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते, जबकि टेट के द्वितीय स्तर में उत्तीर्ण अभ्यर्थी इसके लिए योग्य माने गए। ये नियम आरटेट के नियमों तथा उसके लिए जारी विज्ञप्ति में नहीं दर्शाए गए थे।
>06.03.2012:सैकड़ों अभ्यर्थियों ने नए नियम के ख्रिलाफ राज्य सरकार व बोर्ड को ज्ञापन दिए।
>मार्च 2012 में राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर व इसकी जयपुर पीठ में आरटेट के प्रथम लेवल में उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारियों ने याचिकाएं दायर कीं।
>17 मई 2012 :राज्य सरकार, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व एनसीटीई के अधिवक्ताओं की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा।
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