सोमवार, 28 मई 2012

परंपरा तोड़ी, बेटी के जन्म पर थाली बजाई

परंपरा तोड़ी, बेटी के जन्म पर थाली बजाई

ससुराल और पीहर पक्ष ने महिला को पीली चुनरी भी ओढ़ाई
पूरा गांव शरीक हुआ बच्ची के जन्म पर हुए उत्सव में

नई पहल

जोधपुर देशभर में गिरता लिंगानुपात चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में रेगिस्तान में बसे छोटे से गांव नारवा ने परंपराओं को तोड़ते हुए एक नई पहल की। यह पहल बेटी बचाओ आंदोलन में महत्वपूर्ण है। नारवा में एक ढाणी है गंडेरों की। यहां एक दलित परिवार ने बेटी के जन्म पर वर्षों से चली आ रही पंरपराओं को तोड़ते हुए थाली बजाने का सामूहिक आयोजन किया। साथ ही बेटी को जन्म देने वाली उषा को ससुराल और पीहर दोनों पक्षों की ओर से पीली चुनर ओढ़ाई गई। यह दोनों ही परंपराएं अब तक बेटे के जन्म पर निभाई जाती रही हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इस आयोजन में पूरा गांव शरीक हुआ। इस मौके पर सरपंच की अगुवाई में ग्रामीणों ने शपथ ली कि वे हर बेटी की जन्म पर इसी तरह खुशी मनाएंगे। थाली बजाएंगे। साथ ही लिंग जांच नहीं करवाएंगे। गंडेरों की ढाणी में रहने वाले लक्ष्मीराम की पत्नी उषा ने बेटी के जन्म के बाद रविवार को धूमधाम से उसका सूरज पूजन (नावण) किया। इस मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने माना कि बेटी-बेटा एक समान होते हैं। थाली बजाई गई। मिठाई बंटवाई गईं। लक्ष्मीराम ने बताया कि क्षेत्र के लोगों में बेटियों के प्रति जागरूकता के लिए गैरसरकारी संस्थान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) जुटी हुई है। लक्ष्मीराम का कहना है कि यह उनके पहली बेटी है। वे बेटी ही चाहते थे क्योंकि आजकल हर रिजल्ट में बेटियां आगे रहती हैं। साथ ही मां बाप की सेवा भी बेटियां ही करती हैं। दादी मीमा देवी ने थाली बजाते हुए कहा कि वे बहुत खुश हैं। उषा के पिता बाबूराम ने कहा कि उनके खुद के चार बेटियां हैं। वे दोहिती के जन्म पर बहुत खुश हैं। मौके पर मौजूद महिलाओं को सीएफआर की जिला को-ऑर्डिनेटर उर्मिला राठी ने लिंग जांच के दुष्प्रभाव व बिगड़ते लिंगानुपात के दुष्परिणामों की जानकारी दी। इस पर सरपंच और ग्रामीण महिलाओं ने संकल्प लिया कि वे लिंग जांच नहीं करवाएंगे।

सूरज पूजन पर पीली चुनर ओढ़ाई, मंगल गीत गाए

मारवाड़ के गांवों में परंपरा है कि बेटी के जन्म पर सूरज पूजन की रस्म फीकी रहती है। बेटा होता है तो महिला को ससुराल और पीहर दोनों पक्षों से पीली चुनरी ओढ़ाई जाती है, लेकिन लड़की होती है तो ऐसा नहीं होता। लक्ष्मीराम की पत्नी उषा के नावण की रस्म में उसे दोनों पक्षों की ओर से पीली चुनरी ओढ़ाई गई। गांव की औरतों ने लाडली के आगमन की खुशी में मंगलगीत गाए। गांव और मोहल्ले में मिठाई बांटी गई। आयोजन के दौरान सीएफएआर संस्थान की जिला को-ऑर्डिनेटर उर्मिला राठी, रेखा सैनी, सरपंच हुकमाराम व वार्ड पंच सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

सरपंच और ग्रामीणों ने दी बधाई : सरपंच हुकमाराम और वार्ड पंचों ने इकट्ठा होकर लक्ष्मीराम, हुकमाराम और उषा को बेटी के जन्म की हार्दिक बधाई दी। इस दौरान तीन सौ से अधिक ग्रामीण एकत्रित हुए थे।

उन्होंने संकल्प लिया कि वे गांव में हर बेटी के जन्म पर खुशियां मनाएंगे। घर-घर थाली बजाएंगे।

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