कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह कहकर कर तलक देने से इंकार कर दिया के पहले पत्नी यह साबित करे कि उसकी बिरादरी में भाई-बहन की शादी को रोकने वाला कोई कानून है। उधर फरयादी का कहना है के उसकी बिरादरी का 'अलिखित कानून' ऐसी शादी की इजाजत नहीं देता।
राजस्थान के श्वेतांबर तेरापंथी समुदाय में भाई-बहन के बीच हुई एक शादी को अवैध करार देने से इनकार करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पहले पत्नी यह साबित करे कि उसकी बिरादरी में भाई-बहन की शादी को रोकने वाला कोई कानून है। गौरतलब है कि इस मामले में पत्नी अदालत से इस आधार पर तलाक मांग रही है कि उसकी बिरादरी का 'अलिखित कानून' ऐसी शादी की इजाजत नहीं देता।
मिली जानकारी के मुताबिक राकेश और राखी (नाम बदले हुए) की शादी 16 फरवरी 2005 को बेंगलुरु में हुई थी। दोनों ममेरे-फुफेरे भाई-बहन हैं। (राकेश की मां राखी की बुआ हैं।) राखी ने मैसूर की एक पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दी। उसका कहना था कि राकेश ने उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन उससे शादी की थी। मगर, यह शादी लीगल नहीं है क्योंकि बिरादरी के नियम भाई-बहनों में शादी की इजाजत नहीं देते।
दूसरी ओर राकेश का कहना है कि दोनों ने अपनी मर्जी से बेंगलुरु के एक लॉज में शादी की थी। बाद में दोनों ने कोर्ट में शादी को लीगल दर्जा भी दिलाया। राकेश के मुताबिक दोनों 15 अप्रैल 2005 तक साथ-साथ रहे भी। उसके बाद राखी के घरवाले उसे जबर्दस्ती अपने साथ लेकर चले गए।
राकेश के मुताबिक राखी आज भी उनके साथ रहना चाहती हैं, लेकिन घरवालों के दबाव में उन्हें कोर्ट में बयान देना पड़ रहा है। राकेश के मुताबिक भाई-बहन (कजिन) में शादी उनकी बिरादरी में मान्य है।
मैसूर की पारिवारिक अदालत ने तलाक की अर्जी खारिज करते हुए राखी को पति के साथ रहने का आदेश दिया। राखी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
राजस्थान के श्वेतांबर तेरापंथी समुदाय में भाई-बहन के बीच हुई एक शादी को अवैध करार देने से इनकार करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पहले पत्नी यह साबित करे कि उसकी बिरादरी में भाई-बहन की शादी को रोकने वाला कोई कानून है। गौरतलब है कि इस मामले में पत्नी अदालत से इस आधार पर तलाक मांग रही है कि उसकी बिरादरी का 'अलिखित कानून' ऐसी शादी की इजाजत नहीं देता।
मिली जानकारी के मुताबिक राकेश और राखी (नाम बदले हुए) की शादी 16 फरवरी 2005 को बेंगलुरु में हुई थी। दोनों ममेरे-फुफेरे भाई-बहन हैं। (राकेश की मां राखी की बुआ हैं।) राखी ने मैसूर की एक पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दी। उसका कहना था कि राकेश ने उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन उससे शादी की थी। मगर, यह शादी लीगल नहीं है क्योंकि बिरादरी के नियम भाई-बहनों में शादी की इजाजत नहीं देते।
दूसरी ओर राकेश का कहना है कि दोनों ने अपनी मर्जी से बेंगलुरु के एक लॉज में शादी की थी। बाद में दोनों ने कोर्ट में शादी को लीगल दर्जा भी दिलाया। राकेश के मुताबिक दोनों 15 अप्रैल 2005 तक साथ-साथ रहे भी। उसके बाद राखी के घरवाले उसे जबर्दस्ती अपने साथ लेकर चले गए।
राकेश के मुताबिक राखी आज भी उनके साथ रहना चाहती हैं, लेकिन घरवालों के दबाव में उन्हें कोर्ट में बयान देना पड़ रहा है। राकेश के मुताबिक भाई-बहन (कजिन) में शादी उनकी बिरादरी में मान्य है।
मैसूर की पारिवारिक अदालत ने तलाक की अर्जी खारिज करते हुए राखी को पति के साथ रहने का आदेश दिया। राखी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
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