बुधवार, 9 मई 2012

जैसलमेर फर्जी खातों से डेढ़ करोड़ की हेराफेरी, बैंककर्मी को चार वर्ष की सजा

जैसलमेर स्थित एसबीबीजे की शाखा में कार्यरत विशेष सहायक डीपी मीणा को 4 वर्ष तथा जोधपुर निवासी मनोज सिंघवी को 3 वर्ष की सजा
 
जैसलमेर सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर(एसबीबीजे) की जैसलमेर शाखा में गबन के आरोप में एक व्यक्ति को चार साल की और एक अन्य को तीन साल की सजा सुनाई है। एसबीबीजे में कार्यरत विशेष सहायक दुर्गाप्रसाद उर्फ डीपी मीणा को फर्जी बैंक अकाउंट खोलकर फर्जी एंट्रियां कर बैंक को 1 करोड़ 54 लाख 73 हजार नौ सौ सैंतीस रुपए का चूना लगाया। इस घोटाले के आरोप में मीणा को 4 वर्ष कैद व उसके सहयोगी जोधपुर स्थित कमला नेहरू नगर निवासी मनोज सिंघवी को 3 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई है।

विशिष्ट न्यायाधीश सीबीआई मामलात जेपी शर्मा ने यह आदेश भारत संघ जरिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई बनाम दुर्गा प्रसाद मीणा व अन्य के विरुद्ध दायर मामले का निस्तारण कर निर्णय सुनाते हुए दिया। अदालत में सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक एसएस यादव ने कहा कि आरोपी डीपी मीणा ने बैंक में विशेष सहायक के पद पर रहते हुए अन्य लोगों के सहयोग से कई फर्जी खाते खोले व उनकी चैक बुक अपने पास रखी। उन खातों में बैंक के अन्य खातों से बिना वाउचर के फर्जी एंट्रियां कर लाखों रुपए के चैकों का आहरण किया व लॉटरियों के टिकट आदि की खरीद की।
अंत में ऑडिट रिपोर्ट में जब इस घोटाले का खुलासा हुआ तो जांच करने पर कुल घोटाला डेढ़ करोड़ से अधिक राशि का निकला। बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि घोटाला पूरी तरह से बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया है व उनको झूठा फंसाया गया है। जब कि अनुसंधान में आरोपियों के खिलाफ करीब आठ धाराओं इतनी ही उप धाराओं में दोषी पाए जाने पर अदालत ने प्रत्येक धारा के तहत 2 से 4 वर्ष के कठोर कारावास के दंड तथा एक हजार से 10 हजार रुपए तक का आर्थिक दंड भुगतान किए जाने की सजा सुनाई गई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

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