लखनऊ. कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के गोमती नगर थाने में आखिरकार निर्मल बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो ही गई है। गौरतलब है कि सीजेएम लखनऊ राजेश उपाध्याय ने गोमती नगर थाने को आदेशित किया था कि दिल्ली स्थित कथित धार्मिक गुरु निर्मल बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसकी विवेचना करें। सीजेएम ने यह आदेश तान्या ठाकुर (कक्षा बारह की छात्रा) और आदित्य ठाकुर (कक्षा दस के छात्र) द्वारा धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत प्रस्तुत याचिका पर दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को तान्या और आदित्य के आवेदन पर निर्मल बाबा के खिलाफ धारा 417, 419, 420 आईपीसी के तहत धोखाधड़ी व अन्य आरोपों और धारा 508 (ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर गलत लाभ लेना) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। यदि निर्मल बाबा के खिलाफ आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत सात साल तक की जेल हो सकती है। गौरतलब है कि तान्या और आदित्य ने 10 अप्रैल 2012 को थाना गोमतीनगर, लखनऊ में एफआईआर के लिए प्रार्थना पत्र दिया था और डीआईजी लखनऊ एवं एडीजी, ला ऑर्डर के स्तर पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर कोर्ट में धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत याचिका दायर की थी।
तान्या और आदित्य आईपीएस अधिकारी अमिताभ और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन के बच्चे हैं। सीजेएम उपाध्याय ने कहा कि तान्या और आदित्य द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर संज्ञेय अपराध बनता है और पर्याप्त आधार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय श्री भगवन समर्ध बनाम आंध्र प्रदेश सरकार का भी उल्लेख किया जिसमे इसी प्रकार से एक कथित धार्मिक व्यक्ति द्वारा बच्ची के इजाज़ में ठगी की जा रही थी।
कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को तान्या और आदित्य के आवेदन पर निर्मल बाबा के खिलाफ धारा 417, 419, 420 आईपीसी के तहत धोखाधड़ी व अन्य आरोपों और धारा 508 (ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर गलत लाभ लेना) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। यदि निर्मल बाबा के खिलाफ आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत सात साल तक की जेल हो सकती है। गौरतलब है कि तान्या और आदित्य ने 10 अप्रैल 2012 को थाना गोमतीनगर, लखनऊ में एफआईआर के लिए प्रार्थना पत्र दिया था और डीआईजी लखनऊ एवं एडीजी, ला ऑर्डर के स्तर पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर कोर्ट में धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत याचिका दायर की थी।
तान्या और आदित्य आईपीएस अधिकारी अमिताभ और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन के बच्चे हैं। सीजेएम उपाध्याय ने कहा कि तान्या और आदित्य द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर संज्ञेय अपराध बनता है और पर्याप्त आधार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय श्री भगवन समर्ध बनाम आंध्र प्रदेश सरकार का भी उल्लेख किया जिसमे इसी प्रकार से एक कथित धार्मिक व्यक्ति द्वारा बच्ची के इजाज़ में ठगी की जा रही थी।
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