मंगलवार, 29 मई 2012

शोभा ने नकार दिया बचपन में हुआ विवाह!

जोधपुर.अपनी हम उम्र सहेलियों के साथ खेलने कूदने में व्यस्त दस साल की शोभा को पता ही नहीं चला कि कब उसकी शादी हो गई। वर्ष 1998 में अपनी बुआ की शादी के दौरान शोभा सहित घर की चौदह बच्चियों की भी शादियां कर दी गईं। अब शोभा पढ़ लिखकर जमाने को समझने लगी है तो उसने बचपन में हुए विवाह को नकार दिया। उसके परिजन इस बात को लेकर परेशान है कि अगर शोभा ने बालविवाह को नकार दिया तो उन्हें समाज में लाखों रुपए देने पड़ेंगे। जबकि शोभा लोगों की परवाह किए बिना अब अपने लक्ष्य की ओर बढ़ चली हैं।  
राजबा गांव की रहने वाली शोभा का पीटीटी में चयन हो चुका है और केएन कॉलेज से उसने स्नातक किया। बीएड में प्रवेश होने के बाद वह अपनी मंजिल को पाने में लगी हैं। उधर, उसके घर वाले दबाव डाल रहे हैं कि वह अपने ससुराल जाए। अगर वह ससुराल नहीं जाएगी तो घर वालों को लाखों रुपए का दंड भरना पड़ेगा, लेकिन शोभा इन सब बातों से बेखबर जोधपुर में पढ़ाई कर रही है।

शोभा का कहना है कि वह बचपन में हुई शादी को नहीं मानती। उसका पति लिखमाराम अनपढ़ है और केरू की खानियों में काम करता है। बचपन में वह दो दिन के लिए ससुराल गई थी, मगर उसके बाद उसने शादी नकार दी। ससुराल वाले भी उस पर दबाव डाल रहे हैं, मगर वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है।

एनजीओ ने सहयोग किया

शोभा के इरादों को देखते हुए एक एनजीओ उसके सहयोग के लिए आगे आया। बीरनी प्रोजेक्ट से जुड़ीं कार्यकर्ता और नेशनल जियोग्राफिक चैनल की जर्नलिस्ट सिंदिया शोभा की पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं। शोभा का कहना है कि वह बाल विवाह को नहीं मानती। अब पढ़ना चाहती हैं।

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