सूरत। बीते गुरुवार नगर पालिका की एक महिला सफाई कर्मचारी ने ईमानदारी का ऐसा परिचय दिया कि इसकी चर्चा पूरे शहर में है। दरअसल महिलाकर्मी को सफाई के दौरान साढ़े तीन लाख रुपए के गहने पड़े मिले थे। लेकिन इस पर भी महिला कर्मी की नीयत नहीं डोली और उसने इन गहनों के मालिक को खोजकर गहने वापस किए। ये गहने एक हीरा व्यापारी की पत्नी के थी। महिलाकर्मी की इस ईमानदारी से खुश होकर हीरा व्यापारी ने उसे एक हीरेजड़ित अंगूठी उपहारस्वरूप दी है।
कतारगाम के नीलकंठ नगर इलाके में रहने वाले हीरा व्यापारी हितेशभाई ने बुधवार को अपने घर का साफ-सफाई करवाई थी। साफ-सफाई में कबाड़ और कचरे के साथ एक छोटे से पर्स में रखी उनकी पत्नी की चार सोने की अंगूठियां, चेन और कान के झुमके भी फिक गए। इन गहनों का वजन लगभग 13 तोले था।
दूसरे दिन गुरुवार को नगर पालिक की महिला सफाई कर्मी देवलबेन को सफाई के दौरान हीरा व्यापारी हितेशभाई के घर से कुछ ही दूरी पर यह पर्स मिल गया। हालांकि इस समय उन्हें यह नहीं पता था कि यह पर्स किसका है, इसलिए उन्होंने इसकी जानकारी इस समय किसी को नहीं दी और बस यही जानने की कोशिश करने लगी कि इसका मालिक खुद-ब-खुद उन्हें मिल जाए। शाम तक देवलबेन को यह बात मालूम चल गई कि ये गहने हीरा व्यापारी के हैं। वे सीधे उनके घर जा पहुंची और यह पर्स हितेशभाई के परिवार के सुपुर्द कर दिया।
हितेशभाई ने इस समय देवलबेन को 500 रुपए का पुरस्कार दिया। लेकिन बाद में परिवार ने सोचा कि उन्होंने देवलबेन को बहुत कम ईनाम दिया है इसलिए परिवार ने फिर देवलबेन को एक हीरेजड़ित अंगूठी उपहार में दी।
कतारगाम के नीलकंठ नगर इलाके में रहने वाले हीरा व्यापारी हितेशभाई ने बुधवार को अपने घर का साफ-सफाई करवाई थी। साफ-सफाई में कबाड़ और कचरे के साथ एक छोटे से पर्स में रखी उनकी पत्नी की चार सोने की अंगूठियां, चेन और कान के झुमके भी फिक गए। इन गहनों का वजन लगभग 13 तोले था।
दूसरे दिन गुरुवार को नगर पालिक की महिला सफाई कर्मी देवलबेन को सफाई के दौरान हीरा व्यापारी हितेशभाई के घर से कुछ ही दूरी पर यह पर्स मिल गया। हालांकि इस समय उन्हें यह नहीं पता था कि यह पर्स किसका है, इसलिए उन्होंने इसकी जानकारी इस समय किसी को नहीं दी और बस यही जानने की कोशिश करने लगी कि इसका मालिक खुद-ब-खुद उन्हें मिल जाए। शाम तक देवलबेन को यह बात मालूम चल गई कि ये गहने हीरा व्यापारी के हैं। वे सीधे उनके घर जा पहुंची और यह पर्स हितेशभाई के परिवार के सुपुर्द कर दिया।
हितेशभाई ने इस समय देवलबेन को 500 रुपए का पुरस्कार दिया। लेकिन बाद में परिवार ने सोचा कि उन्होंने देवलबेन को बहुत कम ईनाम दिया है इसलिए परिवार ने फिर देवलबेन को एक हीरेजड़ित अंगूठी उपहार में दी।
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