मंगलवार, 1 मई 2012

अमृत महोत्सव : धूमधाम से मनाया गया आचार्य महाश्रमण का 50वां जन्मोत्सव


'आधी सदी जी ली, आगे बढ़ रहा हूं'

अमृत महोत्सव : धूमधाम से मनाया गया आचार्य महाश्रमण का 50वां जन्मोत्सव
बालोतरा  जैन धर्म तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण का 50 वां जन्मोत्सव बालोतरा में अमृत महोत्सव के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय सहित देश-विदेश से आए गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

अमृत महोत्सव के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आधी सदी मैंने जी ली है और आगे बढ़ रहा हूं। आचार्य ने सभी वर्ग, समूहों, जातियों की ओर से श्रद्धा भाव की अभिव्यक्ति पर कहा कि जो तेरापंथी नहीं है उनके प्रति भी मेरा प्रमोद का भाव है। जीवन की सार्थकता और उससे जुड़े पहलुओं के संदर्भ में कहा कि आदमी का जन्म दिवस आता है तो कइयों के लिए वह उल्लास का विषय भी होता है। लेकिन व्यक्ति यह सोचे कि उसने जीवन में क्या अर्पित किया है और अब वह क्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने पूर्व कर्मों की निर्जरा करने के लिए शरीर धारण करना चाहिए।

आचार्य ने कहा कि मैंने जीवन के 50 वर्ष पूरे कर 51 वें वर्ष में प्रवेश किया है। इन पचास सालों में मैंने कई अनुभव प्राप्त किए। मुझे आत्म संतोष है कि जीवन में मुझे कुछ आगे बढऩे का मौका मिला। आचार्य ने स्वयं के प्रति मंगलकामना व्यक्त करते हुए कहा कि मैं जीवन में अध्यात्म व साधना की दृष्टि से आगे बढ़ता जाऊं। मैंने कुछ आदर्श जीवन में सोचे-समझे हैं। उनको भी मैंने आत्मसात करने का प्रयास किया है। तेरापंथ के साधु-सध्वियों, समण-समणियां, श्रावक-श्राविकाओं ने जो मेरे प्रति वात्सल्य भाव व्यक्त किया है उसके लिए सभी को धन्यवाद। आचार्य ने कहा कि संघ की भावना को स्वीकार कर अमृत महोत्सव का क्रम चला। इस वर्ष ज्ञान, दर्शन, चरित्र, तप के जो कार्य हुए, वह काफी महत्वपूर्ण हंै। आचार्य ने साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, दीक्षा प्रदाता मंत्री मुनि सुमेरमल, सह दीक्षित संत मुनि उदित कुमार, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा, मुनि ऋषभ कुमार व अन्य संतों व साध्वियों की चिंतनशीलता, तर्क क्षमता, बुद्धिमता व सेवाभावना का उल्लेख करते हुए साधुवाद ज्ञापित किया। मंत्री मुनि सुमेरमल व मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा का आचार्य के प्रति श्रद्धासिक्त अभिभाषण हुआ। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री बंद्योपाध्याय ने कहा कि उन्हें जीवन में ऐसा दुर्लभ अवसर मिला है, वे स्वयं को धन्य मानते हैं।

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